जबलपुर। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने लोक सेवा आयोग के निर्णय को सही ठहराया है. एकलपीठ ने कहा कि दोनों ही प्रश्नों के सही उत्तर चारों विकल्पों में थे ही नहीं. इसके साथ ही जबलपुर हाईकोर्ट की बेंच ने इंदौर व ग्वालियर के 17 उम्मीदवारों की याचिका क्षेत्राधिकार के आधार पर निरस्त कर दी. न्यायालय ने उन्हें सक्षम बेंच के समक्ष याचिका दायर करने की स्वतंत्रा दी है.
याचिका में ये तर्क दिए : जबलपुर निवासी रितिका पटेल व अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि उन्होंने मध्यप्रदेश में राज्य निर्वाचन आयोग कब अस्तित्व में आया तथा दूसरा प्रश्न भारत छोड़ो आंदोलन कब हुआ, इनके उत्तर सही दिये थे. यदि उक्त दोनों प्रश्नों को डिलीट नहीं किया जाता तो वे मुख्य परीक्षा के लिये पात्र होते. सुनवाई दौरान न्यायालय ने पाया कि पहले प्रश्न का उत्तर याचिकाकर्ताओं ने नौ अगस्त 1942 दिया और दूसरे का उत्तर एक फरवरी 1994 दिया था. मामले में विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई और हाईकोर्ट ने माना कि एनसीईआरटी की बुक में यह स्पष्ट है कि 8 अगस्त की आधी रात को आंदोलन शुरू हुआ था और नौ अगस्त को कांग्रेस लीडर महात्मा गांधी समेत अन्य नेता गिरफ्तार हुए थे.
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आयोग का फैसला सही माना : ये साफ हुआ कि जवाब 8 अगस्त है, जो विकल्प में नहीं था. इसलिए आयोग का फैसला सही है. वहीं दूसरे राज्य निर्वाचन आयोग के अस्तित्व के प्रश्न पर विशेषज्ञ कमेटी के पास आए दस्तावेज के आधार पर तय है कि अधिसूचना एक फरवरी को जारी हुई थी, वहीं 15 फरवरी को पहले आयुक्त की नियुक्ति के साथ वह अस्तित्व में आया. इसलिए आयोग का इन प्रश्न को डिलीट करना उचित है. जिस पर न्यायालय ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के निर्णय को सही ठहराते हुए दायर याचिकाएं खारिज कर दी.