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अखिलेश्वरानंद गिरी का बयान,गौवंश पर सरकार की नीतियां फेल,अब नया फैसला ग्राम पंचायतें नहीं NGO चलाएंगे गौशाला

मध्यप्रदेश में गौशाला को लेकर आए दिन राजनीतिक बयानबाजियां सामने आती रहती है. वहीं इस बार एमपी गौपालन एवं पशु संवर्धन बॉर्ड के उपाध्यक्ष अखिलेश्वरानंद गिरी का बयान (akhileshwaranand giri statement) सामने आया है. जहां उन्होंने कहा कि पंचायतें नहीं बल्कि एनजीओ गौशालएं चलाएंगी.

mp gaushala
एमपी गौशाला
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Published : Nov 28, 2022, 4:39 PM IST

Updated : Nov 28, 2022, 6:15 PM IST

जबलपुर। कभी सियासी बयानबाजी का विषय तो कभी सत्ता के लिए संजीवनी का काम करने वाला गौवंश एक बार फिर सरकार की नीतियों में बदलाव की तस्वीर को देखने जा रहा है. कमलनाथ सरकार में मध्यप्रदेश के लिए 1 हजार गौशालाओं (mp gaushala) की सौगात की बात हो या फिर दोबारा सत्ता पर काबिज हुई शिवराज सरकार में 2 हजार और नई गौशालाओं के निर्माण की बात हो कुल 3000 गौशालाओं के निर्माणाधीन होने के साथ-साथ ग्राम पंचायतों को पांच एकड़ जमीन में गौशालाओं की स्थापना कर उसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई थी.

mp gaushala
एमपी गौशाला

गौशाला चलाना सरकार का काम नहीं: इससे पहले कि यह तस्वीर मूर्त रूप लेती कि एक बार फिर गौवंश को लेकर नए नियम कायदे तैयार हो गए हैं. सरकार ने फैसला लिया है कि अब तमाम गौशालाओं को एनजीओ यानी गैर राजनीतिक संगठन संचालित करेंगे. सरकार ने प्रति गाय के लिए पहले से ही 20 प्रतिदिन का खाना-पीना तय कर दिया था और 3 लाख गौवंश होने के दावे के साथ साल भर में 300 करोड़ के बजट की दरकार बताई थी. अब मध्य प्रदेश गोपालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वर नंद गिरी का नया बयान सामने आ गया है (akhileshwaranand giri statement). उनका कहना है कि गौशाला चलाना पहली बात तो सरकार का काम नहीं है. सरकार सिर्फ अपने हिस्से का काम करेगी. चूंकि ग्राम पंचायतें भी अनुभव ना होने के चलते गौशालाओं का संचालन नहीं कर पा रही हैं, ऐसे में NGO के हवाले गौशालाओं को करने का निर्णय किया गया है (NGO run gaushala in mp).

अखिलेश्वरानंद गिरी का बयान

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एनजीओ के सुपुर्द किए गए गौशाला: फिलहाल 627 गौशालाओं को एनजीओ के सुपुर्द कर दिया है, जिन्हें प्रति गाय 20 प्रतिदिन के लिहाज से अनुदान की दरकार है. उन्होंने बताया कि बोर्ड द्वारा सरकार को प्रदेश के तीन लाख गौवंश के लिए 300 करोड़ के बजट की मांग की गई थी. जिसमें सरकार ने 211 करोड़ मंजूर किए. 190 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई, लेकिन अब तक सिर्फ 90 करोड़ की राशि ही उन्हें मिल पाई है. जिसे तमाम एनजीओ( NGO) को और गौशालाओं को बतौर 3 महीने की किस्त अनुदान दे दिया गया है, लेकिन अब भी बचे हुए पैसों की दरकार लंबे समय से चल रही है. क्योंकि गौशाला संचालित करने वाले एनजीओ अब विचलित हो रहे हैं. गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में फिलहाल 1760 गौशालाएं अस्तित्व में आ चुकी हैं, जिनमें से 627 गौशाला एनजीओ के हवाले हैं.

जबलपुर। कभी सियासी बयानबाजी का विषय तो कभी सत्ता के लिए संजीवनी का काम करने वाला गौवंश एक बार फिर सरकार की नीतियों में बदलाव की तस्वीर को देखने जा रहा है. कमलनाथ सरकार में मध्यप्रदेश के लिए 1 हजार गौशालाओं (mp gaushala) की सौगात की बात हो या फिर दोबारा सत्ता पर काबिज हुई शिवराज सरकार में 2 हजार और नई गौशालाओं के निर्माण की बात हो कुल 3000 गौशालाओं के निर्माणाधीन होने के साथ-साथ ग्राम पंचायतों को पांच एकड़ जमीन में गौशालाओं की स्थापना कर उसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई थी.

mp gaushala
एमपी गौशाला

गौशाला चलाना सरकार का काम नहीं: इससे पहले कि यह तस्वीर मूर्त रूप लेती कि एक बार फिर गौवंश को लेकर नए नियम कायदे तैयार हो गए हैं. सरकार ने फैसला लिया है कि अब तमाम गौशालाओं को एनजीओ यानी गैर राजनीतिक संगठन संचालित करेंगे. सरकार ने प्रति गाय के लिए पहले से ही 20 प्रतिदिन का खाना-पीना तय कर दिया था और 3 लाख गौवंश होने के दावे के साथ साल भर में 300 करोड़ के बजट की दरकार बताई थी. अब मध्य प्रदेश गोपालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वर नंद गिरी का नया बयान सामने आ गया है (akhileshwaranand giri statement). उनका कहना है कि गौशाला चलाना पहली बात तो सरकार का काम नहीं है. सरकार सिर्फ अपने हिस्से का काम करेगी. चूंकि ग्राम पंचायतें भी अनुभव ना होने के चलते गौशालाओं का संचालन नहीं कर पा रही हैं, ऐसे में NGO के हवाले गौशालाओं को करने का निर्णय किया गया है (NGO run gaushala in mp).

अखिलेश्वरानंद गिरी का बयान

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एनजीओ के सुपुर्द किए गए गौशाला: फिलहाल 627 गौशालाओं को एनजीओ के सुपुर्द कर दिया है, जिन्हें प्रति गाय 20 प्रतिदिन के लिहाज से अनुदान की दरकार है. उन्होंने बताया कि बोर्ड द्वारा सरकार को प्रदेश के तीन लाख गौवंश के लिए 300 करोड़ के बजट की मांग की गई थी. जिसमें सरकार ने 211 करोड़ मंजूर किए. 190 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई, लेकिन अब तक सिर्फ 90 करोड़ की राशि ही उन्हें मिल पाई है. जिसे तमाम एनजीओ( NGO) को और गौशालाओं को बतौर 3 महीने की किस्त अनुदान दे दिया गया है, लेकिन अब भी बचे हुए पैसों की दरकार लंबे समय से चल रही है. क्योंकि गौशाला संचालित करने वाले एनजीओ अब विचलित हो रहे हैं. गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में फिलहाल 1760 गौशालाएं अस्तित्व में आ चुकी हैं, जिनमें से 627 गौशाला एनजीओ के हवाले हैं.

Last Updated : Nov 28, 2022, 6:15 PM IST
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