जबलपुर: रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के गर्ल्स हॉस्टल की छात्राओं ने काली टीशर्ट पहनकर मार्च निकाला और कैंपस में धरना दिया. छात्राओं का कहना है कि "उनका हॉस्टल नर्क से बदतर हो गया है. हॉस्टल में लंबे समय से सफाई नहीं हुई है. पीने का पानी नहीं है. खिड़कियां टूटी हुई हैं और हॉस्टल के आसपास के पेड़ पौधों की वजह से वहां सांप, बिच्छू जैसे जानवर निकल रहे हैं." छात्राओं ने धरना देकर अपनी बात यूनिवर्सिटी प्रशासन के सामने रखी.
कस्तूरबा छात्रावास में गंदगी: रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कस्तूरबा छात्रावास में ढाई सौ से ज्यादा छात्राएं रहती हैं. यह छात्राएं जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के अलग-अलग कोर्सेस में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए आई हुई हैं. इन छात्राओं का आरोप है कि "उनके हॉस्टल में गंदगी पैर पसारे हुए है. पूरे टॉयलेट चोक हैं. इनकी कई महीनों से सफाई नहीं हुई है. उसी गंदगी में उन्हें इन टॉयलेट का इस्तेमाल करना पड़ता है." सबसे ज्यादा गंभीर आरोप यह है कि लड़कियों को पैड फेंकने के लिए तक जगह नहीं बची है.
हॉस्टल के पास एक डंपिंग डस्टबिन बनाई गई थी जिसकी सफाई कई महीनों से नहीं हुई है. छात्राओं का आरोप है कि वह डंपिंग डस्टबिन भी पूरी तरह से भर चुकी है. चारों तरफ झाड़ियां हैं. जिनसे जहरीले जीव जंतु हॉस्टल में घुस जाते हैं. छात्राओं का आरोप है कि हॉस्टल में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. ढाई सौ छात्राओं पर मात्र एक फिल्टर लगा हुआ है.
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गर्ल्स हॉस्टल में पुरुष सफाई कर्मी क्यों: छात्राओं का आरोप है कि गर्ल्स हॉस्टल में पुरुष सफाई कर्मियों को भेज दिया जाता है. इसकी वजह से छात्राओं के लिए बहुत परेशानी होती है जो सफाई कर्मी हॉस्टल में सफाई करने जाते हैं उनसे छात्राएं बात नहीं कर पातीं. गर्ल्स हॉस्टल में जो स्टाफ लगाया गया है वह काम पर ही नहीं आता और पूरे हॉस्टल में गंदगी पसरी हुई है.
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार दीपेंद्र को छात्राओं ने घेर लिया और अपनी समस्याएं रजिस्ट्रार के सामने रखी. रजिस्टार को भी इन मुद्दों की जानकारी नहीं थी. उन्होंने तुरंत ही जिम्मेदार अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है कि आखिर हॉस्टल में सफाई क्यों नहीं हो रही है और गर्ल्स हॉस्टल में पुरुष सफाई कर्मी क्यों जा रहे हैं.