जबलपुर। याचिकाकर्ता कल्लू लोधी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि अपराधिक रिकॉर्ड के आधार पर कलेक्टर छतरपुर ने साल 2018 में उसके खिलाफ जिलाबदर की कार्रवाई की थी. जिला कलेक्टर छतरपुर ने साल सितम्बर 2022 में भी पूर्व के आपराधिक रिकॉर्ड के आधार पर जिलाबदर की कार्रवाई कर दी. इस दौरान उसने कोई आपराधिक गतिविधि नहीं की. जिलाबदर की कार्रवाई के खिलाफ उसने संभागायुक्त सागर मुकेश कुमार शुक्ला के समक्ष अपील दायर की थी. संभागायुक्त उसकी अपील पर सुनवाई नहीं करते हुए लंबित रखे हुए थे.
आदेश नहीं मानने को गंभीरता से लिया : इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में उक्त याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि छतरपुर कलेक्टर का आदेश संविधान की धारा 20 का उल्लंधन है. याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संभागायुक्त सागर को 15 दिनों में अपील का निराकरण करने आदेश जारी किया था. दायर अवमानना याचिका में कहा गया था कि संभागायुक्त सागर को हाईकोर्ट के आदेश से अवगत करवाते हुए त्वरित सुनवाई के लिए 26 दिसम्बर 2022 को आवेदन भी पेश किया था. इसके बावजूद भी संभागायुक्त द्वारा प्रकरण का निराकरण नहीं किया गया. एकलपीठ ने हाईकोर्ट के आदेश की नाफरमानी को गंभीरता से लेते हुए संभागायुक्त सागर को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पैरवी की.
वर्ग 3 में अनुकंपा नियुक्ति की मांग : शैक्षणिक योग्यता के आधार पर वर्ग 3 में अनुकंपा नियुक्ति दिये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति स्वीकार करने के बाद उच्च पद के लिए दावा नहीं बनता है. याचिकाकर्ता केके पांडे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसके पिता सीधी जिले में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ थे. सेवाकाल के दौरान उसके पिता की मृत्यु जून 2009 को हुई थी. जिसके बाद उसने जिला विकासखंड में चपरासी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने आवेदन किया था. उसे चपरासी के पद में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी गयी. याचिका में कहा गया था कि उसकी शैक्षणिक योग्यता हायर सेकेण्डरी है. इसलिए उसे वर्ग 3 में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए. एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति स्वीकार करने के बाद उच्च पद के लिए आवेदक का दावा नहीं बनता है.
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शासकीय अधिवक्ता को निर्देश : पोर्टल बंद होने के कारण परियोजना आधारित प्रस्तावों का आवेदन नहीं कर पाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. याचिका में कहा गया था कि इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से पत्राचार किया गया था. संबंधित अधिकारियों की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया. जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने शासकीय अधिवक्ता को आदेशित किया है कि वह निर्देश प्राप्त कर जवाब पेश करें. रायसेन निवासी अमर सिह राजपूत की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि निधि निवेदिता मिशन संचालक राज्य उद्यानकी मिशन भोपाल द्वारा परियोजना आधारित प्रस्तावों के आवेदन प्राप्त करने एवं दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड करने कि व्यवस्था की गयी थी. इस संबंध में 16 नवंबर 22 को विज्ञापन जारी किया. आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 30 नवम्बर निर्धारित थी. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि उसके पास 2 एकड़ से अधिक जमीन है. वह आवेदन करने 30 नवम्बर को एमपी आनलाइन गया था. पोर्टल बंद होने के कारण वह आवेदन करने से वंचित रह गया.