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MP High Court : 53 वृक्षों की प्रजातियों को काटने पर लगाया स्टे यथावत रहेगा

मध्यप्रदेश शासन द्वारा नोटिफिकेशन जारी कर 53 वृक्षों की प्रजातियों को परागमन वन उपज से हटाने जाने के खिलाफ हाईकोर्ट की मुख्यपीठ व इंदौर की खंडपीठ में याचिका दायर की गयी थी. इंदौर में दायर याचिका को सुनवाई के लिए मुख्यपीठ में स्थानातंरित किया गया. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल घगट की युगलपीठ ने दो याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त के करते हुए पूर्व में पारित स्थगन के आदेश को बरकरार रखा है. याचिका पर अगली सुनवाई 27 जून को निर्धारित की गयी है. (Stay remain on cutting 53 tree) (Illegal felling of trees in large numbers)

Stay remain on cutting 53 tree
53 वृक्षों की प्रजातियों को काटने पर लगाया स्टे यथावत
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Published : Jun 20, 2022, 7:52 PM IST

जबलपुर। संजीवनी नगर गढ़ा निवासी विवेक कुमार शर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा था कि मध्यप्रदेश शासन ने 24 सितंबर 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 प्रजातियों के वृक्षों को मप्र परागमन वन उपज नियम 2000 से हटा दिया है. इसके तहत पीपल, बरगद, जामुन, नीम सहित अन्य महत्वपूर्ण प्रजाति के पेड़ों को ग्राम पंचायत की अनुमति लेकर सीधे काटकर आरा मशीन तक पहुंच जा सकता है. इसमें वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता को हटा दिया गया है, जोकि अनुचित है.

बड़ी तादाद पर पेड़ों की अवैध कटाई : नोटिफिकेशन के बाद बड़ी तादाद पर पेड़ों की अवैध कटाई शुरू हो गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि नेशनल हाइवे तथा स्टेट हाईवे के निर्माण के लिए भी बड़ी तादाद में पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया जाता है. हरे-भरे वृक्ष काटे जाने से जंगल वीरान होते जा रहे है. बड़ी संख्या में पेड़ कटने के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ गया है, जो मानव सहित समुचित जीव वर्ग के लिए खतरनाक है. पेड़ की कटाई के लिए निर्धारित नियमों को पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, पीसीसीएफ, सीसीएफ, डीएफओं जबलपुर, एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को पक्षकार बनाया गया था.

MP High Court Action : स्टेनो तथा सहायक ग्रेड 3 के पद पर होने वाली नियुक्तियों के बारे में नोटिस जारी

तीन साल पहले लगी थी रोक : हाईकोर्ट ने सितम्बर 2019 में याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी व पीडब्ल्यूडी को निर्देशित किया था कि अति आवश्यक होने पर ही नियम अनुसार पेड़ काटे जाएं. एक पेड़ के काटने पर अनुपात अनुसार पौधे लगाने व उनका संरक्षण करने संबंधित नियमों को पालन किया जाए. पिछली सुनवाई के दौरान पूर्व में लगी रोक को हटाने के लिए चार आवेदन दायर किए गये थे. युगलपीठ को यह भी बताया गया था कि संबंधित मामले में इंदौर खंडपीठ में भी याचिका दायर है. युगलपीठ ने आवेदन को खारिज करते हुए इंदौर खंडपीठ में लंबित याचिका को सुनवाई के लिए मुख्यपीठ स्थानातंरित करने आदेश जारी किये थे. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की. (Stay remain on cutting 53 tree)

जबलपुर। संजीवनी नगर गढ़ा निवासी विवेक कुमार शर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा था कि मध्यप्रदेश शासन ने 24 सितंबर 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 प्रजातियों के वृक्षों को मप्र परागमन वन उपज नियम 2000 से हटा दिया है. इसके तहत पीपल, बरगद, जामुन, नीम सहित अन्य महत्वपूर्ण प्रजाति के पेड़ों को ग्राम पंचायत की अनुमति लेकर सीधे काटकर आरा मशीन तक पहुंच जा सकता है. इसमें वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता को हटा दिया गया है, जोकि अनुचित है.

बड़ी तादाद पर पेड़ों की अवैध कटाई : नोटिफिकेशन के बाद बड़ी तादाद पर पेड़ों की अवैध कटाई शुरू हो गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि नेशनल हाइवे तथा स्टेट हाईवे के निर्माण के लिए भी बड़ी तादाद में पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया जाता है. हरे-भरे वृक्ष काटे जाने से जंगल वीरान होते जा रहे है. बड़ी संख्या में पेड़ कटने के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ गया है, जो मानव सहित समुचित जीव वर्ग के लिए खतरनाक है. पेड़ की कटाई के लिए निर्धारित नियमों को पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, पीसीसीएफ, सीसीएफ, डीएफओं जबलपुर, एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को पक्षकार बनाया गया था.

MP High Court Action : स्टेनो तथा सहायक ग्रेड 3 के पद पर होने वाली नियुक्तियों के बारे में नोटिस जारी

तीन साल पहले लगी थी रोक : हाईकोर्ट ने सितम्बर 2019 में याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी व पीडब्ल्यूडी को निर्देशित किया था कि अति आवश्यक होने पर ही नियम अनुसार पेड़ काटे जाएं. एक पेड़ के काटने पर अनुपात अनुसार पौधे लगाने व उनका संरक्षण करने संबंधित नियमों को पालन किया जाए. पिछली सुनवाई के दौरान पूर्व में लगी रोक को हटाने के लिए चार आवेदन दायर किए गये थे. युगलपीठ को यह भी बताया गया था कि संबंधित मामले में इंदौर खंडपीठ में भी याचिका दायर है. युगलपीठ ने आवेदन को खारिज करते हुए इंदौर खंडपीठ में लंबित याचिका को सुनवाई के लिए मुख्यपीठ स्थानातंरित करने आदेश जारी किये थे. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की. (Stay remain on cutting 53 tree)

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