जबलपुर। किसानों को फसल के लिए उर्वरक खाद की उपलब्धता कराने वाले अधिकारी 'इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर' कंपनियों के दबाव में काम रहे हैं. इफको, कृभको और ग्रोमोर जैसी बड़ी कंपनियां प्राइवेट डीलर्स को तय नियम से अधिक मात्रा में खाद की उपलब्धता करा रहे हैं. इसके चलते सहकारी समितियों तक डिमांड अनुसार आवश्यक खाद नहीं पहुंच रही है. 10 दिन पहले तक भरपूर स्टाक होने के बावजूद फिलहाल आईसीएल, कृभको और ग्रोमोर सहित अन्य कंपनियों की डीएपी परमिट पर किसानों की मांग से कम से दी जा रही है.
जरूरत से आधा ही मिल रहा किसानों को : सहकारी समितियों में इफको प्राइवेट लिमिटेड का दबदबा होने के कारण यूरिया की कमी भी आए दिन बनी रहती है. दलहल की फसल जैसे चना, मटर, बटरी एवं मसूर की बोवनी 10 से 15 दिनों में तेजी से होगी. जबलपुर जिले में दलहन का रकवा बहुत बड़ा है. इन फसलों की बुवाई के लिए भारी मात्रा में लगने वाली अमोनियम फॉस्फेट डीएपी खाद की आवश्यकता होती है. विपणन के रिकॉर्ड में खाद का स्टाक पर्याप्त दिख रहा है, लेकिन धरातल पर सोसायटियों में डीएपी का वितरण पर्याप्त मात्रा में नहीं है. किसान अपने परमिट में 10 बोरी खाद की मांग कर रहा है तो उसे 5 से 6 बोरी दी जा रही है.
बाजार से महंगे दाम पर खरीद रहे किसान : ऋण पुस्तिका के आधार पर निर्धारित खाद की मात्रा से कम खाद परमिट में क्यों दी जा रही, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. बोवनी के समय किसान खाद का इंतजार नहीं कर सकता, वह बाजार से महंगे दाम में खाद खरीदकर तेजी से बोवनी में जुट जाएगा. डीएपी सहित अन्य खाद की बढ़ी डिमांड को लेकर खाद माफिया भी तहसील, ब्लाक और पंचायत स्तर पर सक्रिय हैं. सामान्य तौर पर किसान मौके पर असली - नकली खाद की पहचान नहीं कर सकता और वह खाद को बीज के साथ मिलाकर खेत में उसकी बोवनी करा देता है.
गांवों में कोई नहीं सुनने वाला : इसी तरह कई इलाकों में तैयार खड़ी धान की फसल में यूरिया खाद के अंतिम छिड़काव के लिए किसान परेशान हैं. चरगवां, सिहोरा, मझौली, पाटन, पनागर, शहपुरा बरगी, बरेला एवं मझगवां क्षेत्र में किसानों की भीड़ सोसायटियों के आसपास देखी जा रही है. सेंट्रल लॉक से खाद की नगद ब्रिकी ब्लैकलिस्टेड हो चुकी कई सोसायटियों से नगद ब्रिकी पर रोक लगी हुई है. सोसायटियों से परमिट पर किसानों को खाद देने का प्रावधान हैं. सेंट्रल लॉक से ऋण पुस्तिका में इंट्री कराकर नगद खाद किसान द्वारा ली जा सकती है. सेंट्रल लॉक की दूरी कई गांव से 20 से 25 किलोमीटर तक है. सानों का कहना है कि गांव की नजदीकी सोसायटियों से खाद का वितरण परमिट के साथ नगद में भी होना चाहिए.
सोसायटियों में किसानों की भीड़ : चरगवां, सिहोरा, मझौली, पाटन, पनागर, शहपुरा बरगी, बरेला एवं मझगवां क्षेत्र में किसानों की भीड़ सोसायटियों के आसपास देखी जा रही है. सेंट्रल लॉक से खाद की नगद ब्रिकी ब्लेक लिस्टेड हो चुकी कई सोसायटियों से नगद ब्रिकी पर रोक लगी हुई है. सोसायटियों से परमिट पर किसानों को खाद देने का प्रावधान है. सेंट्रल लॉक से ऋण पुस्तिका में इंट्री कराकर नगद खाद किसान द्वारा ली जा सकती है. सेंट्रल लॉक की दूरी कई गांव से 20 से 25 किलोमीटर तक हैं। किसानों का कहना है कि गांव की नजदीकी सोसायटियों से खाद का वितरण परमिट के साथ नगद में भी होना चाहिए. Urea demand increased, Shortage amid claims stock, farmers upset