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MP के इस जिले में बापू ने लिखी थी हरिजन आंदोलन की पटकथा, 'अछूतों' के दिलों के बने थे सम्राट

2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 151वीं जयन्ती मनाई जाएगी. इस अवसर पर आपको मध्यप्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर से जुड़ी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यादों के बारे में बता रहे हैं. देश के दिल में बसी संस्कारधानी में बापू कई बार गए थे. यहां आज भी बापू से जुड़ी स्मृतियां संभालकर रखी गई हैं, देखिए ये रिपोर्ट.....

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Published : Sep 30, 2020, 8:41 PM IST

Mahatma Gandhi Jabalpur connection
हरिजन आंदोलन

जबलपुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी देश के दिल में बसी संस्कारधानी यानि जबलपुर कई बार गए थे. यहां आज भी बापू से जुड़ी स्मृतियां संभालकर रखी गई हैं. गांधीजी की 151वीं जयंती पर हम आपको जबलपुर से जुड़ी बापू की यादों से रु-ब-रु करा रहे हैं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी असहयोग आंदोलन और राष्ट्रीय आंदोलन में जागृति लाने के लिए देश भर का दौरा कर रहे थे. इसी दौरान वे साल 1933 में जबलपुर भी गए थे. जहां पहली बार उन्होंने दलितों के लिए हरजिन शब्द का इस्तेमाल किया था. जबलपुर से ही गांधीजी ने हरिजन आंदोलन की पटकथा भी लिखी थी, जब उनके कदम जबलपुर में पड़े तो सभी में उत्साह था और उनका जोरदार स्वागत किया गया था..

MP के इस जिले में बापू ने लिखी थी हरिजन आंदोलन की पटकथा

जब बापू ने हरिजनों को कराया था मंदिर प्रवास

जबलपुर से गांधी के रिश्ते पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट बापू से जुड़ी यादों पर प्रोफेसर जेपी मिश्रा बताते हैं कि गांधी जी ने जबलपुर के काली मंदिर में और साठिया कुआं के पास मौजूद लक्ष्मी नारायण मंदिर में हरिजनों को प्रवेश दिलवाया और उनसे पूजा करवाई. भारतीय इतिहास में यह बहुत महत्वपूर्ण दिन था, क्योंकि भारत में हरिजनों को मंदिर में प्रवेश करने की वजह से कई बार कत्ल तक कर दिया गया था. इतिहास में कई बार ऐसी जानकारियां हैं, जब हरिजनों ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की तो उन्हें सजाएं भोगनी पड़ीं, लेकिन जैसे ही जबलपुर में मंदिरों में हरिजनों को प्रवेश दिया गया तो एक सामाजिकता की लहर पैदा हुई. इसके बाद गांधीजी जहां भी गए उन्होंने हरिजनों के साथ मंदिरों में पूजा की.

Mahatma Gandhi started Harijan movement
जबलपुर के साठिया कुआं में अभी भी यह लक्ष्मी नारायण मंदिर

जबलपुर के बाद पूरे देश में हरिजनों को मिला पूजा का अधिकार

जबलपुर के साठिया कुआं में अभी भी यह लक्ष्मी नारायण मंदिर हैं. हालांकि अब यहां पर बहुत ज्यादा पूजा पाठ नहीं होती और यह चारों तरफ से घनी बस्ती से घिर गया है, वहीं सदर के काली मंदिर के आस-पास के लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र के भतीजे प्रोफेसर जे पी मिश्रा लंबे समय तक जबलपुर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर रहे हैं. उनका कहना है कि यह वही काली मंदिर है, जिसमें पहली बार हरिजनों को प्रवेश किया गया था. गांधी जी का यह हरिजन आंदोलन बाद में पूरे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में एक बड़े सामाजिक और धार्मिक परिवर्तन के रूप में पहचाना गया, बल्कि इसके बाद पूरे देश में हरिजनों को मंदिरों में प्रवेश और पूजा का अधिकार मिला और समाज में लोगों के बीच से दूरियां घटी हालांकि कुछ जगहों पर इसका विरोध भी हुआ.

Mahatma Gandhi started Harijan movement
काली मंदिर

समाज पर पड़ा सकारात्मक प्रभाव

प्रोफेसर जेपी मिश्रा का कहना है कि इसके अलावा भी गांधीजी कई बार जबलपुर आए हैं, लेकिन वे बहुत प्रभावी यात्राएं नहीं थी, लेकिन हरिजन आंदोलन की वजह से न सिर्फ गांधीजी के जीवन में गहरा असर हुआ बल्कि समाज पर भी इसका बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा.

Mahatma Gandhi started Harijan movement
काली मंदिर में पूजा करते लोग

अछूतों के दिलों के सम्राट बने थे गांधीजी

गांधी तीन से आठ दिसंबर 1933 तक जबलपुर के प्रवास पर थे. इसी दौरान जबलपुर में कांग्रेस कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसमें ज्यादातर बड़े नेता मौजूद थे. इस बैठक में गांधी ने हरिजन आंदोलन की भूमिका तैयार की थी. यहां गांधी ने जिंदगी के उतार-चढ़ाव को भी महसूस किया था, क्योंकि यहीं से अछूतों को 'भगवान' का दर्जा देकर वह अछूतों के दिलों के सम्राट बन गए..

