जबलपुर। परीक्षा फीस जमा नहीं होने के कारण परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने पाया कि आदेष के बावजूद भी हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार व परीक्षा नियंत्रण व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हुए.
व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश: युगलपीठ ने तीनों के खिलाफ 20 हजार रुपए का जमानती वारंट जारी करते हुए अगली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के आदेश जारी किये हैं. एलएलएम छात्र मयंक प्रतापति की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2021 में द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित की गयी थी. शासन के निर्देशानुसार यह परीक्षाएं ऑनलाइन और ओपन बुक पैर्टन पर कराई जाना थी. कोरोना काल के कारण उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. जिसके कारण वह द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा फीस जमा नहीं कर पाया था. वह अन्य छात्रों की तरह ऑनलाइन परीक्षा में शामिल हुआ था. परीक्षा में शामिल होने के उसके पास तकनीकि साक्ष्य है.
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कुलपति, रजिस्ट्रार ने पेश नहीं किया जवाब: परीक्षा में शामिल होने के बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उसका परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया गया. संपर्क करने पर विश्वविद्यालय द्वारा तर्क दिया गया कि परीक्षा फीस जमा नहीं करने के कारण उसका परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया गाया. छात्र द्वारा लेट फीस के साथ शुल्क जमा करने की पेशकश की गई. इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा परिणाम घोषित करने से इंकार कर दिया गया. जिसके कारण उक्त याचिका दायर की गयी है. याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि कई अवसर देने के बावजूद भी कुलपति, रजिस्ट्रार व परीक्षा नियंत्रक द्वारा जवाब पेश नहीं किया गया था. युगलपीठ ने तीनों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देष जारी किये थे. इसके बावजूद भी वह न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हुए. जिसे गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने तीनों के खिलाफ 20 हजार रुपए के जमानतीय वारंट जारी करते हुए 17 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेष जारी किये हैं.