जबलपुर। 6वीं बटालियन में पदस्थ हल्के भाई, संदीप कुमार व अन्य दो की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि पुलिस भर्ती 2016-17 में बड़े पैमाने में अनियमितताएं हुई हैं. भर्ती में आरक्षण नियमों को पालन नहीं किया गया है. अनारक्षित वर्ग में ओबीसी वर्ग के अभ्यार्थियों को नियुक्ति प्रदान की गयी और ओबीसी वर्ग के लिए निर्धारित सीट को रिक्त छोड दिया गया. पुलिस विभाग में कुल 12006 पदों के लिए नियुक्तियां निकाली गयी थी. जिसमें से 42 सौ पद सामान्य वर्ग के लिए तथा 1123 पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित थे.
कटऑफ मॉर्क्स 62 प्रतिशत वालों का चयन : याचिका में कहा गया था कि सामान्य वर्ग के लिए कटऑफ मॉर्क्स 79 प्रतिशत था. सामान्य वर्ग में ओबीसी वर्ग के लगभग 80 प्रतिशत अभ्यार्थियों का चयन किया गया. ओबीसी वर्ग के जिन अभ्यार्थियों का कटऑफ मॉर्क्स 62 प्रतिशत था, उनका चयन भी अनारक्षित वर्ग में किया गया था. इसके विपरित ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित 1123 पदों में 889 पदों पर नियुक्तिया नहीं की गईं. इसके अलावा जिन अभ्यार्थियों का कटऑफ मॉर्क्स 65 प्रतिशत था उसे ओबीसी वर्ग में नियुक्ति प्रदान की गयी। याचिका में कहा गया था कि वह ओबीसी वर्ग के अभ्यार्थी थे। उन्हें ओबीसी वर्ग में नियुक्ति प्रदान नहीं करते हुए अनारक्षित वर्ग के तहत 6 वी बटालियन में नियुक्ति प्रदान की गयी है। नियमानुसार उन्हें ओबीसी का लाभ देते हुए प्राथमिकता के आधार पर पुलिस बल, क्राइम ब्रांच में वरियता के आधार पर नियुक्ति प्रदान करनी चाहिए थी. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने पैरवी की.
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कर्मचारी को एरियर्स क्यों नहीं दिया : पदोन्नति प्रदान करने में गलती करने के बावजूद भी कर्मचारी को एरियर्स सहित अन्य लाभ नहीं दिये जाने को हाईकोर्ट में गंभीरता से लिया है. हाईकोर्ट जस्टिस आनंद पाठक की एकलपीठ ने एक माह की समय अवधि में याचिकाकर्ता कर्मचारी को 25 हजार रुपये हर्जाने के तौर पर प्रदान करने के निर्देश दिये हैं. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि उक्त रकम नगर निगम दोषी अधिकारियों से वसूलने स्वतंत्र है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि उक्त रकम नगर निगम दोषी अधिकारियों से वसूलने स्वतंत्र है. याचिकाकर्ता केके दुबे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसे साल 2011 में मुख्य स्वास्थ निरिक्षक के पद पर पदोन्नत किया गया था. नगर निगम के इस तरफ को कोई पद नही है. इस संबंध में उसने संभागायुक्त तथा नगरीय प्रशासन विभाग को अभ्यावेदन दिया था. अभ्यावेदन पर कार्यवाही करते हुए निगमायुक्त जबलपुर को वरिष्ठ स्वास्थ निरिक्षक के पद पर पदस्थ करने आदेश जारी किये गये थे. वरिष्ठ स्वास्थ अधिकारी पर पदोन्नत नहीं किये जाने पर उसने हाईकोर्ट की शरण ली थी. हाईकोर्ट ने उसके पक्ष में आदेश पारित किया था.