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MP High Court दोषी साबित होने के बाद भी क्यों नहीं दी सजा, अपर सत्र न्यायाधीश से मांगा स्पष्टीकरण - ADJ से मांगा स्पष्टीकरण

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक आपराधिक प्रकरण में दोषी होने के बावजूद सजा नहीं देने के मामले में छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा में पदस्थ तत्कालीन अपर सत्र न्यायाधीश निशा विश्वकर्मा से स्पष्टीकरण मांगा है.

ought clarification from Additional Sessions Judge
अपर सत्र न्यायाधीश से मांगा स्पष्टीकरण
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Published : Feb 9, 2023, 7:11 PM IST

जबलपुर। छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा के तत्कालीन न्यायाधीश को लेकर हाईकोर्ट जस्टिस अंजुली पालो की एकलपीठ ने निर्देश दिए हैं कि उक्त न्यायिक अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब करें. इसके साथ ही ये मामला हाईकोर्ट की संबंधित कमेटी के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत करें. हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अपर सत्र न्यायाधीश का ये आचरण बेहद आपत्तिजनक है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील को स्वीकार करते हुए अनावेदक चारों आरोपियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर उन्हें 2 मार्च को हाजिर होने के निर्देश दिए.

निचली अदालत के खिलाफ अपील : उल्लेखनीय है कि अमरवाड़ा निवासी बृजराज कुमारी, बाबूलाल व अन्य ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की. अपीलार्थियों की ओर से अधिवक्ता ब्रम्हानंद पांडे ने बताया कि आरोपी रामप्रसाद, कालेश, गोलू उर्फ अरविंद एवं लता बाई ने अपीलार्थियों पर हमला किया था. उन्होंने बताया कि ट्रायल कोर्ट ने चारों आरोपियों को एक वर्ष का कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई थी. चारों आरोपियों ने एएसजे कोर्ट के समक्ष ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी. अपर सत्र न्यायाधीश निशा विश्वकर्मा ने आरोपियों को दोषी करार दिया.

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सजा न देकर केवल जुर्माना बढ़ाया : सजा देने देने के बाद भी आरोपियों को सजा नहीं दी गई. केवल जुर्माने की राशि बढ़ा दी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत का हवाला देते हुए कहा कि भादंवि की धारा 325 में स्पष्ट प्रावधान है कि यदि पीडि़त को गंभीर चोटें आई हैं तो आरोपी को जमानत के साथ एक निश्चित अवधि की सजा जरूर होनी चाहिए. मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि यह विधि का प्रस्थापित सिद्धांत है कि अपराध की गंभीरता के अनुपात में आरोपी को सजा मिलनी चाहिए. उक्त मत के साथ न्यायालय ने उक्त निर्देश दिए.

जबलपुर। छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा के तत्कालीन न्यायाधीश को लेकर हाईकोर्ट जस्टिस अंजुली पालो की एकलपीठ ने निर्देश दिए हैं कि उक्त न्यायिक अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब करें. इसके साथ ही ये मामला हाईकोर्ट की संबंधित कमेटी के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत करें. हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अपर सत्र न्यायाधीश का ये आचरण बेहद आपत्तिजनक है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील को स्वीकार करते हुए अनावेदक चारों आरोपियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर उन्हें 2 मार्च को हाजिर होने के निर्देश दिए.

निचली अदालत के खिलाफ अपील : उल्लेखनीय है कि अमरवाड़ा निवासी बृजराज कुमारी, बाबूलाल व अन्य ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की. अपीलार्थियों की ओर से अधिवक्ता ब्रम्हानंद पांडे ने बताया कि आरोपी रामप्रसाद, कालेश, गोलू उर्फ अरविंद एवं लता बाई ने अपीलार्थियों पर हमला किया था. उन्होंने बताया कि ट्रायल कोर्ट ने चारों आरोपियों को एक वर्ष का कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई थी. चारों आरोपियों ने एएसजे कोर्ट के समक्ष ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी. अपर सत्र न्यायाधीश निशा विश्वकर्मा ने आरोपियों को दोषी करार दिया.

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सजा न देकर केवल जुर्माना बढ़ाया : सजा देने देने के बाद भी आरोपियों को सजा नहीं दी गई. केवल जुर्माने की राशि बढ़ा दी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत का हवाला देते हुए कहा कि भादंवि की धारा 325 में स्पष्ट प्रावधान है कि यदि पीडि़त को गंभीर चोटें आई हैं तो आरोपी को जमानत के साथ एक निश्चित अवधि की सजा जरूर होनी चाहिए. मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि यह विधि का प्रस्थापित सिद्धांत है कि अपराध की गंभीरता के अनुपात में आरोपी को सजा मिलनी चाहिए. उक्त मत के साथ न्यायालय ने उक्त निर्देश दिए.

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