जबलपुर। विधानसभा चुनाव 2023 की वजह से इस दीपावली फीका रहेगा. जबलपुर के सर्राफा कारोबारी इस कदर परेशान हो गए हैं कि सर्राफा कारोबारियों ने मतदान के बहिष्कार की घोषणा की है. सर्राफा व्यापारियों का कहना है कि चुनाव आयोग कार्यवाही के नाम पर सर्राफा व्यापार को बर्बाद करने में लगा हुआ है. चुनाव आयोग ने 50,000 से ज्यादा नगद लाने ले जाने पर पाबंदी लगाई हुई है. इसकी वजह से कारोबारी परेशान हैं.
सर्राफा कारोबारी ने किया चुनाव का बहिष्कार: जबलपुर सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष राजा सराफ का कहना है कि ''वह 2023 के विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं करेंगे. यही नहीं बल्कि सराफा एसोसिएशन से जुड़े हुए 10000 से ज्यादा मतदाता चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं. दरअसल सर्राफा कारोबारी चुनाव आयोग के नियमों की वजह से परेशान हैं.''
नगद लाने ले जाने का नियम बना समस्या: चुनाव आयोग ने जगह-जगह अपनी निगरानी चौकी बनाई हुई है और इन चौकिया पर किसी भी किस्म के केस या सोने-चांदी के समान को लाने ले जाने वालों की जांच की जा रही है. दरअसल चुनाव आयोग को इस बात का संदेह रहता है कि बड़े पैमाने पर पैसा लाने और ले जाने वाले लोग इस पैसे के जरिए चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए 50,000 से ज्यादा नगद लाने ले जाने वाले लोगों की प्रशासन जांच कर रहा है. जबकि सर्राफा कारोबारी का कहना है कि वह नियम के अनुसार ₹200000 तक ला या ले जा सकते हैं.
चुनाव आयोग के दावे: सर्राफा कारोबारी का कहना है कि ''बीते दिनों जबलपुर के गढा में सोने चांदी के एक कारोबारी से लगभग चार करोड़ के जेवर जब्त किए गए थे. कुछ ऐसा ही सागर में हुआ और इसी तरीके से मंडला में भी एक कारोबारी से सोने चांदी के जेवर जब्त किए गए. रतलाम में भी चुनाव आयोग ने एक बड़ी कार्यवाही करने का दावा किया.'' सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष राजा सराफ का कहना है कि ''जब हम अपने बिल भी साथ में लेकर चल रहे हैं तो फिर हमारे माल को जब्त करके इनकम टैक्स को क्यों सौंपा जा रहा है. इसकी वजह से हमारा व्यापार प्रभावित हो रहा है. चुनाव आयोग की ड्यूटी में लगे अधिकारी 50,000 से ज्यादा का माल जब्त करते हैं तो उसे सीधे इनकम टैक्स के अधिकारियों को सौंप देते हैं. इस प्रक्रिया में व्यापारी का माल इनकम टैक्स विभाग में फंस जाता है और उसका कारोबार प्रभावित होता है.''
करोड़ों के राजस्व का नुकसान: सर्राफा कारोबारी का दावा है कि केवल पुष्य नक्षत्र के दिन जबलपुर और उसके आसपास के बाजार में 200 करोड़ रुपए की सोने-चांदी की खरीद बिक्री होती है. लेकिन इस साल चुनाव आयोग की वजह से यह कारोबार 50% तक प्रभावित होगा. क्योंकि लोग न खरीद कर पा रहे हैं और न बिक्री कर पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में इस कारोबार के 100 करोड़ तक सिमटने की संभावना है. सर्राफा कारोबारी का कहना है कि ''वह माल की खरीद और बिक्री पर तीन प्रतिशत जीएसटी देते हैं. इसके अलावा इनकम टैक्स के जरिए भी सरकार के पास टैक्स जाता है. इस तरीके से कुल मिलाकर लगभग 5 करोड़ का तो केवल जबलपुर के आसपास से धनतेरस के दिन ही शासन का राजस्व का नुकसान होगा. पूरे चुनावी सीजन में यह नुकसान 50 करोड़ से ज्यादा है.''
दीपावली पर सबसे ज्यादा खरीदी: सर्राफा एसोसिएशन से जुड़े हुए हजारों लोगों ने अब तय कर लिया है कि जब उनके व्यापार से जुड़े हुए मुख्य त्योहार दीपावली के आसपास चुनाव आयोग की वजह से और चुनाव की वजह से नुकसान हो रहा है. इसलिए वे भी चुनाव की प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे और वह मतदान का बहिष्कार करेंगे. Jabalpur Bullion traders upset with EC
समाधान क्या है: सर्राफा कारोबारी का कहना है कि ''यदि चुनाव आयोग चाहे तो इस समस्या का समाधान किया जा सकता है. सर्राफा एसोसिएशन ने अपने सभी कारोबारी को पहचान पत्र दिए हुए हैं यदि कोई भी कारोबारी पहचान पत्र के साथ कैश या जेवर लिए हुए मिलता है तो प्रशासन उसके बिल चेक कर ले लेकिन उसका माल जब्त न करे. यदि चुनाव आयोग इस मुद्दे पर मान जाता है तो वह अपना फैसला वापस ले सकते हैं.'' इस समस्या को लेकर जबलपुर के कारोबारी ने केंद्रीय जीएसटी के अधिकारियों से भी बातचीत की थी लेकिन उन्होंने सर्राफा कार्यवाहियों की इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया.
सर्राफा कारोबारियों को रियायत देना कठिन काम: हालांकि चुनाव आयोग के लिए सर्राफा कारोबारी को रियायत देना भी बहुत कठिन काम है. क्योंकि इसी दौरान नेता मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए बड़े पैमाने पर पैसे का लेनदेन करते हैं. ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग सर्राफा कारोबारी को कोई रियायत देगा. ऐसी संभावना नहीं है. वहीं, सर्राफा कारोबारी शहर के दूसरे व्यापारियों को भी अपने आंदोलन में शामिल करके अपनी मांग को एक आंदोलन बनाने की कोशिश कर रहा है.