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जबलपुर: आसमान में दिखा पिंक मून, लोगों ने किया सुपरमून का दीदार - पिंक मून 2021

चैत्र पूर्णिमा पर हर साल की तरह इस साल भी लोगों ने सुपरमून का दीदार किया. इस मून को पिंक मून भी कहा जाता है.

Jabalpur: Pink Moon seen in the sky, people have seen the supermoon
लोगों ने देखा पिंक मून
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Published : Apr 27, 2021, 9:14 PM IST

जबलपुर। चैत्र पूर्णिमा पर हर साल दिखाई देने वाले सुपरमून का दीदार इस बार भी हुआ. सूपरमुन में चंद्रमा का आकार सामान्य पूर्णिमा की अपेक्षा बड़ा दिखाई देता है. इस दौरान चांद और अधिक चमकदार भी नजर आता है. इसे ही पिंक मून भी कहा जाता है. मंगलवार की शाम चंद्रमा करीब 7 बजकर 9 पर पूर्व से उदित हुआ. इस पिंक मून को मंगलवार रात भर देखा जा सकेगा. इस साल 2 सुपरमून देखे जाएंगे एक 27 अप्रैल को और उसके बाद 26 मई को.

लोगों ने देखा पिंक मून
30 फीसदी ज्यादा चमकीला दिखता है चांदखगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक सुपरमून में चंद्रमा तकरीबन 30 फ़ीसदी अधिक चमकीला नजर आता है और लगभग 14% अपने सामान आकार से बड़ा दिखाई देता है. वास्तव में चंद्रमा का आकार बड़ा नहीं होता है बल्कि पृथ्वी से इसकी निकटता के कारण यह ऐसा प्रतीत होता है. इस घटना में चंद्रमा और पृथ्वी की दूरी सबसे कम हो जाती है.

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चांद के पृथ्वी के करीब आने पर दिखता है सुपरमून
खगोल विज्ञान के अनुसार चंद्रमा पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है. चंद्रमा की आर्बिट अंडाकार होने की वजह से चंद्रमा और पृथ्वी के सबसे दूर बिंदु को एपोजी जबकि सबसे नजदीक बिंदु को पेरीजी के नाम से जाना जाता है. सुपरमून तब होगा जब चंद्रमा पेरीजी पर पहुंचता है जबकि एपोजी पर यह माइक्रोमून कहलाता है.

जबलपुर। चैत्र पूर्णिमा पर हर साल दिखाई देने वाले सुपरमून का दीदार इस बार भी हुआ. सूपरमुन में चंद्रमा का आकार सामान्य पूर्णिमा की अपेक्षा बड़ा दिखाई देता है. इस दौरान चांद और अधिक चमकदार भी नजर आता है. इसे ही पिंक मून भी कहा जाता है. मंगलवार की शाम चंद्रमा करीब 7 बजकर 9 पर पूर्व से उदित हुआ. इस पिंक मून को मंगलवार रात भर देखा जा सकेगा. इस साल 2 सुपरमून देखे जाएंगे एक 27 अप्रैल को और उसके बाद 26 मई को.

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30 फीसदी ज्यादा चमकीला दिखता है चांदखगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक सुपरमून में चंद्रमा तकरीबन 30 फ़ीसदी अधिक चमकीला नजर आता है और लगभग 14% अपने सामान आकार से बड़ा दिखाई देता है. वास्तव में चंद्रमा का आकार बड़ा नहीं होता है बल्कि पृथ्वी से इसकी निकटता के कारण यह ऐसा प्रतीत होता है. इस घटना में चंद्रमा और पृथ्वी की दूरी सबसे कम हो जाती है.

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