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जबलपुर के मिनी स्विट्जरलैंड 'पायली' को विकास की आस, बन सकता है टूरिज्म हब

जबलपुर का मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाना वाला टूरिस्ट स्पॉट पायली इन दिनों बदहाल है और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने के की राह तक रहा है, इस जगह को की प्राकृतिक खूबसूरती को टूरिज्म फ्रैंडली बनाने के लिए काफी कुछ किया जा सकता है लेकिन अब तक ऐसा कुछ भी किया नहीं गया है.

JABALPUR
जबलपुर का मिनी स्विजरलैंड पायली
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Published : Nov 19, 2020, 6:01 PM IST

Updated : Nov 19, 2020, 8:24 PM IST

जबलपुर। अगर आप प्रकृति से प्रेम करते हैं, तो मध्य प्रदेश का जबलपुर शहर आपको खूब लुभाएगा. जबलपुर प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है. यहां आने के बाद पर्यटक तारीफ किए बिना नहीं रहते. इतना सब कुछ शहर में होने के बाद भी पर्यटन फायदे का सौदा नहीं बन पा रहा. क्योंकि टूरिज्म सेक्टर बेहद कमजोर है. टूरिज्म डेवलपमेंट का प्लान कागजों में ही सिमट कर रह गया है. कुछ ऐसा ही हाल शहर के पायली का है, जो शहर का मिनी स्विट्जरलैंड माना जाता है.

पायली को है विकास की आस

बरगी बांध के कैचमेंट एरिया में बसा पायली गांव जलाशय के बीच में स्थित है, जहां कई टापू बने हुए हैं. पायली को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो यह मध्य प्रदेश का नया पर्यटन हब भी बन सकता है. प्रकृति की गोद में बसे पायली में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. जिसे देखते हुए करीब तीन साल पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे खंडवा के हनुवंतिया की तर्ज पर विकसित करने की घोषणा की थी. लेकिन इस घोषणा पर अमल करने की सुध न तो जनप्रतिनिधियों ने ली और न ही नौकरशाहों ने. यही वजह है कि बरगी बांध से लगे पायली का यह इलाका आज भी बदहाल है.

JABALPUR
जबलपुर का मिनी स्विट्जरलैंड 'पायली'

हनुवंतिया और पायली में है कई समानताएं

हनुवंतिया को मध्य प्रदेश का स्विट्जरलैंड माना जाता है. हनुवंतिया और पायली के प्राकृतिक सौंदर्य की काफी समानताएं हैं. लेकिन सरकार ने हनुवंतिया का तो भरपूर विकास किया और पायली को उसके हाल पर छोड़ दिया. जिसके चलते यहां पर्यटन की सुविधाएं नदारद हैं. इलाके के लोगों से लेकर दूरदराज क्षेत्रों से पहुंचने वाले सैलानी यहां के सौंदर्य की जमकर तारीफ तो करते हैं. साथ ही सरकार की उदासीनता को भी जमकर कोसते नजर आते हैं.

JABALPUR
जबलपुर का मिनी स्विट्जरलैंड 'पायली'

पायली के विकास का सपना अधूरा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा को यहां के बाशिंदे अब भी नहीं भूले हैं. जब नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान वे पायली पहुंचे थे और उन्होंने इसे हनुवंतिया की तर्ज पर विकसित करने का सपना दिखाया था. पायली की जनसंख्या 270 है, जहां 70 परिवार बसते हैं और यहां के लोगों को उम्मीद जागी थी कि पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित होने से उनके रोजगार के क्षेत्र बढ़ जाएंगे. साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी, लेकिन उनका सपना अधूरा ही रह गया.

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जबलपुर का मिनी स्विट्जरलैंड 'पायली'

अनुमति लेने में निकल गए कई साल

पायली को हनुवंतिया की तरह पर्यटन क्षेत्र के रूप में डेवलप करने सीएम ने अधिकारियों को प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिए थे, लेकिन जानकारों की मानें तो पायली क्षेत्र रिजर्व फॉरेस्ट में आता है. इसलिए किसी भी तरह के निर्माण के लिए वन मंत्रालय स्टेट और सेंट्रल की परमिशन लेना होगी. बिना अनुमति पर्यटन क्षेत्र नहीं विकसित किया जा सकता और इसकी प्रक्रिया में ही वर्षों निकल गए. जिला कलेक्टर कर्मवीर शर्मा का कहना है कि इस मामले में उन्हें कोई भी जानकारी नहीं है.

