जबलपुर। पुलिस ने ऑपरेशन शिकंजा के तहत नीरज पर्यानी नाम के दवा कारोबारी को पकड़ा है इसके पास नशे के 7400 इंजेक्शन मिले हैं. जिन्हें नीरज पर्यानी अपने छोटे गुर्गों से गली मोहल्लों में नशे के कारोबार के लिए बिकवा रहा था. नीरज तक पहुंचने के लिए पुलिस को राजू विश्वकर्मा को पकड़ने के बाद सुराग मिला था. राजू विश्वकर्मा इन्हीं अवैध इंजेक्शन को गोपाल बाग में बेच रहा था. जबलपुर क्राइम ब्रांच पुलिस ने गोपाल बाग के पास एक 20 साल के युवक राजू विश्वकर्मा को हिरासत में लिया और जब उससे पूछताछ की गई तो उसके पास नशे के 200 इंजेक्शन मिले जब उससे कड़ाई से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि यह इंजेक्शन उसने बड़ी ओमती के एम एम फार्मा के मालिक नीरज परयानी से खरीदे हैं और वह घूम घूम कर इन इंजेक्शन को बेचता है.
नशे के इंजेक्शन बरामद: क्राइम ब्रांच पुलिस ने नीरज पर्यानी के ओमती में एमएन फार्मा पर छापा मारा तो नशे के इंजेक्शन की 7400 शीशियां मिली. इसमें दो अलग-अलग इंजेक्शन हैं जिन्हें एक साथ मिलाकर लगाया जाता है. इनकी दुकान पर कीमत मात्र 70 है लेकिन जब यह किसी ग्राहक को बेचे जाते हैं तो उन्हें 300 तक की कीमत वसूल कर बेचा जाता है इसलिए नशे का कारोबार करने वाले ज्यादा मुनाफा के चक्कर में इन खतरनाक इंजेक्शनों को लोगों को बेच रहे हैं.
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शेड्यूल्ड ड्रग: हालांकि यह दोनों ही इंजेक्शन शेड्यूल ड्रग की श्रेणी में आते हैं जिन्हें खरीदना और बेचना केवल खाद्य एवं औषधि विभाग के नियंत्रण के अलावा आबकारी विभाग के नियंत्रण में भी रहता है क्योंकि इन दवाओं में नशीले पदार्थ मिलाए जाते हैं और इनका इस्तेमाल मानसिक बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है लेकिन इनको लेने के बाद नशा भी होता है इसलिए नशेड़ी इन इंजेक्शन को लगाकर नशा करते हैं. इंजेक्शन को लगातार लेने से शरीर में कई किस्म की विकृतियां पैदा हो जाती हैं और ज्यादा मात्रा में लेने पर लोग पागल भी हो सकते हैं और मर भी सकते हैं इसलिए इन्हें बिना डॉक्टर के अनुमति के नहीं बेचा जा सकता.
नीरज पर्यानी इसके पहले भी नशे के इंजेक्शन बेचते हुए पकड़ा जा चुका है और 2021 में इसके खिलाफ दो मुकदमे दर्ज हैं. औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम और मध्य प्रदेश ड्रग कंट्रोल एक्ट में इस बात का प्रावधान है कि एक बार कोई गैरकानूनी ढंग से दवाएं बेचते हुए पकड़ा जाता है तो उसे 7 से 14 साल तक की सजा का प्रावधान है.