जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में मंगलवार को सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने 2 घंटे की संकेतिक हड़ताल की. लेकिन बुधवार से एमपी के डॉक्टर पूरी तरह से कामकाज बंद करके हड़ताल पर जा रहे हैं. डॉक्टरों की हड़ताल से अस्पतालों में मरीजों की परेशानी बढ़ जाएगी. डॉक्टरों का कहना है कि "सरकार ने उनके साथ वादा खिलाफी की है, इसलिए इस बार जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक हड़ताल जारी रहेगी.''
डीएसीपी की मांग: डॉक्टरों की मांग है कि सरकार डीएसीपी लागू करे. डीएसीपी का मतलब 'डायनेमिक एश्योर करियर प्रोग्रेशन' है. इस सिस्टम के लागू होने से डॉक्टरों को फायदा मिलेगा. दरअसल डॉक्टरों की तकलीफ यह है कि मध्यप्रदेश में जितने पद स्वीकृत हैं उनसे 50% से भी कम डॉक्टर काम कर रहे हैं और इसकी वजह से सरकारी अस्पतालों पर काम का अत्याधिक बोझ है. वहीं, इलाज के अलावा डॉक्यूमेंटेशन और कई बीमारियों के उन्मूलन के कार्यक्रम भी चल रहे हैं. इन सब की वजह से अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टरों को जरूरत से ज्यादा काम करना पड़ रहा है. वहीं, सरकार खाली पदों पर भर्तियां नहीं कर रही है.
प्राथमिक चिकित्सालयों की हालत खराब: सरकार कहती है कि डॉक्टर मध्यप्रदेश में काम करना नहीं चाहते और इसकी एक बड़ी वजह यह है कि मध्यप्रदेश में प्राथमिक चिकित्सालयों की हालत खराब है. उपकरण खराब हैं, डॉक्टरों को जो सुविधा चाहिए वह प्राथमिक अस्पतालों में नहीं मिल पा रही है. इसलिए भी मध्यप्रदेश में काम करने की जगह गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यों की तरफ चले जाते हैं. जिससे मध्य प्रदेश में काम करने वाले डॉक्टरों पर लगातार भार पड़ रहा है, लेकिन सरकार इनकी ना तो पदोन्नति कर रही है और ना ही तनख्वाह बढ़ा रही है. इसलिए डॉक्टरों का कहना है कि ''इस बार सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. जब तक सरकार उनकी पदोन्नति और वेतन से जुड़े हुए डीएसीपी कार्यक्रम को लागू नहीं करती है तब तक वह काम नहीं करेंगे.''
सरकार ने की वादा खिलाफी: कुछ दिन पहले भी डॉक्टर ने सरकार को अपनी मांगों को बताने के लिए सांकेतिक धरने प्रदर्शन और हड़ताल की थी. हड़ताल पर जाने के बाद सरकार ने 1 दिन में ही डॉक्टरों को यह वादा किया था कि जल्दी ही उनकी मांगों पर अमल किया जाएगा. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि ''सरकार ने वादा खिलाफी की है इसलिए इस बार जब तक यह योजना लागू नहीं हो जाती तब तक हड़ताल जारी रहेगी.''