जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक दिव्यांग मॉडल ने कमजोर पैर के साथ की शानदार रैंप वॉक किया. राजगढ़ जिले के दूरदराज गांव करौडी के रहने वाले राज वर्मा दिव्यांग मॉडल हैं और दिव्यांग जन इन्हें अपना आइडियल मानते हैं. राज वर्मा की कहानी हौसले की कहानी है. राज की जिंदगी मैं अपाहिज शब्द कभी नहीं था, लेकिन 4 साल पहले राज एक छत से गिर गए और इस दुर्घटना में उनका एक पैर बुरी तरह से खराब हो गया. राज इस दुर्घटना के बाद मायूस हो गए और उन्हें लग रहा था कि अब जिंदगी में उनकी लंबी दौड़ पूरी नहीं हो पाएगी. उनके सपने अधूरे रह जाएंगे.
जहां चाह वहां राह: कहते हैं जहां चाह है वहां राह है. राज वर्मा ने मॉडलिंग में अपना कैरियर बनाने के लिए मॉडलिंग करना शुरू कर दिया. पहले राजगढ़ में ही कोशिशें शुरू कीं, इसके बाद भी भोपाल आ गए. भोपाल में उन्होंने प्रोफेशनल मॉडलिंग के लिए जरूरी चीजें सीखी. कुछ लोगों ने उन्हें हतोत्साहित भी किया. लेकिन बहुत से लोग उन्हें हौसला भी दे रहे थे. धीरे-धीरे राज की कोशिश रंग लाई और अब वह एक मॉडल के रूप में पहचाने जाते हैं.
राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया: राज वर्मा ने मॉडलिंग के क्षेत्र में देश के कई नामी खिताब भी जीते हैं. राज वर्मा देश के 12 बड़े मॉडलिंग शो में हिस्सा लिया और कई जगह उन्हें सम्मानित किया गया. एक प्रतियोगिता में वे मिस्टर इंडिया के खिताब से भी नवाजे गए हैं. समर्थ सेवा संस्थान राजस्थान में मॉडलिंग के क्षेत्र में राज वर्मा को नेशनल अवार्ड दिया था. सात्विक फाउंडेशन दिल्ली ने राज वर्मा को मॉडलिंग में बेहतर प्रदर्शन दिखाने के लिए नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया था. वहीं, जबलपुर में व्हीलचेयर क्रिकेट कप का आयोजन किया गया था. इस आयोजन में दिव्यांग जनों की हौसला अफजाई करने के लिए राज वर्मा भी आए हुए थे.
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किसान परिवार का सामान्य लड़का: राजेश वर्मा एक किसान परिवार से हैं और उनकी इस कोशिश में परिवार के लोगों का समर्थन उन्हें मिला. इसके साथ ही उनकी खुद की कोशिशों के चलते अपंग होने के बावजूद उन्होंने एक मजबूत पहचान बनाई है. फिलहाल राज वर्मा भोपाल में एलएलबी की पढ़ाई कर रहे हैं और कानून के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं.
दिव्यांगों के लिए उदाहरण हैं राज: शारीरिक विकलांगता लोगों को मानसिक रूप से तोड़ देती है और मन में यदि हीन भावना घर कर जाए तो कोई कुछ नहीं कर सकता. लेकिन यदि मन में कोई ठान कर किसी काम को करने की कोशिश करें तो कमजोर होने के बाद भी लंबी दूरी तय की जा सकती है. राज उन सभी दिव्यांग जनों के लिए एक उदाहरण है जो हार कर अपने घरों में बैठ गए हैं.