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जबलपुर की महारानी के नाम से प्रसिद्ध मन्नत की महाकाली, दर्शनों के लिए दूसरे राज्यों से आते हैं भक्त

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Published : Oct 25, 2020, 2:23 PM IST

जबलपुर में पिछले 56 वर्षों से मां काली की प्रतिमा की स्थापना हो रही है. वहीं इस बार भी यहां पंडाल बड़ी खुबसूरती से सजाया गया है, जिसे देखने लोग दूर-दूर से आ रहे हैं. वहीं ऐसे में कितना कोविड गाइडलाइन का पालन हो पाता है ये बड़ा सवाल है.

Mannat ki mahakali in Jabalpur
जबलपुर में मन्नत की महाकाली

जबलपुर। संस्कारधानी में शारदीय नवरात्रि की धूम बेहद खूबसूरत और भव्य दिखाई दे रही है. वहीं कोरोना का भी लोगों में डर और भय बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहा है और माता के दर्शन के लिए लोग अपने घरों से निकल रहे हैं. ऐसे में कई लोग न तो सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रख रहे हैं और ना ही मास्क पहन कर निकल रहे हैं.

Mannat ki mahakali in Jabalpur
मन्नत की महाकाली के पांंडालों में भक्तों की भीड़

संस्कारधानी में जबलपुर की महारानी के नाम से प्रसिद्ध पड़ाव की मन्नत वाली महाकाली के दर्शनों के लिए भक्तों की भारी भीड़ एकत्रित हो रही है. लटकारी के पड़ाव में स्थापित भव्य महाकाली प्रतिमा, जिन्हें शहरवासी जबलपुर की महारानी के नाम से पुकारते हैं. यहां पिछले 56 वर्षों से प्रतिमा की स्थापना हो रही है. कहते हैं कि मोहल्ले के 4 लड़कों ने सबसे पहले काली मां की प्रतिमा की स्थापना की थी और आज महाकाली के दर्शनों के लिए नागपुर, गुजरात व देश के दूसरे स्थानों से भी श्रद्धालु आते हैं.

सबसे बड़ी खासियत ये है कि पड़ाव की महाकाली का विसर्जन शरद पूर्णिमा पर किया जाता है. प्रतिमा दोपहर 2 बजे पड़ाव से चलना शुरू करती है और दूसरे दिन सुबह 10 बजे तक विसर्जन हो पाता है. सिंगल मूर्ति के जुलूस में लाखों लोग सड़क पर पूरी रात खड़े होकर मां का दर्शन करते हैं. भीड़ के कारण पड़ाव से ग्वारीघाट तक 5 किलोमीटर की दूरी पूरी करने में 16 से 17 घंटे का समय लग जाता है. वहीं इस बार कोरोना की गाइडलाइन के चलते इस समारोह में कम लोगों को शामिल किए जाने के आदेश हैं, अब देखना होगा कि लोगों की लापरवाही के बीच ये नियम कितने फॉलो हो पाते हैं.

लोगों में नहीं है कोरोना का डर

नवरात्रि के चलते लोगों में कोरोना का डर जैसे खत्म हो गया है, शहर में बने पांडलों के बाहर लोगों की जमकर भीड़ दिखाई दे रही है, ऐसे में ना ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहे हैं और ना ही अन्य नियमों का पालन करते दिखाई दे रहे हैं.

जबलपुर। संस्कारधानी में शारदीय नवरात्रि की धूम बेहद खूबसूरत और भव्य दिखाई दे रही है. वहीं कोरोना का भी लोगों में डर और भय बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहा है और माता के दर्शन के लिए लोग अपने घरों से निकल रहे हैं. ऐसे में कई लोग न तो सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रख रहे हैं और ना ही मास्क पहन कर निकल रहे हैं.

Mannat ki mahakali in Jabalpur
मन्नत की महाकाली के पांंडालों में भक्तों की भीड़

संस्कारधानी में जबलपुर की महारानी के नाम से प्रसिद्ध पड़ाव की मन्नत वाली महाकाली के दर्शनों के लिए भक्तों की भारी भीड़ एकत्रित हो रही है. लटकारी के पड़ाव में स्थापित भव्य महाकाली प्रतिमा, जिन्हें शहरवासी जबलपुर की महारानी के नाम से पुकारते हैं. यहां पिछले 56 वर्षों से प्रतिमा की स्थापना हो रही है. कहते हैं कि मोहल्ले के 4 लड़कों ने सबसे पहले काली मां की प्रतिमा की स्थापना की थी और आज महाकाली के दर्शनों के लिए नागपुर, गुजरात व देश के दूसरे स्थानों से भी श्रद्धालु आते हैं.

सबसे बड़ी खासियत ये है कि पड़ाव की महाकाली का विसर्जन शरद पूर्णिमा पर किया जाता है. प्रतिमा दोपहर 2 बजे पड़ाव से चलना शुरू करती है और दूसरे दिन सुबह 10 बजे तक विसर्जन हो पाता है. सिंगल मूर्ति के जुलूस में लाखों लोग सड़क पर पूरी रात खड़े होकर मां का दर्शन करते हैं. भीड़ के कारण पड़ाव से ग्वारीघाट तक 5 किलोमीटर की दूरी पूरी करने में 16 से 17 घंटे का समय लग जाता है. वहीं इस बार कोरोना की गाइडलाइन के चलते इस समारोह में कम लोगों को शामिल किए जाने के आदेश हैं, अब देखना होगा कि लोगों की लापरवाही के बीच ये नियम कितने फॉलो हो पाते हैं.

लोगों में नहीं है कोरोना का डर

नवरात्रि के चलते लोगों में कोरोना का डर जैसे खत्म हो गया है, शहर में बने पांडलों के बाहर लोगों की जमकर भीड़ दिखाई दे रही है, ऐसे में ना ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहे हैं और ना ही अन्य नियमों का पालन करते दिखाई दे रहे हैं.

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