जबलपुर। बीमार हाथी का ऑनरशीप सार्टिफिकेट (Elephant Ownership Certificate) जारी किये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है, कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने हाथी का ऑरनशीप सार्टिफिकेट जारी करने पर रोक लगा रखी है. याचिका में यह भी कहा गया कि ऑनरशीट सार्टिफिकेट उस व्यक्ति को जारी किया गया है, जिसके आवेदन पूर्व में खारिज कर दिये गये थे. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक (High Court Chief Justice Mohammad Rafiq) तथा जस्टिस प्रणय वर्मा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
नकली दवा के प्रकरणों में नहीं हो रही कार्रवाई, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
इंदौर की संस्था पीपुल्स ऑफ एनीमल की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया कि अक्टूबर 2020 को राजस्थान के वन विभाग ने एक घायल हाथी को लेते जाते हुए दो व्यक्तियों को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट (WildLife Protection Act) के तहत पकड़ा था, हाथी को आंख से दिखाई नहीं दे रहा था तथा चलने में दिक्कत थी. इसके अलावा उसके गर्दन में चोट के निशान थे, जेएमएफसी कोर्ट ने हाथी को उपचार के लिए मथुरा स्थित हाथियों के अस्पताल में भेजने का आदेश जारी किया था.
याचिका में कहा गया था कि छतरपुर निवासी रूप सिंह परिहार ने जनवरी 2021 में हाथी पर अपना दावा करते हुए ऑनरशीप सार्टिफिकेट के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन मध्यप्रदेश के समक्ष आवेदन दिया था, जिसमें कहा गया था कि उसे उक्त हाथी दान में मिला है. जिसके बाद उसे हाथी का ऑनरशिप लेटर जारी कर दिया था, जबकि माइक्रो चिप नम्बर के अनुसार उक्त हाथी का ऑनरशीप लेटर किसी गयुर अली के नाम पर है. एक लंबित याचिका की सुनवाई करते वक्त सर्वोच्च न्यायालय ने हाथी की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए हाथी का ओनरशीप सार्टिफिकेट जारी करने पर रोक लगा दिया था.
याचिका में कहा गया है कि रूप सिंह परिहार ने साल 2010 में उक्त हाथी को खरीदने का दावा करते हुए ऑनरशीट सार्टिफिकेट (Elephant Ownership Certificate) के लिए आवेदन किया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था, याचिका में मांग की गयी थी कि हाथी का उपचार मथुरा स्थित अस्पताल में सुचारू रूप से किया जाये और उसकी अभिरक्षा रूप सिंह परिवार को नहीं दी जाये.
याचिका में राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के वन विभाग के अधिकारियों सहित रूप सिंह परिवार को अनावेदक बनाया गया है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्त संजय राम ताम्रकार ने पैरवी की.