जबलपुर। शहर के बड़ा फुहारा में नगर निगम कमिश्नर (Municipal commissioner) के निर्देश पर जर्जर मकानों को तोड़ने के लिए उपायुक्त अपनी टीम के साथ पहुंचे. जिन मकानों को तोड़ना था निगम की टीम उनका निरीक्षण कर रही थी कि अचानक से वहां खड़े वकीलों से किसी बात को लेकर निगम उपायुक्त की बहस हो गई. इसके बाद वकील और उसके साथी निगम उपायुक्त पर टूट पड़े. इस दौरान निगम उपायुक्त को मौके से भागकर अपनी जान बचानी पड़ी.
जर्जर मकान तोड़ने पहुंचा था अमला
बड़ा फुहारा के पास करीब एक दर्जन जर्जर मकान बने हैं, जिन्हें चिन्हित करने के बाद निगम का अमला तोड़ने की कार्रवाई करने पहुंचा था. बताया जा रहा है कि शार्दुल सिंह नाम के वकील (Lawyer) ने जर्जर मकान खाली करवाने का केस लिया था. जब निगम की टीम मकानों को गिराने पहुंची तो वकील और निदम अधिकारियों में कहासुनी हो गई और बात मारपीट तक जा पहुंची. इसके बाद वकील और उसके साथियों ने निगम के अधिकारियों पर हमला कर दिया.
प्रति किराएदार मांग रहा था 1 लाख रुपए
इधर वकील शार्दुल सिंह का आरोप है कि उसने यह मकान ढाई लाख रुपए में खाली करवाने का केस लिया था, इसके अलावा ढाई लाख रुपए और देकर वह उस मकान को खरीद रहा था. वकील ने आरोप लगाया कि निगम उपायुक्त वेद प्रकाश चौधरी प्रति किराएदार एक लाख रुपए की मांग कर रहे थे, जिसे मना किया तो उन्होंने अपने कर्मचारियों के साथ मारपीट कर दी.
घटना के बाद मौके पर पहुंचे विधायक
इधर बीच सड़क पर एक निगम के अधिकारी के साथ हुई मारपीट के बाद विधायक विनय सक्सेना भी मौके पर पहुंच गए. विधायक ने बताया कि जिस जर्जर मकान को तोड़ने के लिए नोटिस दिए गए थे उसके पीछे कई और मकान बने है, जिनसे नगर निगम ने कहा था कि अपने मकान को दुरस्त करा लें. वहां रहने वाले ने मकान ठीक करवाने के बाद नोटिस का जवाब भी दे दिया था.