जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलुवालिया की एकलपीठ ने कटनी जिला न्यायालय के आदेश को उचित करार देते हुए प्रदेश सरकार की अपील को खारिज कर दिया है. सरकार की तरफ से दायर की गई अपील में कहा गया था कि रानी अवंती वाई सिचाई परियोजना के लिए अनावेदन 57 व्यक्तियों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था. मूल्यांकन कमेटी द्वारा निर्धारित मुआवजा राशि अनावेदकों को प्रदान की गयी थी. निर्धारित मुआवजा राशि के खिलाफ अनावेदकों ने एडीजे कोर्ट कटनी के आवेदन दायर किया था. एडीजे कोर्ट ने उन्हें कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा देने के निर्देश दिये थे.
मूल्यांकन कमेटी ने मुआवजा राशि तय की थी : सरकार की तरफ से दायर की गयी अपील में कहा गया था कि कलेक्टर द्वारा गठित मूल्यांकन कमेटी ने मुआवजा राशि का निर्धारिण किया है. एकलपीठ ने सरकार की अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि निर्धारित नियम अनुसार जिला न्यायालय द्वारा पारित आदेश में कोई त्रुटि नहीं है. उधर, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा है कि धारा 311 का दुरुपयोग प्रकरण के निष्कर्ष को लंबित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. ठोस व वैध कारण होने पर न्यायालय को इसका प्रयोग करना चाहिए.
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याचिका खारिज की : हाईकोर्ट जस्टिस राजेन्द्र कुमार वर्मा ने उक्त आदेश के साथ पुनः परीक्षण के लिए गवाहों को बुलाये जाने की मांग संबंधित याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता प्रमोद कोल्ह की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उसके खिलाफ धारा 306, 34 के तहत प्रकरण न्यायालय में लंबित है. प्रकरण में तीन गवाहों को पुनः परीक्षण के लिए बुलाये जाने की मांग करते हुए उसने न्यायालय में धारा 311 के तहत आवेदन दायर किया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पाढुर्ना जिला छिंदवाडा ने उसके आवेदन को खारिज कर दिया था.