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MP High Court एमबीबीएस की डिग्री के लिए छात्र से वसूले 3 लाख 65 हजार, प्रमुख सचिव व डीएमई को नोटिस - एमबीबीएस की डिग्री के बदले मनमानी

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) में एक ऐसा मामला पहुंचा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि एमबीबीएस की मात्र डिग्री देने के लिए छात्र से 3 लाख 65 हजार रुपए की राशि वसूली गई. मामले में प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव, डीएमई और मेडिकल विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर (Notice to Principal Secretary and DME) जवाब मांगा है. मामले पर अगली सुनवाई जनवरी के अंतिम सप्ताह में नियत की गई है.

MP High Court
एमबीबीएस की डिग्री के लिए छात्र से वसूले 3 लाख 65 हजार
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Published : Dec 20, 2022, 3:43 PM IST

जबलपुर। जबलपुर निवासी डॉ. निश्चय सक्सेना ने याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है. परीक्षा परिणाम आने के बाद याचिकाकर्ता ने मेडिकल विश्वविद्यालय में डिग्री के लिए आवेदन किया. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने दलील दी कि डिग्री के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मात्र 100 रुपये का शुल्क निर्धारण किया गया है. लेकिन याचिकाकर्ता से डिग्री के लिए 3 लाख 65 हजार रुपए की मांग की गई.

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अतिरिक्त फीस वापस कराने की मांग : छात्र ने उच्चाधिकारियों से इस संबंध में चर्चा की, लेकिन अंतत: उसे इतनी राशि चुकानी पड़ी. अधिवक्ता संघी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता एनआरआई है, लेकिन अन्य ऐसे उम्मीदवारों से भी विवि प्रशासन ने डिग्री के लिए मात्र 100 रुपए ही शुल्क लिया है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को नियमों से बाहर जाकर इतनी बड़ी राशि वसूलने का अधिकार नहीं है. मांग की गई कि याचिकाकर्ता से वसूली गई अतिरिक्त राशि उसे वापस कराई जाए. इस संबंध में मेडिकल यूनिवर्सिटी अधिकारियों का कहना है कि साल 2014 में बने अध्यादेश के हिसाब से संबंधित छात्र से फीस ली गई.

जबलपुर। जबलपुर निवासी डॉ. निश्चय सक्सेना ने याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है. परीक्षा परिणाम आने के बाद याचिकाकर्ता ने मेडिकल विश्वविद्यालय में डिग्री के लिए आवेदन किया. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने दलील दी कि डिग्री के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मात्र 100 रुपये का शुल्क निर्धारण किया गया है. लेकिन याचिकाकर्ता से डिग्री के लिए 3 लाख 65 हजार रुपए की मांग की गई.

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अतिरिक्त फीस वापस कराने की मांग : छात्र ने उच्चाधिकारियों से इस संबंध में चर्चा की, लेकिन अंतत: उसे इतनी राशि चुकानी पड़ी. अधिवक्ता संघी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता एनआरआई है, लेकिन अन्य ऐसे उम्मीदवारों से भी विवि प्रशासन ने डिग्री के लिए मात्र 100 रुपए ही शुल्क लिया है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को नियमों से बाहर जाकर इतनी बड़ी राशि वसूलने का अधिकार नहीं है. मांग की गई कि याचिकाकर्ता से वसूली गई अतिरिक्त राशि उसे वापस कराई जाए. इस संबंध में मेडिकल यूनिवर्सिटी अधिकारियों का कहना है कि साल 2014 में बने अध्यादेश के हिसाब से संबंधित छात्र से फीस ली गई.

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