जबलपुर। प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के सदस्य जमील सहित 19 आरोपियों ने अंतरिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. एक अन्य सदस्य अब्दुल रूउफ ने मेडिकल ग्राउंड के आधार पर याचिका दायर की. हाईकोर्ट जस्टिस डी के पालीवार ने सुनवाई के बाद दोनों जमानत याचिकाओं को निरस्त कर दिया. जेल में बंद पीएफआई के 19 सदस्यों की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उनकी गिरफतारी में विधि प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. इसके अलावा उनके खिलाफ न्यायालय में चालान प्रस्तुत कर दिया गया है.
सरकार के उप महाधिवक्ता ने किया विरोध : याचिका में कहा गया था कि उन्हें अंतरित जमानत का लाभ प्रदान किया जाए. राज्य शासन की ओर से उप महाधिवक्ता ब्रह्मदत्त सिंह व शासकीय अधिवक्ता प्रदीप गुप्ता ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के सदस्य हैं. गिरफ्तारी के दौरान उनके पास से आपत्तिजनक सामग्री मिली है. वह देश के खिलाफ युद्ध तथा संविधान का विरोध कर रहे हैं. एसटीएफ व एटीएस ने जांच के बाद विगत वर्ष सितंबर में उन्हें गिरफ्तार किया था. देशद्रोह सहित अन्य धाराओं के अंतर्गत उनके खिलाफ अपराध पंजीबद्ध हैं.
सुनवाई के बाद याचिका खारिज : एकलपीठ को बताया गया कि जेल में अब्दुल रूउफ का मेडिकल सुविधा प्रदान की जा रहा है. मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्हें ऐसी कोई गंभीर बीमारी नहीं है. याचिकाकर्ताओं की तरफ से तर्क दिया गया कि प्रकरण में आरोपियों से रिमांड अवधि में की जा चुकी है. वे काफी समय से न्यायिक अभिरक्षा में हैं. लिहाजा, जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद दोनों जमानत याचिकाएं खारिज कर दी.
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग से जवाब मांगा : ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ नहीं दिये जाने के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका में कहा गया कि ईडब्ल्यूएस कोटे की सीट पर अन्य वर्ग के लोगों की भर्ती जारी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. दतिया निवासी प्रदीप कुमार गुप्ता तथा रायसेन निवासी दीपक कुमार शर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि वह ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थी के रूप में साल 2018 में आयोजित हाई स्कूल टीचर पात्रता परीक्षा में शामिल हुईं.
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याचिका में ये तर्क दिया : याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्होंने उक्त पात्रता परीक्षा में उर्त्तीण कर ली थी और वह नियुक्त का इंतजार कर रहे थे. सरकार द्वारा 17 हजार पदों पर नियुक्ति के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था. जिसमें से सिर्फ 8470 पदों पर नियुक्तियां की गईं. ईडब्ल्यूएस की लगभग 90 प्रतिशत पद रिक्त हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि नियुक्त अनुसार ईडब्ल्यूएस की सीट को बैकलॉक में नहीं डाल सकते हैं. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, आयुक्त डीपीआई तथा व्यवसायिक परीक्षा बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.