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ऑनलाइन क्लासेज पर हाईकोर्ट में याचिका दायर, कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब - ऑनलाइन एजुकेशन

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि ऑनलाइन क्लासेस से होने वाली समस्या का अब तक समाधान क्यों नहीं निकाला.

high court jabalpur
जबलपुर हाईकोर्ट
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Published : Jul 14, 2020, 7:39 AM IST

जबलपुर। जिले में स्कूल फीस के मुद्दे पर जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई हुई है. जनहित याचिकाकर्ता में कहा गया है कि ऑनलाइन क्लासेस बंद करो, जब ऑनलाइन क्लासेज बंद होगी तो स्कूल को फीस मांगने का अधिकार भी खत्म हो जाएगा. इस दौरान कई निजी स्कूल और सीबीएसई के वकील भी इस मुद्दे पर कोर्ट में मौजूद रहे.

याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता का कहना है कि इन दिनों स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन चला रहे हैं, जबकि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि बच्चों को मोबाइल नहीं देना चाहिए, मोबाइल की वजह से न सिर्फ बच्चों का मानसिक विकास कम होता है, बल्कि उनकी आंखें खराब होती हैं और बच्चे डिप्रेशन में जाते हैं. इस रिपोर्ट को आधार मानकर ऑनलाइन एजुकेशन बंद करने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि जब ऑनलाइन एजुकेशन बंद किया जाएगा तो स्कूल किस बात की फीस चाहेंगें.

याचिकाकर्ता वकील दिनेश उपाध्याय का ये भी कहना है कि स्कूल बंद होने से स्कूल स्टाफ को वेतन देना पड़ रहा है, इसके लिए स्कूल प्रबंधन केवल ट्यूशन फीस ले सकता है. इस मुद्दे पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि अब तक राज्य सरकार ने इस समस्या का कोई समाधान क्यों नहीं निकाला. इस मामले में कई स्कूल भी खुद जवाब देने के लिए सामने आ गए हैं. वहीं सीबीएसई से भी इस मुद्दे पर जवाब मांगा गया है.

जबलपुर। जिले में स्कूल फीस के मुद्दे पर जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई हुई है. जनहित याचिकाकर्ता में कहा गया है कि ऑनलाइन क्लासेस बंद करो, जब ऑनलाइन क्लासेज बंद होगी तो स्कूल को फीस मांगने का अधिकार भी खत्म हो जाएगा. इस दौरान कई निजी स्कूल और सीबीएसई के वकील भी इस मुद्दे पर कोर्ट में मौजूद रहे.

याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता का कहना है कि इन दिनों स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन चला रहे हैं, जबकि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि बच्चों को मोबाइल नहीं देना चाहिए, मोबाइल की वजह से न सिर्फ बच्चों का मानसिक विकास कम होता है, बल्कि उनकी आंखें खराब होती हैं और बच्चे डिप्रेशन में जाते हैं. इस रिपोर्ट को आधार मानकर ऑनलाइन एजुकेशन बंद करने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि जब ऑनलाइन एजुकेशन बंद किया जाएगा तो स्कूल किस बात की फीस चाहेंगें.

याचिकाकर्ता वकील दिनेश उपाध्याय का ये भी कहना है कि स्कूल बंद होने से स्कूल स्टाफ को वेतन देना पड़ रहा है, इसके लिए स्कूल प्रबंधन केवल ट्यूशन फीस ले सकता है. इस मुद्दे पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि अब तक राज्य सरकार ने इस समस्या का कोई समाधान क्यों नहीं निकाला. इस मामले में कई स्कूल भी खुद जवाब देने के लिए सामने आ गए हैं. वहीं सीबीएसई से भी इस मुद्दे पर जवाब मांगा गया है.

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