जबलपुर। जिले में नर्मदा क्लब में 134 सालों से नए साल के स्वागत में जश्न का आयोजन होता चला आ रहा है. इस साल भी नर्मदा क्लब 2024 के स्वागत के लिए तैयार है. यहां बड़ी पार्टी का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें 1000 से ज्यादा लोग शामिल होंगे. जबलपुर के लगभग सभी होटल में नए साल के स्वागत के लिए जश्न की तैयारी पूरी हो चुकी है. लोग हंसी-खुशी 2023 को विदा कर रहे हैं और 2024 की अगवानी कर रहे हैं.
जबलपुर का नर्मदा क्लब: सन 1889 में जब जबलपुर में अंग्रेज पूरी तरह से स्थापित हो चुके थे. अंग्रेजों ने सेना की कई महत्वपूर्ण ऑफिस जबलपुर में खोल लिए थे. तब जबलपुर में रहने वाले अंग्रेजों ने मौज मस्ती के लिए एक क्लब की स्थापना की थी. इस नर्मदा क्लब का नाम दिया गया था. हालांकि उसे जमाने में इस क्लब में अंग्रेजों के अलावा किसी को भी एंट्री नहीं थी. इस क्लब में पार्टी करने के लिए बड़े हॉल और लॉन है. क्लब के मेंबर्स को खेल खेलने के लिए कई कमरे हैं. हालांकि इसमें सदस्यों की संख्या निश्चित है और नए सदस्य नहीं जोड़े जा रहे हैं. यह जबलपुर का एक महंगा क्लब है. जिसमें हर माह हजारों रुपए की मेंबरशिप देनी होती है. इसके बदले क्लब के मेंबर्स को कई सुविधाएं मिलती हैं.
नए साल की शुरु हुई तैयारियां: नए साल के स्वागत के लिए नर्मदा क्लब के लॉन सजाए गए हैं. लाइटिंग की व्यवस्था की गई है. नाचने गाने के लिए स्टेज बनाए गए हैं. कई किस्म के व्यंजन तैयार किया जा रहे हैं. शाम से ही नए साल के स्वागत की पार्टी शुरू हो जाएगी जो देर रात तक चलेगी. जबलपुर के कई होटल्स में भी नए साल के स्वागत को लेकर तैयारी की जा रही हैं. इसमें मध्य प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग के होटल में भी नए साल के स्वागत के लिए जश्न की तैयारी की जा रही है. हालांकि प्रशासन ने ध्वनि प्रदूषण न हो इसलिए यह गाइडलाइन जारी की है कि रात 11:00 बजे के बाद कोई भी डीजे नहीं बजाया जा सकेगा, लेकिन पार्टी के आयोजकों का कहना है कि वह नियंत्रण के साथ पार्टी करेंगे, ताकि शासन की गाइडलाइन का भी पालन किया जा सके और लोग पार्टी भी कर सकें.
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किसी जमाने में नए साल का जश्न केवल बड़ी होटल में होता था और केवल रईस लोग ही इसमें शामिल होते थे, लेकिन आजकल लोग क्लब होटल के अलावा छोटी-छोटी पार्टियों आयोजन भी करते हैं, लेकिन आम गरीब आदमी के लिए आज भी नए साल और पुराने साल के बदलने पर कोई जश्न जैसी बात नहीं होती क्योंकि साल बदलने से उनके जीवन की परिस्थितियां नहीं बदलती, इसलिए वे इस जश्न जैसा नहीं मानते.