जबलपुर। प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में संयुक्त संचालक और अधीक्षक के दायित्व पूर्णकालिक होंगे. इन पदों के अतिरिक्त अन्य प्रशासनिक काम से उन्हें दूर रखा जाएगा. यह जवाब राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में पेश किया है. हाईकोर्ट में मध्य प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अधीक्षक पद पर पूर्णकालिक नियुक्ति किए जाने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की गई थी. इसकी सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि "संयुक्त संचालक और अधीक्षक पदों पर पूर्णकालिक नियुक्ति किए जाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका का निराकरण किया.
अधीक्षक के दायित्व पूर्णकालिक होंगे: 2 दिन पहले ही कोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट जवाब पेश करने के लिए कहा था. इस पर सरकार ने कोर्ट को बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 25 अप्रैल 2023 को सभी संभागायुक्तों को इस बात का आदेश जारी कर दिया है. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपाण्डे की ओर से साल 2016 में दायर याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के लगभग सभी सरकारी मेडीकल कॉलेजों में अधीक्षक के पद खाली हैं और वहां पर प्रभारी ही सारी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. वहीं जो अधीक्षक हैं उनके पास पहले से ही बच्चों को पढ़ाने और इलाज की जिम्मेदारी थी और अब वे अधीक्षक के पद की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
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प्रोफेसर ट्रांसफर होकर बन रहे अधीक्षक: याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि पूर्व में जवाब पेश कर राज्य सरकार ने बताया था कि मेडिकल कॉलेज में भर्ती नियम को लेकर पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भर्तियों पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. वहीं याचिका की सुनवाई के दौरान शासन की ओर से बताया गया कि साल 2022 में बने नए नियमों के अनुसार प्रोफेसर को ट्रांसफर कर अधीक्षक के पद पर पदस्थ किया जाता है. इस पर हाईकोर्ट ने पूछा कि ऐसा करने पर अधीक्षक को प्रभारी क्यों लिखते हैं, प्रोफेसर को ही पूर्णकालिक अधीक्षक के पद पर पदस्थापना क्यों नहीं दी जाती. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से उक्त जानकारी पेश की गई.