जबलपुर। शहर से लगा हुआ बहुत सारा पहाड़ी इलाका है. जहां सदियों से कभी कोई बसाहट नहीं रही. अभी भी यह जगह जबलपुर के ग्रीन लैंड एरिया में आती है. इस वजह से यहां पर कुछ प्राणी अपने प्राकृतिक आवास में स्वच्छंद रहते हैं. इन्हीं में से अजगर प्रजाति का सांप है जो जबलपुर के पहाड़ी इलाकों में अक्सर देखने को मिलता है. लेकिन बारिश में जब इनके बिलों में पानी भर जाता है तो यह बाहर नजर आने लगते हैं. बीते दिनों तिलवारा के शनि मंदिर के पास ऐसा ही एक लगभग 7 फीट का अजगर मंदिर के भीतर आ गया. जब उसे पकड़ने की कोशिश की गई तो वह एक पेड़ पर चढ़ गया. इसके बाद मौके पर पहुंचे सर्प विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे ने बमुश्किल इसे काबू में किया.
पूजा घर में बैठा ब्लैक कोबरा: बीते साल भर में कॉलोनियों के भीतर कोबरा मिलने की एक दर्जन से ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं. ताजा मामला जबलपुर के मदन महल इलाके का है, जहां एक कोबरा सांप पूजा घर में आकर बैठ गया. इस घर के मालिक दीपक राय जैसे ही पूजा करने पहुंचे तो सांप फन फैलाए बैठा हुआ था. कोबरा बेहद खतरनाक सांप है और इसके काटने पर तुरंत शरीर में न्यूरोटॉक्सिक जहर फैल जाता है. ऐसी स्थिति में यदि जल्द ही डॉक्टर के पास न जाया जाए तो कटे हुए व्यक्ति की जान भी जा सकती है. गजेंद्र दुबे ने इसे भी पकड़ा और जबलपुर के बरगी के जंगलों में छोड़ दिया.
धामन रसल वाइपर और दूसरे सांप: ऐसे तो सबसे खतरनाक ब्लैक कोबरा को माना जाता है जो भारत में पाया जाता है. दूसरे सांप भी हैं जो दुनिया के दूसरे देशों में पाए जाते हैं, जो कोबरा से भी ज्यादा जानलेवा होते हैं. लेकिन भारत में कोबरा ही सबसे खतरनाक सांप माना जाता है. इसके अलावा भी कुछ सांप हैं जो कोबरा जितने खतरनाक तो नहीं है लेकिन जहरीले हैं. जबलपुर में सांपों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं जो अक्सर लोगों के घरों तक पहुंच जाती हैं. सामान्य तौर पर इनके आने जाने का रास्ता नालियों के जरिए होता है. धामन प्रजाति का सांप जो मछली खाता है वह जबलपुर में बहुतायत में पाया जाता है. क्योंकि जबलपुर में कई छोटे बड़े तालाब हैं और इन से निकलकर यह लोगों के घरों तक पहुंच जाते हैं. इसके अलावा करैत और रसल वाइपर जैसे कुछ बेहद खतरनाक सांप भी जबलपुर में पाए जाते हैं.
क्या करें यदि सांप काट ले: परिषद विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे का कहना है कि ''कोबरा में न्यूरोटॉक्सिन जहर पाया जाता है जो दिमाग की नसों को काम करने से रोक देता है, इसलिए यह ज्यादा खतरनाक होते हैं. वहीं, करैट में हिमो टॉक्सिन जहर पाया जाता है जिससे शरीर में कई जगह सूजन पैदा हो जाती है और खून रिसने लगता है. रसल वाइपर के काटने का एहसास आदमी को नहीं होता और आदमी को लगता है कि जैसे किसी चींटी ने काटा हो, लेकिन इसकी वजह से काटने वाले आदमी के पेट में तेज दर्द होने लगता है.'' गजेंद्र दुबे का कहना है कि ''यदि सांप काट ले तो शरीर के उस हिस्से के पास में हल्की गठान लगा देना चाहिए. जितनी जल्दी हो सके मरीज को डॉक्टर के पास जाना चाहिए. डॉक्टर के पास जाने के पहले इस बात की पहचान जरूर हो जानी चाहिए कि किस तरह के सांप ने कांटा है.''
सांप को कभी न छेड़ें: गजेंद्र दुबे खुद एक धार्मिक प्रवृत्ति के शख्स हैं, लेकिन उनका कहना है कि जादू टोना-टोटका या फिर जड़ी-बूटी के चक्कर में किसी भी सर्पदंश से प्रभावित आदमी को नहीं रखना चाहिए. गजेंद्र दुबे एक स्नेक कैचर हैं लेकिन बीते दिनों उन्हें भी एक नागिन ने डस लिया था हालांकि उन्होंने तत्परता से इसका इलाज करवाया और उनकी बमुश्किल जान बच पाई. गजेंद्र वे कहते हैं कि सांप यदि किसी को मिलता है तो उसे छेड़े नहीं, क्योंकि वह काट सकता है और सभी सांपों के जहर का इलाज संभव नहीं है. अभी भी इसकी कई प्रजातियां ऐसी हैं जिनके बारे में लोगों को पूरी जानकारी नहीं है. इसलिए इस प्राणी को छेड़ना अपने लिए मुसीबत खड़ी करना है.