जबलपुर। बाघ की तरह तेंदुए को भी संरक्षित करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि साल 2010 से 2020 तक प्रदेश में 470 तेंदुए की मौत हुई है. जिसमें से सिर्फ 10 प्रतिशत तेन्दुओं की प्राकृतिक मौत हुई है. हाईकोर्ट के जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण 6 सप्ताह में करने के निर्देश मुख्य वनसंरक्षक को दिए हैं.
याचिकाकर्ता मनीष शर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि संरक्षण के आभाव में 90 प्रतिशत तेन्दुओं की मौत दुर्घटना और शिकार से हुई है. इसके अलावा बड़ी संख्या में तस्करी के लिए तेन्दुओं का शिकार किया जा रहा है.
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याचिका में मांग की गई थी कि बाघों की सुरक्षा के लिए स्पेशल टीम बनाई गई है. इसी तहत तेन्दुओं की सुरक्षा के लिए भी स्पेशल टीम गठित की जाए, जिससे तेन्दुओं का संरक्षण हो सके. इस संबंध में उन्होंने वन विभाग को अभ्यावेदन भी दिया था. अभ्यावेदन पर कोई कार्यवाही नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गई थी. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की