Mahatma Gandhi started Harijan movement
महात्मा गांधी से जुड़े यादें

जबलपुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी देश के दिल में बसी संस्कारधानी यानि जबलपुर कई बार गए थे. यहां आज भी बापू से जुड़ी स्मृतियां संभालकर रखी गई हैं. गांधीजी की 151वीं जयंती पर हम आपको जबलपुर से जुड़ी बापू की यादों से रु-ब-रु करा रहे हैं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी असहयोग आंदोलन और राष्ट्रीय आंदोलन में जागृति लाने के लिए देश भर का दौरा कर रहे थे. इसी दौरान वे साल 1933 में जबलपुर भी गए थे. जहां पहली बार उन्होंने दलितों के लिए हरजिन शब्द का इस्तेमाल किया था. जबलपुर से ही गांधीजी ने हरिजन आंदोलन की पटकथा भी लिखी थी, जब उनके कदम जबलपुर में पड़े तो सभी में उत्साह था और उनका जोरदार स्वागत किया गया था..

MP के इस जिले में बापू ने लिखी थी हरिजन आंदोलन की पटकथा

जब बापू ने हरिजनों को कराया था मंदिर प्रवास

जबलपुर से गांधी के रिश्ते पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट बापू से जुड़ी यादों पर प्रोफेसर जेपी मिश्रा बताते हैं कि गांधी जी ने जबलपुर के काली मंदिर में और साठिया कुआं के पास मौजूद लक्ष्मी नारायण मंदिर में हरिजनों को प्रवेश दिलवाया और उनसे पूजा करवाई. भारतीय इतिहास में यह बहुत महत्वपूर्ण दिन था, क्योंकि भारत में हरिजनों को मंदिर में प्रवेश करने की वजह से कई बार कत्ल तक कर दिया गया था. इतिहास में कई बार ऐसी जानकारियां हैं, जब हरिजनों ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की तो उन्हें सजाएं भोगनी पड़ीं, लेकिन जैसे ही जबलपुर में मंदिरों में हरिजनों को प्रवेश दिया गया तो एक सामाजिकता की लहर पैदा हुई. इसके बाद गांधीजी जहां भी गए उन्होंने हरिजनों के साथ मंदिरों में पूजा की.

Mahatma Gandhi started Harijan movement
जबलपुर के साठिया कुआं में अभी भी यह लक्ष्मी नारायण मंदिर

जबलपुर के बाद पूरे देश में हरिजनों को मिला पूजा का अधिकार

जबलपुर के साठिया कुआं में अभी भी यह लक्ष्मी नारायण मंदिर हैं. हालांकि अब यहां पर बहुत ज्यादा पूजा पाठ नहीं होती और यह चारों तरफ से घनी बस्ती से घिर गया है, वहीं सदर के काली मंदिर के आस-पास के लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र के भतीजे प्रोफेसर जे पी मिश्रा लंबे समय तक जबलपुर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर रहे हैं. उनका कहना है कि यह वही काली मंदिर है, जिसमें पहली बार हरिजनों को प्रवेश किया गया था. गांधी जी का यह हरिजन आंदोलन बाद में पूरे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में एक बड़े सामाजिक और धार्मिक परिवर्तन के रूप में पहचाना गया, बल्कि इसके बाद पूरे देश में हरिजनों को मंदिरों में प्रवेश और पूजा का अधिकार मिला और समाज में लोगों के बीच से दूरियां घटी हालांकि कुछ जगहों पर इसका विरोध भी हुआ.

Mahatma Gandhi started Harijan movement
काली मंदिर

समाज पर पड़ा सकारात्मक प्रभाव

प्रोफेसर जेपी मिश्रा का कहना है कि इसके अलावा भी गांधीजी कई बार जबलपुर आए हैं, लेकिन वे बहुत प्रभावी यात्राएं नहीं थी, लेकिन हरिजन आंदोलन की वजह से न सिर्फ गांधीजी के जीवन में गहरा असर हुआ बल्कि समाज पर भी इसका बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा.

Mahatma Gandhi started Harijan movement
काली मंदिर में पूजा करते लोग

अछूतों के दिलों के सम्राट बने थे गांधीजी

गांधी तीन से आठ दिसंबर 1933 तक जबलपुर के प्रवास पर थे. इसी दौरान जबलपुर में कांग्रेस कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसमें ज्यादातर बड़े नेता मौजूद थे. इस बैठक में गांधी ने हरिजन आंदोलन की भूमिका तैयार की थी. यहां गांधी ने जिंदगी के उतार-चढ़ाव को भी महसूस किया था, क्योंकि यहीं से अछूतों को 'भगवान' का दर्जा देकर वह अछूतों के दिलों के सम्राट बन गए..

Mahatma Gandhi started Harijan movement
महात्मा गांधी से जुड़े यादें
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