जबलपुर। संजीवनी नगर गढ़ा के केंद्रीय विद्यालय की शिक्षिका प्रगति पांडे को दिल्ली में 15 अगस्त के कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है. प्रगति पांडे केंद्रीय विद्यालय में संगीत शिक्षिका हैं. प्रगति पांडे इसके पहले भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं. इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित शिक्षकों को बुलाया जा रहा है. प्रगति पांडे का कहना है कि उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं है कि उन्हें यह सम्मान क्यों दिया गया, लेकिन उनके द्वारा तैयार किए गए बच्चों ने हर बार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान पाया है और लगातार कई सालों से यह सिलसिला चल रहा है.
प्रगति ने बताया कि जब उन्हें दिल्ली से फोन आया तो उन्हें लगा कि कोई उनके साथ मजाक कर रहा है, क्योंकि सामान्य तौर पर ऐसे आदेश और विभाग के द्वारा उन्हें जानकारी मिलती है, लेकिन उन्हें बिल्कुल अंदाज नहीं था कि उनके पास सीधे दिल्ली से फोन आएगा. इसलिए शुरुआत में उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन बाद में जब ऐसे तमाम शिक्षक जिन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था उन्हें एक ग्रुप बनाकर जोड़ा गया, तब प्रगति को इस बात का एहसास हुआ कि उन्हें स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में जाने का मौका मिला है. प्रगति के साथ ऐसे तमाम शिक्षक जो अपने अच्छे काम की वजह से सम्मानित किए गए हैं, उन्हें स्वतंत्रता दिवस के मुख्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बुलाया जा रहा है.
सेंट्रल स्कूल की शिक्षिका हैं प्रगतिः प्रगति लंबे समय से सेंट्रल स्कूल में संगीत की शिक्षिका हैं, लेकिन सेंट्रल स्कूल में अभी केवल 5वीं क्लास तक ही संगीत सिखाया जाता है. प्रगति का कहना है कि यदि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का मौका मिला तो वह उनके सामने यह प्रस्ताव रखेंगी कि संगीत की शिक्षा 10वीं क्लास तक अनिवार्य की जाए, क्योंकि दिन भर में यदि एक पीरियड संगीत का होता है तो बच्चों के लिए रिलैक्सेशन मिलता है.
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स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में शिक्षकों को शामिल करना सराहनीयः स्वतंत्रता दिवस के मुख्य कार्यक्रम में शिक्षकों को शामिल करने का यह प्रयास सराहनीय है, क्योंकि यही शिक्षक बाद में अपने छात्रों को देश के सबसे बड़े आयोजन के बारे में जानकारी देंगे. पहले ऐसे कार्यक्रमों में सामान्य तौर पर केवल नेताओं के परिवारों या अधिकारियों के परिवारों को ही मौका दिया जाता था, लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद यह परंपरा कुछ हद तक बदली है.