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MP High Court Hearing: 'MBBS के 6 महीने की इंटर्नशिप भी पूरी, सरकार नहीं दे रही पदस्थापना...', हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आज नोटिस जारी किया है. मामला एमबीबीएस छात्रों की नियुक्ति से जुड़ा है. दरअसल, छात्रों ने 6 महीने इंटर्नशिप पूरी कर ली है, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक एनओसी या पदस्थापना नहीं दी है.

MP High Court Hearing
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 20, 2023, 9:21 PM IST

जबलपुर। एमबीबीएस (MBBS) कोर्स पूर्ण करने के 6 महीने बावजूद भी सरकार की तरफ से पदस्थापना या एनओसी नहीं दिये के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इसी को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को एनओसी और पदस्थापना देने को लेकर नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया- "सरकार ने अनुबंध किया था कि एमबीबीएस कोर्स (MBBS Course) पूर्ण करने के बाद उन्हें एक साल तक गांव के इलाकों में सेवाएं देनी होगी."

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों (Non Applicant) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

क्या है पूरा मामला: दरअसल, एमबीबीएस कोर्स पूर्ण करने के 6 महीने बावजूद भी सरकार की तरफ से पदस्थापना या एनओसी दिये जाने के मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सरकार ने अनुबंध किया था कि एमबीबीएस कोर्स पूर्ण करने के बाद उन्हें एक साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देनी होगी.

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डॉक्टर सिध्दार्थ कसाना, डॉ सोनाली अग्रवाल सहित अन्य पांच की तरफ से याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया कि उन्होंने साल 2017 में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया था. उनका कोर्स मार्च 2022 में पूर्ण हो गया था. इसके बाद उन्होंने एक साल तक इंटर्नशिप का कार्यकाल पूर्ण किया. दाखिला लेते हुए सरकार ने एक अनुबंध किया था, कि कोर्स पूर्ण होने के बाद वह प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के एक साल तक सेवाएं प्रदान करेंगे.

केस में पैरवी कर रहे वकील ने क्या कहा?: इधर, याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए वकील आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया- "सभी याचिकाकर्ता दूसरे प्रदेश के रहने वाले हैं. कोर्स और इंटर्नशिप पूरी किए 6 महीने से ज्यादा समय हो गया, लेकिन सरकार की तरफ से गांव के इलाकों में उन्हें पदस्थ नहीं किया गया. सरकार उन्हें एनओसी नहीं दे रही है."

वकील ने बताया, "उनके प्रदेश में डॉक्टरों की सीट खाली है. कोर्स पूरा करने के बावजूद भी याचिकाकर्ता पिछले 6 महीने से सिर्फ समय काट रहे हैं. याचिका में प्रमुख सचिव और मेडिकल एजुकेशन संचालक और संचालक स्वास्थ सेवा को अनावेदक बनाया गया था. युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में निर्धारित की है."

जबलपुर। एमबीबीएस (MBBS) कोर्स पूर्ण करने के 6 महीने बावजूद भी सरकार की तरफ से पदस्थापना या एनओसी नहीं दिये के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इसी को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को एनओसी और पदस्थापना देने को लेकर नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया- "सरकार ने अनुबंध किया था कि एमबीबीएस कोर्स (MBBS Course) पूर्ण करने के बाद उन्हें एक साल तक गांव के इलाकों में सेवाएं देनी होगी."

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों (Non Applicant) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

क्या है पूरा मामला: दरअसल, एमबीबीएस कोर्स पूर्ण करने के 6 महीने बावजूद भी सरकार की तरफ से पदस्थापना या एनओसी दिये जाने के मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सरकार ने अनुबंध किया था कि एमबीबीएस कोर्स पूर्ण करने के बाद उन्हें एक साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देनी होगी.

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डॉक्टर सिध्दार्थ कसाना, डॉ सोनाली अग्रवाल सहित अन्य पांच की तरफ से याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया कि उन्होंने साल 2017 में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया था. उनका कोर्स मार्च 2022 में पूर्ण हो गया था. इसके बाद उन्होंने एक साल तक इंटर्नशिप का कार्यकाल पूर्ण किया. दाखिला लेते हुए सरकार ने एक अनुबंध किया था, कि कोर्स पूर्ण होने के बाद वह प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के एक साल तक सेवाएं प्रदान करेंगे.

केस में पैरवी कर रहे वकील ने क्या कहा?: इधर, याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए वकील आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया- "सभी याचिकाकर्ता दूसरे प्रदेश के रहने वाले हैं. कोर्स और इंटर्नशिप पूरी किए 6 महीने से ज्यादा समय हो गया, लेकिन सरकार की तरफ से गांव के इलाकों में उन्हें पदस्थ नहीं किया गया. सरकार उन्हें एनओसी नहीं दे रही है."

वकील ने बताया, "उनके प्रदेश में डॉक्टरों की सीट खाली है. कोर्स पूरा करने के बावजूद भी याचिकाकर्ता पिछले 6 महीने से सिर्फ समय काट रहे हैं. याचिका में प्रमुख सचिव और मेडिकल एजुकेशन संचालक और संचालक स्वास्थ सेवा को अनावेदक बनाया गया था. युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में निर्धारित की है."

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