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MP Food Poisoning: महिला शिक्षक थी तीज का व्रत, तो बिना टेस्ट किए बच्चों को खिलाया खाना, करीब 100 से ज्यादा छात्र हुए बीमार - जबलपुर में बिना टेस्ट किए बच्चों को खाना खिलाया

जबलपुर के एकलव्य स्कूल में बीते दिन फूड पॉइजनिंग का शिकार हुए बच्चों में कुछ की तबीयत खराब ही है. खाद्य विभाग के अधिकारी खाने का सैंपल लेने स्कूल पहुंचे. जबकि प्रिसिंपल ने मामले में अपनी बीमारी का बहाना बताते हुए अटपटा जवाद दिया.

Jabalpur food poisoning case
जबलपुर फूड पॉइजनिंग का मामला
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 19, 2023, 5:23 PM IST

Updated : Sep 19, 2023, 6:42 PM IST

बिना टेस्ट कराए बच्चों को खिलाया खाना

जबलपुर। जिले के रामपुर छापर की एकलव्य आवासीय विद्यालय में करीब 100 बच्चे फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गए थे. जब बच्चे बीमार हुए तो उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ता कराया गया था. वहीं इस मामले जोर पकड़ लिया है, तो वहीं दूसरी तरफ इतने बड़े मामले को लेकर महिला प्रिंसिपल के माथे पर शिकन तक देखने नहीं मिली. प्रिंसिपल गीता साहू ने घटनाक्रम की जिम्मेदारी ली है. वहीं इस घटना के बाद बच्चों और परिजनों में आक्रोश है. बीमार बच्चे अभी भी जबलपुर के अलग-अलग सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं.

5 करोड़ का बजट: रामपुर छापर के एकलव्य आवासीय विद्यालय के छात्रों के लिए केंद्र सरकार की ओर से 5 करोड़ रुपए का बजट आता है. इसमें लगभग ढाई करोड़ रुपए तनख्वाह में खर्च करने के लिए दिया जाता है, बाकी ढाई करोड़ रुपए से इन बच्चों के खाने-पीने और रहने की व्यवस्था का इंतजाम किया जाता है. इस पूरे इंतजाम का जम्मा इस आवासीय विद्यालय के प्रिंसिपल गीता साहू के ऊपर है.

कुछ बच्चों की फिर तबीयत बिगड़ी: रामपुर छापर के आवासीय विद्यालय में आज भी स्थितियां सामान्य नहीं हो पाई हैं. जो बच्चे सरकारी अस्पतालों में भर्ती थे, उनमें से कुछ की छुट्टी हो गई है. वहीं कुछ बच्चों को अभी भी तकलीफ बनी हुई है. इन्हें छुट्टी करवा के हॉस्टल लाया गया, तो वह दोबारा बेहोश हो गए. इन्हीं में से एक लड़की के बेहोश हो जाने के बाद यहां पर हंगामा की स्थिति बन गई. उसे आनन-फानन में दोबारा अस्पताल पहुंचाया गया.

स्कूल प्रशासन ने नहीं दी बच्चों के परिजन को जानकारी: स्कूल में हुई लापरवाही की हद तो तब हो गई, जब बीमार बच्चों के बारे में उनके माता-पिता को स्कूल प्रबंधन की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई. परिवार के लोगों को अपने बच्चों की बीमार होने की जानकारी खबर के माध्यम से लगी. तब मंडला-डिंडोरी और दूरदराज के इलाके के लोग जबलपुर भागते हुए आए.

Food poisoning in Jabalpur
प्रदर्शन करते बच्चे

खाने के सैंपल जब्त किए गए: घटना के लगभग 12 घंटे बाद प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची. जिसके बाद खाने के सैंपल लिए जा रहे हैं. यहां खाद्य विभाग के साथ ही प्रशासनिक अधिकारी ने जांच कर बयान दर्ज कराए.

यहां पढ़ें...

खाने की जांच करने वाली महिला का था व्रत: जिस महिला शिक्षक को खाने की टेस्टिंग की जिम्मेदारी दी गई थी. बीते दिन उसका हरतालिका तीज का उपवास था. इसलिए उसने खाने को टेस्ट नहीं किया था.

