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इस सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच है कांटे का मुकाबला, कोई किसी पर पड़ सकता है भारी

जबलपुर लोकसभा सीट के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी हुई है. हालांकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस सीट पर मोदी फैक्टर ने काम किया है.

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Published : May 22, 2019, 2:03 PM IST

विवेक तन्खा और राकेश सिंह

जबलपुर। महाकौशल अंचल की जबलपुर लोकसभा सीट के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी हैं क्योंकि यहां बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह का मुकाबला कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा से है. जिससे ये सीट प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट मानी जा रही है. हालांकि, जबलपुर के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोदी फैक्टर के चलते इस बार इस सीट पर बीजेपी का पलड़ा कांग्रेस से भारी नजर आ रहा है.

जबलपुर सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में कड़ा मुकाबला

बीजेपी प्रत्याशी राकेश सिंह इस सीट से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं, 2014 के चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस के विवेक तन्खा को हराया था, जबकि इस बार भी उनका सामना तन्खा से ही है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबलपुर की आठ सीटों में से चार पर जीत दर्ज की थी. यही वजह है कि इस बार यहां कांग्रेस उत्साहित नजर आई है.

विधानसभा चुनाव में एंटी इनकंबेसी खत्म
पिछले विधानसभा चुनाव में जो वोट पड़े थे, यदि उस पर नजर डालें तो 2014 के चुनाव में हार-जीत का अंतर ढाई लाख वोटों का था, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में ये अंतर घटकर लगभग 40000 रह गया और पहले जहां जबलपुर में भारतीय जनता पार्टी के 6 विधायक थे. वह घटकर चार हो गये. हालांकि, विधानसभा चुनाव से इतर लोकसभा चुनाव के मुद्दे अलग थे.

मुद्दों की लड़ाई
बीजेपी-कांग्रेस में इस बार जबलपुर के मुद्दों की लड़ाई भी दिखी. यही एक फैक्टर है जहां कांग्रेस मजबूत नजर आती है, चुनाव के दौरान कांग्रेस जनता तक अपनी बात पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, फिर भी बीजेपी की अपेक्षा अपनी बातें जनता तक नहीं पहुंचा पायी.

योजनाओं का असर
केंद्र की प्रधानमंत्री आवास योजना का ग्रामीण इलाके में खासा असर दिखा, इसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों का बड़ा तबका बीजेपी के पक्ष में खड़ा नजर आया. वहीं किसानों की कर्ज माफी की वजह से किसान कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाते नजर आए, लेकिन लोकसभा चुनाव के चलते कर्ज माफी सही ढंग से लागू नहीं हो पाई, इसलिए इसका असर कम नजर आया. भले ही माहौल बीजेपी के पक्ष में नजर आ रहा है, लेकिन चुनाव के परिणाम केवल गणित के आधार पर हल नहीं किये जा सकते.

जबलपुर। महाकौशल अंचल की जबलपुर लोकसभा सीट के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी हैं क्योंकि यहां बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह का मुकाबला कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा से है. जिससे ये सीट प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट मानी जा रही है. हालांकि, जबलपुर के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोदी फैक्टर के चलते इस बार इस सीट पर बीजेपी का पलड़ा कांग्रेस से भारी नजर आ रहा है.

जबलपुर सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में कड़ा मुकाबला

बीजेपी प्रत्याशी राकेश सिंह इस सीट से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं, 2014 के चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस के विवेक तन्खा को हराया था, जबकि इस बार भी उनका सामना तन्खा से ही है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबलपुर की आठ सीटों में से चार पर जीत दर्ज की थी. यही वजह है कि इस बार यहां कांग्रेस उत्साहित नजर आई है.

विधानसभा चुनाव में एंटी इनकंबेसी खत्म
पिछले विधानसभा चुनाव में जो वोट पड़े थे, यदि उस पर नजर डालें तो 2014 के चुनाव में हार-जीत का अंतर ढाई लाख वोटों का था, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में ये अंतर घटकर लगभग 40000 रह गया और पहले जहां जबलपुर में भारतीय जनता पार्टी के 6 विधायक थे. वह घटकर चार हो गये. हालांकि, विधानसभा चुनाव से इतर लोकसभा चुनाव के मुद्दे अलग थे.

मुद्दों की लड़ाई
बीजेपी-कांग्रेस में इस बार जबलपुर के मुद्दों की लड़ाई भी दिखी. यही एक फैक्टर है जहां कांग्रेस मजबूत नजर आती है, चुनाव के दौरान कांग्रेस जनता तक अपनी बात पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, फिर भी बीजेपी की अपेक्षा अपनी बातें जनता तक नहीं पहुंचा पायी.

योजनाओं का असर
केंद्र की प्रधानमंत्री आवास योजना का ग्रामीण इलाके में खासा असर दिखा, इसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों का बड़ा तबका बीजेपी के पक्ष में खड़ा नजर आया. वहीं किसानों की कर्ज माफी की वजह से किसान कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाते नजर आए, लेकिन लोकसभा चुनाव के चलते कर्ज माफी सही ढंग से लागू नहीं हो पाई, इसलिए इसका असर कम नजर आया. भले ही माहौल बीजेपी के पक्ष में नजर आ रहा है, लेकिन चुनाव के परिणाम केवल गणित के आधार पर हल नहीं किये जा सकते.

