जबलपुर। वो मां जो चाहकर भी अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिला पाती है और इस वजह से नवजात को वो पोषण तत्व नहीं मिल पाते जो मां के दूध के जरिए उन्हें मिलने चाहिए, ऐसे बच्चों के लिए राज्य सरकार ने एक सराहनीय पहल की है. जिसके तहत अस्पताल में 'ब्रेस्ट मिल्क बैंक' बनाया जाएगा, ताकि नवजात को मां का दूध मिल सके. इसके लिए एमपी के जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती (लेडी एल्गिन) अस्पताल में पायलट प्रोजेक्ट (MP first Breast Milk Bank) की शुरूआत होगी. यूनिसेफ ने भी इसके लिए हामी भर दी है, एक रिपोर्ट.
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इसलिए खास है 'मदर मिल्क बैंक'
जबलपुर के रानी दुर्गावती हॉस्पिटल को यूनिसेफ ने ब्रेस्ट मिल्क बैंक के लिए चुना है. शनिवार को नेशनल हेल्थ मिशन के साथ जबलपुर के डॉक्टरों की टीम ने रानी दुर्गावती अस्प्ताल का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान यह तय किया गया कि जल्द ही लेडी एल्गिन अस्पताल (Mother Milk Bank at Lady Elgin Hospital) में मदर मिल्क बैंक बनेगा. यह मिल्क बैंक उन मां के बच्चो के लिए अमृत साबित होगा, जिन्हें दूध नहीं हो पाता है. इस मिल्क बैंक में वो मां अपना दूध डोनेट कर सकती है, जिनको अधिक दूध निकलता है. मिल्क बैंक में दूध को प्रिजर्व करके रखा जाएगा. और इस योजना का लाभ सभी लोग ले सकते है.
डिब्बे वाले दूध से नवजात को मिलेगी निजात
कई मां ऐसी होती हैं, जिनको प्रसव के बाद दूध कम आता है और वो ठीक तरीके से ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा पातीं. ऐसे में वो अपने बच्चे को भरपेट फीड नहीं करवा पाती हैं. ऐसे में उन्हें न चाहते हुए भी बच्चे को डिब्बे का दूध पिलाना पड़ता है, जिसका असर बच्चे के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. वहीं कई बार प्रिमैच्योर बेबी की मां पर्याप्त दूध देने में असमर्थ हो जाती है. कई कारणों से शिशुओं को माताओं से अलग किया जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए ब्रेस्ट मिल्क बैंक की शुरूआत हो रही है. मदर मिल्क बैंक को लेकर ज्वॉइंट डायरेक्टर डॉ संजय मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि यूनिसेफ के साथ मिलकर नेशनल हेल्थ मिशन इस प्रोजेक्ट में काम कर रहा है. एनएचएम की भोपाल से दो सदस्य टीम आई हुई है, उन्होंने स्थान चयन कर लिया है. माना जा रहा है कि दो माह के भीतर मिल्क बैंक बनकर तैयार हो जाएगा.
गौरतलब है कि रानी दुर्गावती हॉस्पिटल संभाग का सबसे बड़ा अस्प्ताल है. यहां रोजना 50 से ज्यादा गर्भवती भर्ती होती हैं और रोज 30 से ज्यादा डिलेवरी होती है. कहा जा सकता है कि 'मदर मिल्क बैंक' प्रोजेक्ट निश्चित रूप से यहां भर्ती होने वाली मां और बच्चों के लिए मील का पत्थर साबित होगा.