जबलपुर। मध्य प्रदेश में स्टेट मेन्टल हैल्थ अथॉरिटी (SMHA) का गठन नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि मानसिक स्वास्थ समीक्षा बोर्ड का गठन अभी तक नहीं किया गया है और पुलिस सहित अन्य संबंधित विभाग के कर्मचारियों को परिक्षण भी नहीं दिया गया है. इस संबंध में सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त करने के लिए चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने दो सप्ताह का समय प्रदान किया है.
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और हाईकोर्ट लीगल सर्विस कमेटी ने दायर की याचिका: गौरतलब है कि मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और हाईकोर्ट लीगल सर्विस कमेटी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रपति की मंजूरी 7 अप्रैल 2017 को मिलने के बाद प्रत्येक राज्य में स्टेट मेंटल हैल्थ अथॉरिटी का गठन 9 माह में होना था, लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं हुआ जो अवैधानिक है. याचिका में जबलपुर स्थित डुमना में मिली एक विक्षिप्त महिला को उपचार के लिए ग्वालियर भेजे जाने के घटना का भी उल्लेख किया गया था. (Jabalpur High court News)
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राज्य सरकार ने दी ये सफाई: याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार के तरफ से बताया गया था कि स्टेट मेंटल हैल्थ अथॉरिटी के गठन तथा उसके नियम के संबंध में सरकार द्वारा नोटीफिकेशन जारी कर दिया गया है. इंफ्रास्टेक्चर के लिए वित्त विभाग द्वारा बजट स्वीकृत कर दिया गया है. शासकीय अधिवक्ता की तरफ से इस संबंध में सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. युगलपीठ ने पूर्व में पारित आदेश का पालन नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए दो सप्ताह का समय प्रदान किया है. सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य अधिकारी व अधिवक्ता सत्यम अग्रवाल ने पैरवी की. (MP HC News) (Non constitution of State Mental Health Authority)