जबलपुर। अगर आप प्रकृति से प्रेम करते हैं, तो मध्य प्रदेश का जबलपुर शहर आपको खूब लुभाएगा. जबलपुर प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है. यहां आने के बाद पर्यटक तारीफ किए बिना नहीं रहते. इतना सब कुछ शहर में होने के बाद भी पर्यटन फायदे का सौदा नहीं बन पा रहा. क्योंकि टूरिज्म सेक्टर बेहद कमजोर है. टूरिज्म डेवलपमेंट का प्लान कागजों में ही सिमट कर रह गया है. कुछ ऐसा ही हाल शहर के पायली का है, जो शहर का मिनी स्विट्जरलैंड माना जाता है.

पायली को है विकास की आस

बरगी बांध के कैचमेंट एरिया में बसा पायली गांव जलाशय के बीच में स्थित है, जहां कई टापू बने हुए हैं. पायली को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो यह मध्य प्रदेश का नया पर्यटन हब भी बन सकता है. प्रकृति की गोद में बसे पायली में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. जिसे देखते हुए करीब तीन साल पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे खंडवा के हनुवंतिया की तर्ज पर विकसित करने की घोषणा की थी. लेकिन इस घोषणा पर अमल करने की सुध न तो जनप्रतिनिधियों ने ली और न ही नौकरशाहों ने. यही वजह है कि बरगी बांध से लगे पायली का यह इलाका आज भी बदहाल है.

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जबलपुर का मिनी स्विट्जरलैंड 'पायली'

हनुवंतिया और पायली में है कई समानताएं

हनुवंतिया को मध्य प्रदेश का स्विट्जरलैंड माना जाता है. हनुवंतिया और पायली के प्राकृतिक सौंदर्य की काफी समानताएं हैं. लेकिन सरकार ने हनुवंतिया का तो भरपूर विकास किया और पायली को उसके हाल पर छोड़ दिया. जिसके चलते यहां पर्यटन की सुविधाएं नदारद हैं. इलाके के लोगों से लेकर दूरदराज क्षेत्रों से पहुंचने वाले सैलानी यहां के सौंदर्य की जमकर तारीफ तो करते हैं. साथ ही सरकार की उदासीनता को भी जमकर कोसते नजर आते हैं.

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जबलपुर का मिनी स्विट्जरलैंड 'पायली'

पायली के विकास का सपना अधूरा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा को यहां के बाशिंदे अब भी नहीं भूले हैं. जब नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान वे पायली पहुंचे थे और उन्होंने इसे हनुवंतिया की तर्ज पर विकसित करने का सपना दिखाया था. पायली की जनसंख्या 270 है, जहां 70 परिवार बसते हैं और यहां के लोगों को उम्मीद जागी थी कि पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित होने से उनके रोजगार के क्षेत्र बढ़ जाएंगे. साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी, लेकिन उनका सपना अधूरा ही रह गया.

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जबलपुर का मिनी स्विट्जरलैंड 'पायली'

अनुमति लेने में निकल गए कई साल

पायली को हनुवंतिया की तरह पर्यटन क्षेत्र के रूप में डेवलप करने सीएम ने अधिकारियों को प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिए थे, लेकिन जानकारों की मानें तो पायली क्षेत्र रिजर्व फॉरेस्ट में आता है. इसलिए किसी भी तरह के निर्माण के लिए वन मंत्रालय स्टेट और सेंट्रल की परमिशन लेना होगी. बिना अनुमति पर्यटन क्षेत्र नहीं विकसित किया जा सकता और इसकी प्रक्रिया में ही वर्षों निकल गए. जिला कलेक्टर कर्मवीर शर्मा का कहना है कि इस मामले में उन्हें कोई भी जानकारी नहीं है.

Last Updated : Nov 19, 2020, 8:24 PM IST
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