जबलपुर। नरसिंहपुर जिले की नरसिंहपुर विधानसभा सीट इस समय न केवल महाकौशल अंचल बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है. क्योंकि यहां से भारतीय जनता पार्टी के नेता और वर्तमान में दमोह से सांसद प्रहलाद पटेल चुनाव मैदान में हैं. प्रहलाद पटेल के खिलाफ कांग्रेस की ओर से लाखन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा गया है. यहां शुरुआत में तो प्रहलाद पटेल एकतरफा तेजी बनाए हुए थे लेकिन अब लाखन सिंह के प्रचार-प्रसार शुरू करने के बाद मामला लगभग बराबरी पर आ गया है और लंबे समय से प्रहलाद पटेल का नरसिंहपुर से दूर रहना उन्हें नुकसान भी पहुंचा रहा है.
आदिवासी चेहरा फग्गन सिंह कुलस्ते : महाकौशल अंचल में दूसरी सीट जिस पर सबकी निगाहें बनी हुई है, वह मंडला विधानसभा की निवास सीट. यहां से भारतीय जनता पार्टी के बड़े आदिवासी चेहरे फग्गन सिंह कुलस्ते को चुनाव मैदान में उतर गया है. कुलस्ते का मुकाबला चैन सिंह बरकडे से हो रहा है. चैन सिंह बरकडे की निवास विधानसभा सीट में अच्छी पैठ है. वह निवास नगर पंचायत के अध्यक्ष रहे हैं और एक बार मंडला जिला पंचायत के अध्यक्ष रह चुके हैं. ऐसी स्थिति में कुलस्ते के लिए भी यह मुकाबला एक तरफा नहीं है. हालांकि आदिवासी सीधा और सरल समाज होता है. यह दिमाग से नहीं, दिल से कम लेता है और उसके दिल में कौन है, यह अभी किसी को नहीं दिख रहा.
बीजेपी के राकेश सिंह के सामने तरुण भनोट : जबलपुर पश्चिम विधानसभा भी इस समय प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है. यहां से भारतीय जनता पार्टी के सांसद राकेश सिंह को चुनाव मैदान में उतर गया है. हालांकि राकेश सिंह को जिस दिन से टिकट मिला है, उसी दिन से उन्होंने पश्चिम विधानसभा सीट के बाहर कदम नहीं रखा. वे केवल पूरी तरह से अपनी विधानसभा सीट पर ही फोकस किए हुए हैं. एक-एक कार्यकर्ता से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में जो चर्चाएं हैं, उनमें भारतीय जनता पार्टी के भीतर ही राकेश सिंह की कार्यकर्ताओं से दूरी एक बड़ा फैक्टर माना जा रहा है. इसलिए राकेश सिंह उसे दूरी को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी तरफ उनके खिलाफ चुनाव मैदान में कांग्रेस के नेता तरुण भनोट हैं. तरुण भनोट इसी विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके हैं. उनकी जनता में अच्छी पकड़ है. भारतीय जनता पार्टी की सनातन की राजनीति इस विधानसभा क्षेत्र में काम नहीं कर पाती, क्योंकि तरुण भानोट भी लगातार धार्मिक कार्यों में लग रहे.
गाडरवारा विधानसभा सीट : भारतीय जनता पार्टी ने अपनी किलेबंदी में होशंगाबाद लोकसभा के सांसद उदय प्रताप सिंह को गाडरवारा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया है. शुरुआत में उदय प्रताप सिंह के लिए यह सीट कठिन साबित हो रही थी, क्योंकि यहां पर भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक गोविंद सिंह के लड़के गौतम सिंह का टिकट काटकर राव उदय प्रताप को टिकट दिया गया था. वहीं कांग्रेस ने मौजूदा विधायक सुनीता पटेल को ही चुनाव मैदान में उतारा लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण हावी हो गया है. सुनीता पटेल और गौतम सिंह कौरव जाति के हैं और जनता में यह संदेश चला गया कि कौरव जाति हर हाल में अपना विधायक बनना चाहती है. इसलिए इस विधानसभा क्षेत्र की बाकी जातियों ने गोलबंदी करके उदय प्रताप सिंह के साथ हमजोली कर ली है. इसलिए राव उदय प्रताप सिंह को चुनाव कुछ सरल होता हुआ नजर आ रहा है.
सीधी विधानसभा सीट से रीति पाठक : महाकौशल के साथ ही विंध्य में भी भारतीय जनता पार्टी ने दो सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा है. इसमें सबसे कमजोर स्थिति में रीति पाठक नजर आ रही हैं, क्योंकि रीति पाठक का उतना अच्छा जनाधार नहीं है और पेशाब कांड की वजह से दरकिनार किए गए नेता केदार शुक्ला ने भी नामांकन भर दिया है. ऐसी स्थिति में सीधी का चुनाव त्रिकोणीय हो गया है. रीति पाठक और केदार शुक्ला के साथ ही यहां कांग्रेस की ओर से ज्ञान सिंह चुनाव मैदान में हैं हालांकि ज्ञान सिंह के लिए यह चुनाव नया है, लेकिन कांग्रेस ने सर्वे के आधार पर ज्ञान सिंह की टिकट फाइनल की है. इसलिए रीति पाठक के लिए यह चुनाव बहुत कठिन है.
सतना सीट से सांसद गणेश सिंह : सतना विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने गणेश सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. गणेश सिंह सतना लोकसभा क्षेत्र से 2004 से लगातार सांसद हैं. उन्हें विधानसभा की टिकट दे दी गई है. गणेश सिंह का कहना है कि वह विकास के आधार पर चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ कांग्रेस ने सिद्धार्थ कुशवाहा को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी की सोच है कि यदि ये सांसद चुनाव जीत गए तो तो बहुत नुकसान नहीं होगा लेकिन यदि ये सांसद चुनाव हार गए तो 2024 में भी भारतीय जनता पार्टी को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, जब लोकसभा के लिए भी नए चेहरे उतारने होंगे.