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MP GOVT ने अभी तक लागू नहीं किया संशोधित मोटर व्हीकल एक्टस हाई कोर्ट ने दो सप्ताह का समय दिया - संशोधित मोटर व्हीकल एक्टस हाई कोर्ट

ऑटो रिक्शा चालकों द्वारा सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने तथा यातायात नियमों का पालन नहीं करने के खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर हैं. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विषाल मिश्रा युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान नाराजगी वक्त करते हुए कहा कि याचिका विगत दस सालों से लंबित हैं. सरकार सिर्फ खानापूरी के लिए कार्रवाई कागज में करती है. युगलपीठ ने सरकार को पूर्व में पेश हलफनामे के अनुसार कार्रवाई के लिए दो सप्ताह का समय प्रदान किया है. (MP Motor Vehicle Acts) (Amended Motor Vehicle Acts) (High Court given two weeks time)

Amended Motor Vehicle Acts
संशोधित मोटर व्हीकल एक्टस हाई कोर्ट ने दो सप्ताह का समय दिया
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Published : Nov 2, 2022, 7:45 PM IST

Updated : Nov 2, 2022, 8:02 PM IST

जबलपुर। अधिवक्ता सतीश वर्मा और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से दायर याचिकाओं में कहा गया है कि शहर की सड़कों पर बेखौफ होकर चलने वाले ऑटो लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं. ऐसे ऑटो न सिर्फ शहर की यातायात व्यवस्था चौपट करते हैं, बल्कि इस हद तक सवारियों को बैठाते हैं कि हमेशा उनकी जान का खतरा बना रहता है. सवारी बैठाने के लिए ऑटो चालक बीच सडक में कभी भी वाहन रोक देते हैं. शहर की सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने वाले ऑटो के संचालन को लेकर कई बार सवाल उठे, लेकिन जिला प्रशासन अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा पाने में नाकाम रहा है.

पूर्व में हुई सुनवाई में ये बताया था : पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था इंदौर में 10 हजार तथा भोपाल में 15 हजार ऑटो बिना परमिट संचालित हो रहे हैं. ऑटो संचालन के प्रावधान के तहत अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रतिधंटा निर्धारित की गयी है. ऑटो में व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम अनिर्वाय होगा, जो परिवाहन विभाग के सेंट्रल इंट्रीग्रेशन लिंक होगा. इसके अलावा परमिट, क्षेत्रीय परिवाहन प्राधिकारियों तथा चालकों के कर्तव्य व आचारण भी निर्धारित किये गये हैं. प्रदेश भर में दस साल पुराने ऑटो-डीजल रिक्शा को परमीट जारी नहीं किया जायेगा. ऐसे ऑटो रिक्शा को सीएनजी में प्रतिस्थापित किया जायेगा. ये सारे नियम बनाए गए हैं.

जेल के अंदर कैदियों तक मादक पदार्थ की सप्लाई मामले में हाईकोर्ट में दायर याचिका ली वापस

ट्रॉसपोर्ट कमिश्नर को लगाई थी फटकार : पूर्व में याचिका की सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए ट्रॉसपोर्ट कमिश्नर को न्यायालय ने जमकर फटकार लगाते हुए तल्ख शब्दों में कहा था कि पुलिस व ट्रांसपोर्ट विभाग कार्रवाई नहीं कर सकते तो न्यायालय किसी दूसरी एजेंसी को नियुक्त कर दे. न्यायालय लापरवाही पर बरतने पर उन्हें कार्यमुक्त भी कर सकती है. अधिकारी न्यायालय के आदेशों को गंभीरता से नहीं लेते हैं. इसलिए उक्त याचिका साल 2013 से लंबित है. युगलपीठ ने चेतवानी देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसा बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आदित्य संघी तथा अधिवक्ता सतीष वर्मा ने पैरवी की. (MP Motor Vehicle Acts) (Amended Motor Vehicle Acts) (High Court given two weeks time)

जबलपुर। अधिवक्ता सतीश वर्मा और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से दायर याचिकाओं में कहा गया है कि शहर की सड़कों पर बेखौफ होकर चलने वाले ऑटो लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं. ऐसे ऑटो न सिर्फ शहर की यातायात व्यवस्था चौपट करते हैं, बल्कि इस हद तक सवारियों को बैठाते हैं कि हमेशा उनकी जान का खतरा बना रहता है. सवारी बैठाने के लिए ऑटो चालक बीच सडक में कभी भी वाहन रोक देते हैं. शहर की सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने वाले ऑटो के संचालन को लेकर कई बार सवाल उठे, लेकिन जिला प्रशासन अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा पाने में नाकाम रहा है.

पूर्व में हुई सुनवाई में ये बताया था : पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था इंदौर में 10 हजार तथा भोपाल में 15 हजार ऑटो बिना परमिट संचालित हो रहे हैं. ऑटो संचालन के प्रावधान के तहत अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रतिधंटा निर्धारित की गयी है. ऑटो में व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम अनिर्वाय होगा, जो परिवाहन विभाग के सेंट्रल इंट्रीग्रेशन लिंक होगा. इसके अलावा परमिट, क्षेत्रीय परिवाहन प्राधिकारियों तथा चालकों के कर्तव्य व आचारण भी निर्धारित किये गये हैं. प्रदेश भर में दस साल पुराने ऑटो-डीजल रिक्शा को परमीट जारी नहीं किया जायेगा. ऐसे ऑटो रिक्शा को सीएनजी में प्रतिस्थापित किया जायेगा. ये सारे नियम बनाए गए हैं.

जेल के अंदर कैदियों तक मादक पदार्थ की सप्लाई मामले में हाईकोर्ट में दायर याचिका ली वापस

ट्रॉसपोर्ट कमिश्नर को लगाई थी फटकार : पूर्व में याचिका की सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए ट्रॉसपोर्ट कमिश्नर को न्यायालय ने जमकर फटकार लगाते हुए तल्ख शब्दों में कहा था कि पुलिस व ट्रांसपोर्ट विभाग कार्रवाई नहीं कर सकते तो न्यायालय किसी दूसरी एजेंसी को नियुक्त कर दे. न्यायालय लापरवाही पर बरतने पर उन्हें कार्यमुक्त भी कर सकती है. अधिकारी न्यायालय के आदेशों को गंभीरता से नहीं लेते हैं. इसलिए उक्त याचिका साल 2013 से लंबित है. युगलपीठ ने चेतवानी देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसा बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आदित्य संघी तथा अधिवक्ता सतीष वर्मा ने पैरवी की. (MP Motor Vehicle Acts) (Amended Motor Vehicle Acts) (High Court given two weeks time)

Last Updated : Nov 2, 2022, 8:02 PM IST
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