जबलपुर। एमपी में सरकारी विभागों जैसे लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य विभाग, वाणिज्य कर विभाग और वन विभाग की वेबसाइट में अधिकारियों की संपत्ति का ब्यौरा उपलब्ध नहीं है. सरकारी कर्मचारियों को हर साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना होता है, ऐसा नहीं करने पर उसे पदोन्नति नहीं मिलेगी. ये नियम शिवराज सरकार ने बनाया था. कई विभागों की वेबसाइट पर प्रॉपर्टी रिटर्न नाम से एक कॉलम है लेकिन जैसे ही आप इस कॉलम को खोलेंगे तो वेबसाइट में एक एरर आ जाएगा और आपको कोई जानकारी नहीं मिलेगी.
इन विभागों में नहीं है जानकारी: मध्य प्रदेश वन विभाग की वेबसाइट को खोलने पर अधिकारी, कर्मचारियों की अचल संपत्ति के ब्यौरे की जानकारी की एक विंडो जरूर है इसमें 312 कर्मचारियों के नाम उनके पद के साथ दिए हुए हैं लेकिन इसमें अचल संपत्ति के ब्यौरे से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है. यही हाल लोक निर्माण विभाग, वाणिज्य कर विभाग, डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विस मध्य प्रदेश सरकार की वेबसाइट में है. इनमें अधिकारियों की संपत्ति के ब्यौरे के बारे कोई जानकारी नहीं है.
छापे में मिलती है संपत्ति: रजिस्ट्री ऑनलाइन हो गई है. राजस्व के रिकॉर्ड ऑनलाइन हो गए हैं. यहां तक कि सोने चांदी की खरीद बिक्री भी ऑनलाइन है. फिर सवाल यह खड़ा होता है कि बड़े पैमाने पर अधिकारी कर्मचारी संपत्तियां खरीद रहे हैं. सोने चांदी को खरीद रहे हैं लेकिन इनकी जानकारी सरकार तक नहीं पहुंचती और ना ही सरकारी जांच एजेंसियों तक पहुंचती है. केवल जब कोई शिकायत करता है और आय से अधिक संपत्ति के मामले में कोई जांच एजेंसी छानबीन करती है. छोटे से छोटे कर्मचारी के पास भी करोड़ों रुपए की संपत्ति का खुलासा होता है.
नियम पर खड़े हुए सवाल: मध्य प्रदेश सरकार के अमूमन ज्यादातर विभागों में ऐसी ही स्थिति है. ज्यादातर कर्मचारी और अधिकारी अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं करते. कुछ विभागों के कर्मचारियों ने संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक किया है वह 2015 का है. सवाल यह खड़ा होता है यदि जानकारी देनी ही नहीं है तो नियम को बदल दिया जाए और यदि नियम नहीं बदला जा सकता तो फिर इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.