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Jabalpur Sarpanch Dharna: सैकड़ों की संख्या में जबलपुर में सरपंचों ने दिया धरना, बोले- पंचायती राज का मजाक बना दिया - Madhya Pradesh Latest News

पंचायती राज को लेकर आज जबलपुर में सैकड़ों की संख्या में सरपंच जुटे. इस दौरान उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए धरना दिया. जानें क्या है पूरा मामला...

Jabalpur Sarpanch Dharna
जबलपुर में सरपंचों का धरना प्रदर्शन
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 12, 2023, 7:36 PM IST

Updated : Sep 12, 2023, 8:04 PM IST

जबलपुर में सरकार के खिलाफ सरपंचों का धरना प्रदर्शन

जबलपुर। पंचायती राज को लेकर आज शहर में सैकड़ों की तदाद में सरपंचों धरना दिया. इस दौरान उन्होंने सरकार को निशाने पर लिया. साथ ही आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ने पंचायती राज का मजाक बना दिया है. उन्होंने सीएम शिवराज के एक पंच-सरपंच सम्मेलन का आधार रखते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने बोला था, पंचायतें संबंध संपर्क और समन्वय के जरिए सर्वागीण विकास करेंगे, लेकिन बीते 5 सालों में उनका यह वादा काम नहीं आया.

अब पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं है. पंचायत के सभी अधिकार सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों को दे दिए गए हैं, जो बिना पैसे के कोई काम नहीं करते.

पंचायती राज हुआ बर्बाद: जबलपुर में सैकड़ो सरपंचों ने आज कलेक्ट्रेट पहुंचकर धरना दिया. सरपंच सुबह कलेक्ट्रेट पहुंच गए थे. दिन भर धरने पर बैठे रहे लेकिन जबलपुर कलेक्टर सौरभ सुमन उनसे मिलने के लिए नहीं आए.

सरपंचों का कहना है- सरकार ने बीते 5 सालों में पंचायती राज को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. सरपंचों के संगठन के सदस्य शिवप्रसाद ने बताया कि 1993 में जब पंचायती राज अधिनियम बनाया गया था, तब 11वीं अनुसूची के तहत पंचायत को 29 काम करने का अधिकार दिया गया था.

इसमें सरपंच गरीबी रेखा कार्ड के लिए अनुशंसा मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाने का अधिकार रखते थे. इस तरह के छोटे-छोटे 29 काम थे. इसकी वजह से पंचायत समृद्धि थी. अब यह 29 काम सरकार ने उनसे छीन लिए हैं. यहां तक की पंचायत में होने वाले रेत उत्खनन हार्ड मोरम के खनन जैसे कामों पर भी अब पंचायत टैक्स नहीं लगा सकती.

ये भी पढ़ें...

मात्र ₹5 लाख खर्च के लिए दिए: शिव प्रसाद पटेल का कहना है कि महंगाई के इस दौर में जब एक घर का खर्च 5 लाख रुपए में साल भर का नहीं हो पता, ऐसी स्थिति में एक पूरी पंचायत को चलाने के लिए सरकार मात्र ₹500000 दे रही है.

वहीं पंचायत से कहां जा रहा है कि वे सफाई संपत्ति और प्रकाश के नाम पर लोगों से टैक्स वसूलें लेकिन गांव में लोगों की आर्थिक स्थिति ऐसे नहीं होती कि लोग टैक्स दे पाएं. ऐसी स्थिति में पंचायत को चलना कठिन हो रहा है.

क्या है मांग: पंच-सरपंच लगातार लंबे समय से सरकार से मांग कर रहे थे कि शासन उनके साथ बैठकर उनकी समस्याओं को सुने, लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी अब तक इन लोगों की मांगों को नहीं सुना गया है.

आज भी जब यह जिला प्रशासन से अपनी मांगे रखने के लिए आए तो कलेक्टर इनसे मिलने को तैयार नहीं हुए. ऐसी स्थिति में इन लोगों का कहना है कि इसका नुकसान भारतीय जनता पार्टी को अगले चुनाव में उठाना पड़ेगा.

भोपाल में भी हुआ सरपंच सम्मेलन: इधर, राजधानी भोपाल में भी आज मध्यप्रदेश के बहुत सारी पंचायतों के सरपंच भोपाल पहुंचे. यह लोग सरपंच उपसरपंच और पंच महासंघ के बैनर तले आज सरपंच सम्मेलन में भाग लेने के लिए भोपाल में एकत्र हुए थे. दरसअल, मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव हुए 14 महीने से ज्यादा का समय गुजर गया है, लेकिन अभी भी सरपंचों को पूरी तरह से उनके अधिकार नही मिले हैं. इसके चलते प्रदेश के 23012 पंचायतों के सरपंच अपनी 24 सूत्रीय मांगों को लेकर भोपाल में एकत्र हुए थे. वे सरकार द्वारा अपनी मागे न माने जाने से नाराज हैं.

