जबलपुर। एमपी हाईकोर्ट ने जाति प्रमाण पत्र को लेकर दायर एक याचिका पर बड़ा निर्णय दिया है. इसके अनुसार जिस राज्य से जाति प्रमाण-पत्र जारी हुआ है उसी के लिए मान्य होगा. दरअसल राजस्थान राज्य से जाति ओबीसी प्रमाण-पत्र को मध्य प्रदेश में मान्यता नहीं दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस देव नारायण मिश्रा ने याचिका को खारिज करते हुए निर्णय सुनाया कि सभी राज्य में अलग-अलग जाति को दूसरे वर्ग में रखा गया है. जिस राज्य में जाति प्रमाण-पत्र जारी हुआ है,वह उसी राज्य के लिए मान्य है.
किसने दायर की याचिका: नीमच निवासी सीमा सोनी की तरफ से याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि वह राजस्थान की निवासी हैं और उनका विवाह मध्य प्रदेश के नीमच में हुआ है. राजस्थान में स्वर्णकार जाति ओबीसी वर्ग में आती थी,जिसका जाति प्रमाण-पत्र उसके पास है. उनके पति भी जाति से सोनी हैं और उनके पास मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जाति ओबीसी वर्ग का प्रमाण-पत्र है.
क्यों दायर की याचिका: नीमच निवासी सीमा सोनी ने माध्यमिक शिक्षक पद के लिए आवेदन किया था. ओबीसी वर्ग में उसका सिलेक्शन भी हो गया था लेकिन राजस्थान का जाति-प्रमाण पत्र होने के कारण उसे ओबीसी वर्ग का लाभ देने से इंकार कर दिया गया. अभ्यावेदन देने पर उसे भारत सरकार तथा मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए कहा गया कि प्रवासी व्यक्तियों का जाति प्रमाण-पत्र उस राज्य के लिए मान्य नहीं है.
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याचिका में कहा गया था कि भारतीय संविधान के अनुसार देश में किसी भी नागरिक को जाति,धर्म,निवास तथा लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा भारत का कोई भी नागरिक देश के किसी भी प्रदेश में निवास कर सकता है. याचिका को खारिज करते हुए युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि अलग-अलग राज्य में जातियों को अलग-अलग वर्ग में रखा गया है. जिस राज्य द्वारा जाति प्रमाण-पत्र जारी किया गया है,वह उसी राज्य के लिए मान्य है.