प्रिंसिपल ने कहा जांच हो रही है: वहीं मामले में स्कूल की प्रिंसिपल गीता साहू का कहना है कि "उनकी ओर से कोई गलती नहीं हुई है, लेकिन वह इस घटनाक्रम के बारे में कोई जानकारी देना नहीं चाहते, क्योंकि अब सरकार इसकी जांच करवा रही है. जांच के बाद ही दोषी का पता लगेगा. यहां पढ़ रहे बच्चों ने बताया कि "उनके खाने में बिल्कुल भी गुणवत्ता नहीं रहती. उन्हें बाजार की सबसे सस्ती सब्जी खिलाई जाती है. उस सब्जी में भी क्वालिटी का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा जाता. इसलिए जो घटना सामने आई है. उसे पर कोई आश्चर्य नहीं है.

बिना टेस्ट कराए बच्चों को खिलाया खाना

जबलपुर। जिले के रामपुर छापर की एकलव्य आवासीय विद्यालय में करीब 100 बच्चे फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गए थे. जब बच्चे बीमार हुए तो उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ता कराया गया था. वहीं इस मामले जोर पकड़ लिया है, तो वहीं दूसरी तरफ इतने बड़े मामले को लेकर महिला प्रिंसिपल के माथे पर शिकन तक देखने नहीं मिली. प्रिंसिपल गीता साहू ने घटनाक्रम की जिम्मेदारी ली है. वहीं इस घटना के बाद बच्चों और परिजनों में आक्रोश है. बीमार बच्चे अभी भी जबलपुर के अलग-अलग सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं.

5 करोड़ का बजट: रामपुर छापर के एकलव्य आवासीय विद्यालय के छात्रों के लिए केंद्र सरकार की ओर से 5 करोड़ रुपए का बजट आता है. इसमें लगभग ढाई करोड़ रुपए तनख्वाह में खर्च करने के लिए दिया जाता है, बाकी ढाई करोड़ रुपए से इन बच्चों के खाने-पीने और रहने की व्यवस्था का इंतजाम किया जाता है. इस पूरे इंतजाम का जम्मा इस आवासीय विद्यालय के प्रिंसिपल गीता साहू के ऊपर है.

कुछ बच्चों की फिर तबीयत बिगड़ी: रामपुर छापर के आवासीय विद्यालय में आज भी स्थितियां सामान्य नहीं हो पाई हैं. जो बच्चे सरकारी अस्पतालों में भर्ती थे, उनमें से कुछ की छुट्टी हो गई है. वहीं कुछ बच्चों को अभी भी तकलीफ बनी हुई है. इन्हें छुट्टी करवा के हॉस्टल लाया गया, तो वह दोबारा बेहोश हो गए. इन्हीं में से एक लड़की के बेहोश हो जाने के बाद यहां पर हंगामा की स्थिति बन गई. उसे आनन-फानन में दोबारा अस्पताल पहुंचाया गया.

स्कूल प्रशासन ने नहीं दी बच्चों के परिजन को जानकारी: स्कूल में हुई लापरवाही की हद तो तब हो गई, जब बीमार बच्चों के बारे में उनके माता-पिता को स्कूल प्रबंधन की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई. परिवार के लोगों को अपने बच्चों की बीमार होने की जानकारी खबर के माध्यम से लगी. तब मंडला-डिंडोरी और दूरदराज के इलाके के लोग जबलपुर भागते हुए आए.

Food poisoning in Jabalpur
प्रदर्शन करते बच्चे

खाने के सैंपल जब्त किए गए: घटना के लगभग 12 घंटे बाद प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची. जिसके बाद खाने के सैंपल लिए जा रहे हैं. यहां खाद्य विभाग के साथ ही प्रशासनिक अधिकारी ने जांच कर बयान दर्ज कराए.

यहां पढ़ें...

खाने की जांच करने वाली महिला का था व्रत: जिस महिला शिक्षक को खाने की टेस्टिंग की जिम्मेदारी दी गई थी. बीते दिन उसका हरतालिका तीज का उपवास था. इसलिए उसने खाने को टेस्ट नहीं किया था.

प्रिंसिपल ने कहा जांच हो रही है: वहीं मामले में स्कूल की प्रिंसिपल गीता साहू का कहना है कि "उनकी ओर से कोई गलती नहीं हुई है, लेकिन वह इस घटनाक्रम के बारे में कोई जानकारी देना नहीं चाहते, क्योंकि अब सरकार इसकी जांच करवा रही है. जांच के बाद ही दोषी का पता लगेगा. यहां पढ़ रहे बच्चों ने बताया कि "उनके खाने में बिल्कुल भी गुणवत्ता नहीं रहती. उन्हें बाजार की सबसे सस्ती सब्जी खिलाई जाती है. उस सब्जी में भी क्वालिटी का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा जाता. इसलिए जो घटना सामने आई है. उसे पर कोई आश्चर्य नहीं है.

Last Updated : Sep 19, 2023, 6:42 PM IST

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