जबलपुर। मध्य प्रदेश स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बिहार से भी बुरी स्थिति में हैं. यह जानकारी प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य सचिव ने केंद्र सरकार के साथ हुई बैठक में दी. इधर कोरोना आपदा मामले में आज मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक अहम सुनवाई हुई.
बिहार से भी बदतर है मध्य प्रदेश
हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव ने कुछ आंकड़े प्रस्तुत किए, जो उन्होंने कोरोना वायरस की दूसरी लहर शुरू होने के पहले केंद्र सरकार के सामने रखे थे. यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं. प्रदेश के 31 जिलों में आईसीयू नहीं हैं. देश में मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश ही केवल एक ऐसा राज्य हैं, जिसकी हालत इतनी बुरी है. बिहार की हालत भी मध्य प्रदेश से कहीं बेहतर हैं. वहीं 16 जिले ऐसे हैं, जहां वेंटिलेटर ही नहीं हैं.
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एक दर पर हो वसूली
सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र की हैसियत से वरिष्ठ वकील नमन नागरथ ने हाईकोर्ट के सामने एक सुझाव रखा. उन्होंने कहा कि इलाज के दौरान कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को लूटा जा रहा हैं. इसलिए कोर्ट राज्य सरकार को आदेशित करें कि या तो सुविधाओं के हिसाब से अस्पतालों को श्रेणी वध किया जाए. साथ ही एक ही श्रेणी की अलग-अलग अस्पतालों को एक दर तय करने के लिए कहा जाए, ताकि आम आदमियों के साथ लूट न हो सकें.
वेंटिलेटर चालू करों
नमन नागरथ ने हाईकोर्ट के सामने दूसरा आवेदन पेश किया, जिसमें यह मांग की गई कि पीएम केयर्स फंड के जरिए जिलों को जो वेंटीलेटर्स मिले थे, उनकी स्थिति राज्य सरकार से पूछी जाए. अगली सुनवाई में राज्य सरकार यह बताए कि आखिर वह अब तक चालू क्यों नहीं किए गए हैं ?.