जबलपुर। केंद्र सरकार की आजीविका मिशन योजना में भ्रष्टाचार को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया है कि जांच में दोषी पाये गये व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर करवाने की अनुशंसा की गई थी. एक साल से अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेंदर सिंह की युगलपीठ ने जांच रिपोर्ट को याचिका के साथ संलग्न करने के आदेश जारी किए गए हैं. यचिका पर अगली सुनवाई 16 जनवरी को निर्धारित की गई है.
बीते 5 साल के भ्रष्टाचार का खुलासा : याचिकाकर्ता भूपेन्द्र कुमार प्रजापति की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि प्रदेश में पिछले पांच सालों में आजीविका मिशन के तहत हुए भ्रष्टाचार का खुलासा उनके द्वारा किया गया था. नियम विरुद्ध तरीके से साल 2017 में 29 जिलों में सूक्ष्य बीमा योजना के तहत महिलाओं के सेल्फ ग्रुप बनाकर बीमा के नाम पर 1 करोड 78 लाख रुपये की राशि एकत्र की गई थी. उक्त राशि बैंक में जमा नहीं की गई और किसी प्रकार का कोई बीमा नहीं करवाया गया. इसके अलावा राज्य परियोजना प्रबंधक सुषमा रानी ने फर्जी नियुक्ति दस्तावेज के आधार पर नियुक्ति पाई है.
तीन गुने दाम पर मशीनें खरीदीं : याचिका में कहा गया है कि योजना के तहत रोजगार के संसाधनों व मशीनों को निर्धारित से तीन गुने दाम में खरीदकर भ्रष्टाचार किया गया है. योजना के तहत की गई दो सौ से अधिक नियुक्यिां भी फर्जी तरीके से की गई हैं. जिसके बाद सीनियर आईएएस दिव्या मराव्या को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. जांच में शिकायतों को सही पाते हुए उन्होंने लगभग एक साल पहले मिशन के प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन वेलवाल, राज्य परियोजना प्रबंधक सुषमा रानी शुक्ला,सीनियर आईएएस प्रयंकादास एनआईआरडी हैदराबाद के संचालनक सहित अन्य के खिलाफ अपराधिक धोखाधड़ी व जालसाजी के संबंध में आपराधिक प्रकरण दर्ज करवाने की अनुशंसा की गई थी.
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विधासनभा में भी उठा था मामला : याचिका में कहा गया था कि इस संबंध में विधानसभा में भी प्रश्न उठाये गये थे. इसके बावजूद अभी तक दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह पैरवी कर रहे हैं. याचिका पर अगली सुनवाई 16 जनवरी को निर्धारित की गई है.