जबलपुर। मिशनरी की जमीन को बेचकर करोड़ों की काली कमाई करने वाले प्रेमचंद उर्फ बिशप पीसी सिंह के रोजाना नए नए कारनामे सामने आ रहे हैं. अब ईओडब्ल्यू की टीम को यह जानकारी भी मिली है कि बिशप ने अपने उपयोग के लिए विजय नगर एवं सालीवाड़ा क्षेत्र में जो जमीनें खरीदी गई थीं, उनके लिए उसने बैंक से लोन लिया था. लेकिन किश्तें वह स्वयं नहीं बल्कि उसके स्कूल के नाम पर आती थीं. अब तक स्कूल ही उसके कर्ज की ये किश्तें अदा कर रहा था. यह खुलासा होने के बाद जांच कर रहे अधिकारी भी हैरान हैं. माना जा रहा है कि अभी बिशप को लेकर और भी खुलासे हो सकते हैं.
गोल्ड क्वॉइन का शौकीन है बिशप: गौरतलब हो कि EOW की टीम ने नेपियर टाउन स्थित बिशप पीसी सिंह के बंगले में पिछले दिनों छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान टीम को यहां से 1 करोड़ 60 लाख रुपए नकद एवं 2 किलो सोना सहित लग्जरी कारें भी रखी हुई मिली थीं. इसके बाद बिशप को नागपुर एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर आगे की जांच शुरू की गई थी. जांच में यह भी सामने आया है कि बिशप को गोल्ड क्वॉइन खरीदने का भी काफी शौक रहा है. वह कुछ दिनों से विभिन्न बैंकों से गोल्ड क्वॉइन भी खरीदता रहा है.
स्कूल में खुलवा रखा था एटीएम बूथ: जांच में यह बात सामने आई है कि बिशप की बैंक अधिकारियों से भी अच्छी सांठगांठ थी और उसने अपने स्कूल के पास ही एक एटीएम बूथ भी खुलवा रखा था. इससे जो भी किराया आता था वह स्कूल के खाते में न जाकर बिशप खुद ही रख लेता था. एक बैंक कर्मी जो कि खुद भी चर्च का सदस्य था उसके द्वारा इस पूरे कार्य में बिशप का सहयोग किया जाता था. बहरहाल ईओडब्ल्यू के बाद ईडी भी बिशप पीसी सिंह की कारगुजारियों की जानकारी जुटाने में लगी हुई है. आने वाले दिनों में पीसी सिंह की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं.
भूमि पट्टे के नवीनीकरण का आवेदन निरस्त: जबलपुर में जिला प्रशासन ने युनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसाइटी के भूमि पट्टे के नवीनीकरण के आवेदन को ठुकरा दिया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट शेर सिंह मीणा द्वारा जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि विचाराधीन भूखंड को अब सरकारी भूमि के रूप में पंजीकृत किया जाना चाहिए. आदेश में कहा गया है कि युनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसाइटी के कब्जे में 1,70,328.70 वर्ग फुट जमीन आवासीय उद्देश्यों के लिए दी गई थी और इसका पट्टा 23 साल पहले 31 मार्च 1999 को ही समाप्त हो गया था. एडीएम के आदेश में कहा गया, आवेदन प्राप्त होने के बाद अधिकारियों द्वारा पट्टे पर दी गई भूमि का मौके पर निरीक्षण किया गया और यह पाया गया कि बैंक, एक सरकारी विभाग, शादी के लिए हॉल को किराए पर देकर वाणिज्यिक गतिविधियां चल रही थीं, जिससे राज्य के राजकोष को आर्थिक नुकसान हुआ है. आदेश में कहा गया है कि अधिकारियों की मौके पर जांच रिपोर्ट को देखते हुए पट्टे के नवीनीकरण का कोई आधार नहीं दिखता है.
(Bishop PC Singh fraud case) (School paying installment of land purchased)