जबलपुर। राज्य सरकार और प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी प्रदेश में कुपोषण खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और एफ.ए.ओ की 2018 की रिपोर्ट कुपोषण की जो तस्वीर बयां कर रही है वो वेहद चौकाने वाली है. इस रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में पैदा होने वाले हर तीन बच्चों में एक बच्चा कुपोषित है.
जबलपुर में नागरिक उपभोक्ता मंच के प्रांतीय संयोजक ने बताया कि देश में 0 से 6 साल की आयु के लगभग 16 करोड़ बच्चों में से 35.7% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. जबकि कुपोषण से निपटने के लिए पिछले तीन सालों में सरकार ने कुल 227 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं. कुपोषण के मामले में मध्य प्रदेश का देशभर में पांचवा स्थान जिसमें कुपोषण 9.2% है जबकि सबसे ऊपर झारखंड है जहां पर की 11.4% बच्चे कुपोषण से ग्रसित हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और एफ.ए.ओ की 2018 में आई रिपोर्ट के अनुसार 5 वर्ष से कम आयु के लगभग एक तिहाई कुपोषित बच्चे भारत में रहते हैं, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार देश में हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है. जबकि मध्यप्रदेश सहित देश के अधिकांश राज्यों में भी कमोवेश यही स्थिति है. प्रदेश में बढ़ रही कुपोषण की स्थिति पर जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मंच ने स्वास्थ्य स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री और महिला एवं बाल विकास मंत्री को पत्र लिखा है. जिसमें उन्हें बताया गया है कि प्रदेश में कुपोषण लगातार बढ़ रहा है इसलिए सरकार इस दिशा में जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाए.