जबलपुर। सुसराल से एक महिला बिना बताये भाग जाती थी. पति द्वारा पत्नी को तलाशने के लिए तीन बार पुलिस में गुमशुदगी का मामला भी दर्ज करवाया गया. वहीं, महिला ने न्यायालय में इस गलती को स्वीकार किया. अब कुटुम्ब न्यायालय के तृतीय अतिरिक्त प्रधान न्यायधीश विजय सिंह कावछा की अदालत ने इसी आधार पर महिला के भारण-पोषण के आवेदन को निरस्त कर दिया.
कुटुम्ब न्यायालय में याचिकाएं : गढ़ा फाटक निवासी नमन साहू पिता प्रहलाद साहू की तरफ से तलाक के लिए कुटुम्ब न्यायालय में याचिका दायर की गई थी. वहीं, अनावेदिका ने हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत भरण पोषण की राशि दिलाये जाने की मांग करते हुए आवेदन दायर किया. याचिका में कहा गया कि उसका विवाह मंझौली निवासी अनामिका साहू के साथ अप्रैल 2017 में हिन्दू रीति रिवाज से हुआ था. पत्नी के अन्य व्यक्ति से संबंध तथा उसके परिवारजनों के अपराधिक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए तलाक मांगा गया.
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पत्नी की करतूतों के सबूत पेश : याचिका में कहा गया था कि उसकी पत्नी खुद उसके साथ नहीं रहना चाहती है और बिना बताये घर से भाग जाती है. वहीं, अनावेदिका पत्नी ने भी भारण-पोषण के लिए 25 हजार रुपये की मांग करते हुए आवेदन दायर किया. आवेदन की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से पत्नी के लापता होने पर उसकी गुमशुदगी के संबंध में दायर तीन एफआईआर प्रस्तुत की गयी. इसके अलावा पत्नी द्वारा पूर्व में एक युवक पर शादी का दवाब बनाने संबंधित जानकारी भी पेश की गयी. कुटुम्ब न्यायालय ने पाया कि आवेदिका ने घर से भागने की गलती स्वयं स्वीकार की है. इस आधार पर न्यायालय ने उसके आवेदन को निरस्त कर दिया.