जबलपुर। हौसलों की उड़ान के लिए न उम्र की सीमा है, न आसमान की. ऐसी ही उपलब्धि शहर के कपड़ा करोबारी के घर के लड़के से जुड़ी सामने आई है. 11वीं क्लास में पढ़ने वाले पुष्कर गुप्ता ने घर में रखी साइकिल को मोटरसाइकिल में बदल दिया. इसकी लागत भी मात्र 1 हजार रुपए आई है. पुष्कर ने बताया कि बहुत कम रुपए लगाकर कोई भी गरीब अपनी साइकिल को मोटरसाइकल में बदल सकता है.
आइए विस्तार से समझते हैं पुष्कर उपलब्धि के बारे में: जबलपुर के अंधेर देव में रहने वाले पुष्कर गुप्ता ने कबाङ के कुछ सामान को जोड़कर एक मोटरसाइकिल बनाई है. यह मोटरसाइकिल 80 किलोमीटर प्रति लीटर पेट्रोल का एवरेज दे रही है. पुष्कर गुप्ता ने इसके पहले अपनी साइकिल को बैटरी वाली साइकिल में बदला था.
इसके बाद पुष्कर गुप्ता ने साइकिल में इंजन लगाने का फैसला किया. वे कबाड़ी बाजार गए और वहां से उन्होंने लूना का पुराना इंजन खरीदा. इस इंजन को थोड़ी सी बेल्डिंग करवा कर, उन्होंने अपनी साइकिल में फिट कर लिया. एक छोटी सी 2 लीटर कैपेसिटी की टंकी साइकिल के नीचे फिट की.
पूरी फिटिंग करने के बाद इस साइकिल को चलाया. पुष्कर गुप्ता ने इसको कई बार चलाने के बाद यह अनुभव किया है कि उनका बनाया यह जुगाड़ 1 लीटर में 80 से 90 किलोमीटर तक साइकिल को चला रहा है.
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पहले बनाई थी ई बाइक
साइकिल में लगा छोटा सा इंजन साइकिल के पतले टायर को स्पीड देने में समर्थ है. यही इंजन जब किसी वजनदार मोटर बाइक में लगाया जाता है, तो उसे मोटरबाइक के ऊपर बैठे हुए आदमी के साथ मोटर बाइक के वजन को भी खींचना होता है. इसलिए उसकी ईंधन खपत बढ़ जाती है.
साइकिल का वजन बहुत कम होता है. इसलिए जो इंजन मोपेड में 50 से 60 किलोमीटर प्रति लीटर का एवरेज देते हैं, उसे अगर साइकिल में लगा दिया जाए, तो इसका एवरेज बढ़ जाता है. हालांकि साइकिल के कल पुर्जे मोटर बाइक के इंजन की स्पीड और ताकत के हिसाब से कुछ कमजोर होते हैं. इसलिए इसको चलाने वाले को सावधानी बरतना जरूरी है.
11वीं में पढ़ते हैं पुष्कर: पुष्कर गुप्ता के परिवार में कपड़े के कारोबार का काम होता है. पुष्कर का दूर-दूर तक मोटरसाइकिल मैकेनिक के कम से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन इसके बाद भी 11वीं के छात्र के दिमाग में एक आइडिया आया और उसे अपनी सृजन क्षमता के माध्यम से तैयार कर डाला.
दरअसल इसी उम्र में बच्चे बहुत ज्यादा क्रिएटिव होते हैं. यदि उन्हें सही दिशा मिल जाए तो, वह न केवल खुद के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए अच्छे आविष्कार कर सकते हैं.
मात्र ₹1000 की लागत: महंगाई के इस जमाने में साइकिल की कीमत ही 5000 से शुरू हो रही है, जो अच्छी साइकिलों पर 10000 और 50000 तक पहुंच जाती है. इधर, ई साइकिल भी 25000 से शुरू होकर 50000 और 1 लाख तक बाजार में बिक रही है.
भारत के 50% से ज्यादा गरीबों के लिए अभी भी साइकिल ही खरीद पाना संभव है. ऐसी स्थिति में भी ई साइकिल और मोटर बाइक के बारे में नहीं सोच पाते इसलिए पुष्कर का यह प्रयास सराहनीय है.
उसने साइकिल को मोटरसाइकिल में बदलने का पूरा खर्च मात्र ₹1000 में कर दिया, यदि इस तरीके से साइकिल को मॉडिफाई करके मोटर बाइक में बदल जाता है. तो बहुत कम पैसे में यह परिवर्तन संभव है. इसमें कबाड़ हो चुके इंजनों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
स्टडी रूम को बनाया गैरेज: पुष्कर गुप्ता का परिवार जबलपुर के बेहद तंग बाजार अंधेर देव में फर्स्ट फ्लोर पर रहता है. यही पुष्कर गुप्ता का स्टडी रूम था. इसमें ही उन्होंने साइकिल को मोटरसाइकिल में बदल दिया.
पुष्कर का कहना है कि उसने कोई भी आईडिया इंटरनेट या यूट्यूब से नहीं लिया बल्कि उसके दिमाग में जो बातें आती चली गई, उनको वह अपनी मोटरसाइकिल में इस्तेमाल करता चला गया.
पुष्कर अभी 11वीं क्लास में पढ़ रहा है और वह आगे चलकर वकालत करना चाहता है, लेकिन यदि उसे मौका मिले तो वह अपना यह काम भी आगे करता रहेगा।पुष्कर इस साइकिल को पेटेंट करवाना चाहते हैं.