जबलपुर। दुर्भावनापूर्ण तरीके से विभागीय जांच तथा सजा से दंडित किये जाने के खिलाफ सेवानिवृत्त डीएसपी ने पूर्व तथा वर्तमान डीजीपी सहित अन्य 15 पुलिस अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ जिला न्यायालय में पुननिरीक्षण याचिका दायर की. अपर सत्र न्यायाधीश विपिन सिंह भदौरिया ने अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए व्यक्तिगत उपस्थिति के आदेश जारी किए हैं. पुनरीक्षण याचिका पर अगली सुनवाई 17 जुलाई को निर्धारित की गयी है.
आईजी से स्वीकृत हुआ अवकाश : सेवानिवृत्त डीएसपी अशोक राणा की तरफ से दायर पुनरीक्षण याचिका में कहा गया था कि कटनी में पदस्थ रहने के दौरान उसे मेडिकल जांच व उपचार के लिए जबलपुर आईजी ने एक माह का अवकाश स्वीकृत किया था. अवकाश के बाद जब वह कार्य पर वापस लौटे तो उनके खिलाफ जांच प्रारंभ कर दी. इतना ही नहीं विभागीय जांच में दोषी करार देते हुए पेंशन से 10 प्रतिशत की स्थाई रूप से कटौती करने के अमानवीय दंड से दंडित किया. जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने विभागीय जांच व दंड को निरस्त करते हुए उनके पक्ष में राहतकारी आदेश जारी किया था.
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इन्हें जारी हुआ नोटिस : हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर की गयी थी. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपील को आधारहिन मानते हुए खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए पेंशन राशि का भुगतान कर दिया गया. दुर्भावनावश की गई विभागीय जांच करने वालो के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने जिला न्यायालय में परिवाद दायर किया. न्यायालय ने अनावेदक पूर्व डीजीपी सुरेन्द्र सिंह, वर्तमान डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना, पुलिस अधिकारी डी श्रीनिवास राव, गौरव राजपूत, राजेश हिंगणकर, यशपाल राजपूत तथा एएसपी देवेन्द्र प्रताप सिंह राजपूत, आभा टोप्पो एवं निरीक्षक पीएल प्रजापति, उप निरीक्षक आरपी तिवारी, आरके पुरसानी, पंकज ताम्रकार, नरेश विश्वकर्मा, सरस्वती नामदेव, राजीव दुबे, पुरुषोत्तम गौतम, कोदूलाल को नोटिस जारी किये हैं.