Intro:मोदी फैक्टर की वजह से जबलपुर लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी की झोली में जाती हुई नजर आ रही है


Body:2019 लोकसभा चुनाव जबलपुर के परिणाम का मुद्दों के आधार पर विश्लेषण
मोदी फैक्टर
देश की ही तरह जबलपुर में भी मोदी फैक्टर तेजी से काम कर रहा है दरअसल जबलपुर पहले ही बीजेपी का एक बड़ा गढ़ रहा है शहर में आर एस एस कि मानने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है इसलिए मोदी फैक्टर जबलपुर में तेजी से काम किया वहीं इस बार सोशल मीडिया की वजह से महिलाएं बच्चे और बुजुर्ग मोदी के पक्ष में नजर आए मोदी फैक्टर की वजह से बीजेपी जबलपुर में जीतने की स्थिति में है

उम्मीदवारों का फैक्टर
जबलपुर में भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा सांसद राकेश सिंह को चुनाव मैदान में उतारा राकेश सिंह मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष है और तीन बार से जबलपुर के सांसद रह चुके हैं वहीं कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद विवेक तंखा को मैदान में उतारा विवेक तंखा जाने माने वकील हैं कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सांसद हैं हालांकि पिछला चुनाव राकेश सिंह से ही लगभग ढाई लाख मतों से हार गए थे बीते 5 सालों में विवेक तंखा ने अपनी छवि सुधारने की बहुत कोशिश की दरअसल विवेक तंखा ज्यादातर समय दिल्ली में रहते हैं और जबलपुर के लोगों से सीधी मुलाकात कम हो पाती है इसलिए जबलपुर के लोग उन्हें बहुत करीब नहीं मानते उम्मीदवारों के स्तर पर मुकाबला कांटे का है पिछले चुनाव के नतीजों के हिसाब से देखा जाए तो थोड़ा सा पडला भारतीय जनता पार्टी का भारी है

विधानसभा चुनाव मै एंटी इनकंबेंसी खत्म
विधानसभा चुनाव में जो वोट पड़े थे यदि हम उस पर नजर डालें तो 2014 के चुनाव में जो अंतर ढाई लाख का था 2018 के विधानसभा चुनाव में वह अंतर घटकर लगभग 40000 वोट का रह गया और पहले जहां जबलपुर में भारतीय जनता पार्टी के छह विधायक थे वहां अब दोनों ही पार्टियों के चार चार विधायक हो गए तो ग्राफ कांग्रेसका ऊपर जाता हुआ नजर आता है लेकिन कांग्रेस उम्मीदवारों ने विधानसभा चुनाव में वोट पाने के लिए किया था वह लोकसभा चुनाव में नजर नहीं आया वहीं प्रदेश सरकार से नाराजगी का गुस्सा लोगों ने विधानसभा चुनाव में दिखा दिया इसलिए यहां कांग्रेस का ग्राफ और ऊपर जाएगा ऐसी उम्मीद नहीं जताई जा रही है लिहाजा एक बार फिर इस मुद्दे पर भी बीजेपी आगे नजर आ रही है

मुद्दों की लड़ाई
केवल एक यही फेक्टर है जहां कांग्रेस मजबूत नजर आती है जबलपुर के लोकसभा चुनाव में प्रचार प्रसार में कांग्रेस ने अपनी बात जनता तक पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जहां देश में अलग अलग नारे चल रहे थे वहीं जबलपुर में राकेश सिंह के तकिया कलाम मेरा विषय नहीं है पर कांग्रेस ने पूरी लड़ाई लड़ी और कांग्रेस ने जनता तकिया बात पहुंचाई कि राकेश सिंह की वजह से जबलपुर पिछड़ गया राकेश सिंह ने भी प्रचार-प्रसार में कोई कमी नहीं छोड़ी लेकिन राकेश सिंह अपना काम जनता को दिखाने में थोड़े कमजोर नजर आए इस मुद्दे पर जनता कांग्रेस के पक्ष में खड़ी नजर आई जहां कांग्रेस मजबूत नजर आती है

योजनाओं का असर
प्रधानमंत्री आवास योजना का ग्रामीण इलाके में खासा असर था इस योजना की वजह से गांव में रहने वाला गरीबों का बड़ा तबका बीजेपी के पक्ष में खड़ा नजर आया वहीं किसानों की कर्ज माफी की वजह से गांव में किसान कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाते नजर आए लेकिन कर्ज माफी सही ढंग से लागू नहीं हो पाई इसलिए इसका असर कम नजर आया चुकी आवास योजना गरीबों के लिए है और गरीबी ज्यादा है इसलिए यहां थोड़ा सा माहौल भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नजर आता है



Conclusion:भले ही माहौल भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नजर आ रहा है लेकिन चुनाव के परिणाम केवल गणित के आधार पर हल नहीं किया जा सकता और ईवीएम में क्या बंद है यह तो गिनती के बाद ही पता चलेगा
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