जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी मामले में शुक्रवार को माॅनिटरिंग कमेटी ने हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू व जस्टिस वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ के सामने त्रैमासिक रिपोर्ट पेश की गयी. रिपोर्ट में कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी गैस पीड़ित कैंसर मरीजों को फ्री इलाज नहीं मिल रहा है. युगलपीठ ने नेशनल इन्फॉरमेशन सेन्टर के डायरेक्टर को गैस पीड़ितों के डिजिटल कार्ड बनाकर 20 फरवरी तक कोर्ट में परिपालन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिये हैं. युगलपीठ ने आदेश का परिपालन नहीं होने पर अवमानना की चेतावनी दी है.
दिशा-निर्देश किए जारी: गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई. याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के इलाज व पुनार्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे. मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने व रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश जारी किये थे. जिसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी. याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका दायर की गयी थी. अवमानना याचिका में कहा गया था कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं. अस्पतालों में अवश्यकतानुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं है. बीएमएचआरसी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टॉफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते है.
काशी पटेल ने की पैरवी: याचिकाकर्ता की तरफ से माॅनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि आयुष्मान योजना के तहत सिर्फ कैंसर का इलाज होता है. जांच व अन्य इलाज के लिए गैस पीड़ितों को भुगतान करना पड़ रहा है. युगलपीठ ने सितम्बर 2021 में आदेश जारी किये थे कि एम्स भोपाल में गैस पीडितों का फ्री में उपचार किया जाये. गैस पीड़ितों के डिजिटल कार्ड नहीं बने है. जिसके कारण उन्हें यह सुविधा नहीं मिल रही है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता काशी पटेल ने पैरवी की.