जबलपुर। मध्यप्रदेश की हस्तशिल्प कला को एक नई पहचान दिलाने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने भेड़ाघाट की संगमरमर से बनने वाली स्टोन क्राफ्ट को GI टैग दिया है. GI टैग मिलने के बाद से विश्व पटल पर भेड़ाघाट की स्टोनक्रॉप का नाम तो होगा ही, लेकिन वहां के शिल्पकारों की कायापलट होगी या नहीं यह सोचने वाली बात है. शिल्पकारों का कहना है कि ''अब सरकार को ही इस पर सोचने की जरूरत है, जिससे दोनों की तस्वीर बदल सके''
6 हस्तशिल्प कलाओं को GI टैग: दरअसल मध्यप्रदेश के भेड़ाघाट की स्टोनक्रॉप शिल्प कला के साथ ही 6 अलग-अलग कला क्षेत्र को भी GI टैग दिया गया है. जीआई टैग को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग के नाम से जाना जाता है. यह एक किस्म की लेबलिंग है, जो किसी उत्पाद की भौगोलिक पहचान को निर्धारित करती है और यह केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा दिया जाता है. इस जीआई टैग के मिलने से पहले से ही विश्व पटल पर अपनी छटा बिखेरे जबलपुर की ख्याति और ज्यादा बढ़ गई है. जबलपुर में स्टोन क्राफ्ट से जुड़े शिल्पकार मानते हैं कि केंद्र सरकार का यह फैसला न केवल शिल्पकारों को नई पहचान दिलाएगा बल्कि यह उम्मीद भी जागी है कि आने वाले वक्त में उनके व्यवसाय में और सुधार होगा. जिसका सीधा सीधा फायदा इन शिल्पकारों और उनके परिवारों को मिलेगा.
बढ़ जाएगी कला की कीमत: भेड़ाघाट से आसपास लगे गांव के करीब एक हजार से ज्यादा शिल्पकार इस कला को उकेरने का काम कर रहे हैं. जिससे उनके व उनके परिवारों के लोगों को रोजगार मिल रहा है. जीआई टैग मिलने के बाद देशभर में इसकी पहचान सुनिश्चित हो गई है और इस कला को जो प्रमोशन मिला है, उससे पूरे इलाके के व्यापार पर असर पड़ेगा. शिल्पकारों का कहना है कि ''कलाकारों को अभी बहुत कम दाम मिलते हैं, लेकिन जीआई टैग मिलने के बाद इनकी कला की कीमत और बढ़ जाएगी.'' शिल्पकार कहते हैं कि ''भेड़ाघाट के आसपास संगमरमर का नरम पत्थर मिलता है. जिस पर नक्काशी करना सरल होता है. इसलिए इस इलाके में सदियों से इस पत्थर पर नक्काशी करके छोटी-छोटी मूर्तियां बनाई जाती हैं, जो इनकी आजीविका का भी साधन हैं.''
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भेड़ाघाट स्टोन क्राफ्ट की विदेशों में पहचान: भेड़ाघाट में बनने वाली सॉफ्ट स्टोन की मूर्तियों की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अलग पहचान है. शिल्पकारों द्वारा उकेरी गई यह मूर्तियां बोलती हुई नजर आती हैं. जहां सबसे ज्यादा लोग पत्थरों पर अपना नाम लिखवा कर घर ले जाते हैं. संगमरमर की चट्टानों के पत्थरों को शिल्पकला का रूप देने वाले शिल्पकारों का कहना है कि, ''सरकार ने जी आई टैग देकर तो बहुत बढ़िया काम किया है, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति और इस काम से जुड़े परिवारों को सरकार से मदद और ध्यान देने की दरकार है. जिससे उनकी माली हालत और बेहतर हो सके.