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MP High Court फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामले में मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति को नोटिस

मध्यप्रदेश में फर्जी तथा नियम विरुद्ध तरीके से संचालित नर्सिंग कॉलेजों को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. इस दौरान मप्र नर्सिंग रजिस्टेशन काउंसिल की तरफ से स्टेटस रिपोर्ट पेश की गयी. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी तथा कुलपति को नोटिस जारी किये हैं.

MP High Court  Notice to Medical University
फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामले में मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति को नोटिस
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Published : Feb 17, 2023, 4:10 PM IST

जबलपुर। लॉ स्टूडेंट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गयी थी. मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने निरीक्षण के बाद इन कॉलजों की मान्यता दी थी. जबकि वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है, जो निर्धारिण मापदण्ड पूरा करता है. अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है.

कार्रवाई नहीं होने पर दायर की याचिका : नर्सिंग कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दिये जाने के आरोप में मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार को पद से हटा दिया गया था. फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित होने के संबंध में उन्होंने शिकायत की थी. शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गयी. याचिका में साथ ऐसे कॉलेज की सूची तथा फोटो प्रस्तुत किये गये थे. हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेज के मान्यता संबंधित ओरिजनल दस्तावेज पेश किये गए. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को दस्तावेज के निरीक्षण की अनुमति प्रदान की थी. निरीक्षण के बाद याचिकाकर्ता ने बताया कि दस्तावेजों से 37759 पेज गायब हैं तथा 80 कॉलेज ऐसे हैं, जिसमें एक व्यक्ति उसकी समय में कई स्थानों में काम कर रखा है.

ऐसी गड़बड़ियां बताईं : ये भी बताया गया कि दस कॉलेज में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य हैं और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ों किलोमीटर है. टीचिंग स्टॉफ भी एक समय में पांच-पांच कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहा था. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार ने शपथ-पत्र के साथ कार्रवाई रिपोर्ट पेश करते हुए बताया था कि जबलपुर तथा इंदौर के क्षेत्राधिकारी में आने वाले 94 नर्सिंग कॉलेज को निरीक्षण के बाद रिन्यूवल जारी नहीं किया गया है. नोटिस जारी करने के बावजूद इंफ्रास्टैक्चर तथा संसाधन के संबंध में जानकारी पेश करने करने वाले 93 नर्सिंग कॉलेज का रिन्यूवल निरस्त कर दिया गया है. निरीक्षण व सत्यापन के बाद साल 2021-22 में 49 नये कॉलेजों को अनुमति जारी की गयी है.

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फर्जी फैकल्टी का उल्लेख : युगलपीठ ने मप्र नर्सिंग रजिस्टेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किये थे. याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान मप्र नर्सिंग काउंसिल की तरफ से पांचवीं स्टेटस रिपोर्ट पेश की गयी. युगलपीठ को बताया गया कि वर्ष 2022-23 के लिए प्राप्त 723 आवेदन की जांच के बाद 491 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गयी है. साल 2020-21 तथा 2021-2022 में पाई गयी फर्जी फैकल्टी पर कार्रवाई के लिए पुलिस आयुक्त भोपाल को पत्र लिखा गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि साल 2020-21 तथा 2021-2022 में पाई गयी फर्जी फैकल्टी वाले कॉलेजों के खिलाफ दो लाख रुपये की जुर्मान तथा गड़बड़ी करने वाले कॉलेज के खिलाफ मान्यता निरस्त करने की कार्रवाई नहीं की गयी है. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी तथा कुलपति को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की.

जबलपुर। लॉ स्टूडेंट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गयी थी. मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने निरीक्षण के बाद इन कॉलजों की मान्यता दी थी. जबकि वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है, जो निर्धारिण मापदण्ड पूरा करता है. अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है.

कार्रवाई नहीं होने पर दायर की याचिका : नर्सिंग कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दिये जाने के आरोप में मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार को पद से हटा दिया गया था. फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित होने के संबंध में उन्होंने शिकायत की थी. शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गयी. याचिका में साथ ऐसे कॉलेज की सूची तथा फोटो प्रस्तुत किये गये थे. हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेज के मान्यता संबंधित ओरिजनल दस्तावेज पेश किये गए. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को दस्तावेज के निरीक्षण की अनुमति प्रदान की थी. निरीक्षण के बाद याचिकाकर्ता ने बताया कि दस्तावेजों से 37759 पेज गायब हैं तथा 80 कॉलेज ऐसे हैं, जिसमें एक व्यक्ति उसकी समय में कई स्थानों में काम कर रखा है.

ऐसी गड़बड़ियां बताईं : ये भी बताया गया कि दस कॉलेज में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य हैं और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ों किलोमीटर है. टीचिंग स्टॉफ भी एक समय में पांच-पांच कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहा था. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार ने शपथ-पत्र के साथ कार्रवाई रिपोर्ट पेश करते हुए बताया था कि जबलपुर तथा इंदौर के क्षेत्राधिकारी में आने वाले 94 नर्सिंग कॉलेज को निरीक्षण के बाद रिन्यूवल जारी नहीं किया गया है. नोटिस जारी करने के बावजूद इंफ्रास्टैक्चर तथा संसाधन के संबंध में जानकारी पेश करने करने वाले 93 नर्सिंग कॉलेज का रिन्यूवल निरस्त कर दिया गया है. निरीक्षण व सत्यापन के बाद साल 2021-22 में 49 नये कॉलेजों को अनुमति जारी की गयी है.

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फर्जी फैकल्टी का उल्लेख : युगलपीठ ने मप्र नर्सिंग रजिस्टेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किये थे. याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान मप्र नर्सिंग काउंसिल की तरफ से पांचवीं स्टेटस रिपोर्ट पेश की गयी. युगलपीठ को बताया गया कि वर्ष 2022-23 के लिए प्राप्त 723 आवेदन की जांच के बाद 491 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गयी है. साल 2020-21 तथा 2021-2022 में पाई गयी फर्जी फैकल्टी पर कार्रवाई के लिए पुलिस आयुक्त भोपाल को पत्र लिखा गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि साल 2020-21 तथा 2021-2022 में पाई गयी फर्जी फैकल्टी वाले कॉलेजों के खिलाफ दो लाख रुपये की जुर्मान तथा गड़बड़ी करने वाले कॉलेज के खिलाफ मान्यता निरस्त करने की कार्रवाई नहीं की गयी है. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी तथा कुलपति को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की.

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