जबलपुर में सरकार के खिलाफ सरपंचों का धरना प्रदर्शन

जबलपुर। पंचायती राज को लेकर आज शहर में सैकड़ों की तदाद में सरपंचों धरना दिया. इस दौरान उन्होंने सरकार को निशाने पर लिया. साथ ही आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ने पंचायती राज का मजाक बना दिया है. उन्होंने सीएम शिवराज के एक पंच-सरपंच सम्मेलन का आधार रखते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने बोला था, पंचायतें संबंध संपर्क और समन्वय के जरिए सर्वागीण विकास करेंगे, लेकिन बीते 5 सालों में उनका यह वादा काम नहीं आया.

अब पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं है. पंचायत के सभी अधिकार सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों को दे दिए गए हैं, जो बिना पैसे के कोई काम नहीं करते.

पंचायती राज हुआ बर्बाद: जबलपुर में सैकड़ो सरपंचों ने आज कलेक्ट्रेट पहुंचकर धरना दिया. सरपंच सुबह कलेक्ट्रेट पहुंच गए थे. दिन भर धरने पर बैठे रहे लेकिन जबलपुर कलेक्टर सौरभ सुमन उनसे मिलने के लिए नहीं आए.

सरपंचों का कहना है- सरकार ने बीते 5 सालों में पंचायती राज को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. सरपंचों के संगठन के सदस्य शिवप्रसाद ने बताया कि 1993 में जब पंचायती राज अधिनियम बनाया गया था, तब 11वीं अनुसूची के तहत पंचायत को 29 काम करने का अधिकार दिया गया था.

इसमें सरपंच गरीबी रेखा कार्ड के लिए अनुशंसा मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाने का अधिकार रखते थे. इस तरह के छोटे-छोटे 29 काम थे. इसकी वजह से पंचायत समृद्धि थी. अब यह 29 काम सरकार ने उनसे छीन लिए हैं. यहां तक की पंचायत में होने वाले रेत उत्खनन हार्ड मोरम के खनन जैसे कामों पर भी अब पंचायत टैक्स नहीं लगा सकती.

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मात्र ₹5 लाख खर्च के लिए दिए: शिव प्रसाद पटेल का कहना है कि महंगाई के इस दौर में जब एक घर का खर्च 5 लाख रुपए में साल भर का नहीं हो पता, ऐसी स्थिति में एक पूरी पंचायत को चलाने के लिए सरकार मात्र ₹500000 दे रही है.

वहीं पंचायत से कहां जा रहा है कि वे सफाई संपत्ति और प्रकाश के नाम पर लोगों से टैक्स वसूलें लेकिन गांव में लोगों की आर्थिक स्थिति ऐसे नहीं होती कि लोग टैक्स दे पाएं. ऐसी स्थिति में पंचायत को चलना कठिन हो रहा है.

क्या है मांग: पंच-सरपंच लगातार लंबे समय से सरकार से मांग कर रहे थे कि शासन उनके साथ बैठकर उनकी समस्याओं को सुने, लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी अब तक इन लोगों की मांगों को नहीं सुना गया है.

आज भी जब यह जिला प्रशासन से अपनी मांगे रखने के लिए आए तो कलेक्टर इनसे मिलने को तैयार नहीं हुए. ऐसी स्थिति में इन लोगों का कहना है कि इसका नुकसान भारतीय जनता पार्टी को अगले चुनाव में उठाना पड़ेगा.

भोपाल में भी हुआ सरपंच सम्मेलन: इधर, राजधानी भोपाल में भी आज मध्यप्रदेश के बहुत सारी पंचायतों के सरपंच भोपाल पहुंचे. यह लोग सरपंच उपसरपंच और पंच महासंघ के बैनर तले आज सरपंच सम्मेलन में भाग लेने के लिए भोपाल में एकत्र हुए थे. दरसअल, मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव हुए 14 महीने से ज्यादा का समय गुजर गया है, लेकिन अभी भी सरपंचों को पूरी तरह से उनके अधिकार नही मिले हैं. इसके चलते प्रदेश के 23012 पंचायतों के सरपंच अपनी 24 सूत्रीय मांगों को लेकर भोपाल में एकत्र हुए थे. वे सरकार द्वारा अपनी मागे न माने जाने से नाराज हैं.

Last Updated : Sep 12, 2023, 8:04 PM IST
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