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इसरो का पूर्व वैज्ञानिक जबलपुर में कर रहा है मंत्रों से लोगों का इलाज !

जबलपुर के गढ़ा इलाके में पहाड़ पर बने एक मंदिर में सामान्य पुजारी जैसी पूजा करने वाला शख्स भारत के अव्वल दर्जे के वैज्ञानिकों में से एक हैं. कोस्टा ने इसरो डिपार्टमेंट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में काम किया और 1990 से 1994 तक डॉ. कोस्टा जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं.

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Published : Mar 5, 2019, 10:04 AM IST

डॉ. शिवकुमार कोस्टा

जबलपुर। जिले के गढ़ा इलाके में पहाड़ पर बने एक मंदिर में सामान्य पुजारी जैसी पूजा करने वाला शख्स भारत के अव्वल दर्जे के वैज्ञानिकों में शुमार करता है. डॉ. शिवकुमार कोस्टा भारत के प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट का अविष्कार करने वाली टीम में शामिल थे.


डॉ. शिवकुमार कोस्टा उस समय टीम के डिप्टी डायरेक्टर थे और प्रिंसिपल टेक्निकल ऑफिसर का काम भी देख रहे थे. इसके बाद डॉ. कोस्टा ने इसरो डिपार्टमेंट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में काम किया और 1990 से 1994 तक डॉ. कोस्टा जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति रहे. डॉक्टर कोस्टा ने 100 से ज्यादा रिसर्च पेपर जारी किए हैं. अभी भी डॉक्टर कोस्टा 3 यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं.


डॉ. शिव कुमार कोस्टा बीमारी का वैज्ञानिक पक्ष समझाते हुए कहते हैं दरअसल बीमारी के दौरान शरीर में कुछ ऐसे रसायन बनते हैं जो लोगों को बीमार कर देते हैं. एलोपैथिक इलाज के दौरान डॉक्टर दवाइयां देकर दूसरी रासायनिक क्रिया करवाता है और यही कार्य मंत्र भी करते हैं. दरअसल जो जिस धर्म काम आने वाला है उस धर्म के देवी देवताओं और मंत्रों पर उसकी आस्था होती है और जब आस्तिक के सामने यह मंत्र पढ़े जाते हैं तो वह शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. जिससे शरीर की रक्षा करने वाले रसायन बनते हैं और इन्हीं रसायनों से शरीर स्वस्थ होता है.

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डॉ. शिवकुमार का मन विज्ञान के साथ-साथ धार्मिक और आध्यात्मिक कामों में भी बहुत लगता है. इसलिए जबलपुर के गढा इलाके में पहाड़ी पर डॉ. शिव कुमार कोस्टा ने एक मंदिर बनाया है और अब यह मंदिर मंत्र के जरिए इलाज करने का एक केंद्र बन गया है. इस मंदिर में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं और जिस शख्स की जिस भगवान पर आस्था है. डॉ. कोस्टा का कहना है की आस्था की वजह से यह मंत्र मानव शरीर पर गहरा असर छोड़ते हैं और लोगों की बीमारियां ठीक हो जाती हैं. उन्होंने कई लोगों को यहां ठीक होते हुए देखा है.


विज्ञान, धर्म और अध्यात्म तीनों समाज में एक दूसरे के विरोधी माने जाते हैं. धर्म जिस बात की व्याख्या करता है विज्ञान उसे नकार देता है. धर्म और दर्शन भी एक साथ खड़े हुए नजर नहीं आते लेकिन, डॉ. शिवकुमार कोस्टा इन तीनों विधाओं को गहराई से जानने के बाद जनहित में इनका उपयोग कर रहे हैं. मंदिर में बैठे इस वैज्ञानिक को देख कर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि यह असाधारण प्रतिभा सिर्फ भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में अपने आविष्कारों की वजह से जानी जाती है.

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जबलपुर। जिले के गढ़ा इलाके में पहाड़ पर बने एक मंदिर में सामान्य पुजारी जैसी पूजा करने वाला शख्स भारत के अव्वल दर्जे के वैज्ञानिकों में शुमार करता है. डॉ. शिवकुमार कोस्टा भारत के प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट का अविष्कार करने वाली टीम में शामिल थे.


डॉ. शिवकुमार कोस्टा उस समय टीम के डिप्टी डायरेक्टर थे और प्रिंसिपल टेक्निकल ऑफिसर का काम भी देख रहे थे. इसके बाद डॉ. कोस्टा ने इसरो डिपार्टमेंट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में काम किया और 1990 से 1994 तक डॉ. कोस्टा जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति रहे. डॉक्टर कोस्टा ने 100 से ज्यादा रिसर्च पेपर जारी किए हैं. अभी भी डॉक्टर कोस्टा 3 यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं.


डॉ. शिव कुमार कोस्टा बीमारी का वैज्ञानिक पक्ष समझाते हुए कहते हैं दरअसल बीमारी के दौरान शरीर में कुछ ऐसे रसायन बनते हैं जो लोगों को बीमार कर देते हैं. एलोपैथिक इलाज के दौरान डॉक्टर दवाइयां देकर दूसरी रासायनिक क्रिया करवाता है और यही कार्य मंत्र भी करते हैं. दरअसल जो जिस धर्म काम आने वाला है उस धर्म के देवी देवताओं और मंत्रों पर उसकी आस्था होती है और जब आस्तिक के सामने यह मंत्र पढ़े जाते हैं तो वह शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. जिससे शरीर की रक्षा करने वाले रसायन बनते हैं और इन्हीं रसायनों से शरीर स्वस्थ होता है.

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डॉ. शिवकुमार का मन विज्ञान के साथ-साथ धार्मिक और आध्यात्मिक कामों में भी बहुत लगता है. इसलिए जबलपुर के गढा इलाके में पहाड़ी पर डॉ. शिव कुमार कोस्टा ने एक मंदिर बनाया है और अब यह मंदिर मंत्र के जरिए इलाज करने का एक केंद्र बन गया है. इस मंदिर में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं और जिस शख्स की जिस भगवान पर आस्था है. डॉ. कोस्टा का कहना है की आस्था की वजह से यह मंत्र मानव शरीर पर गहरा असर छोड़ते हैं और लोगों की बीमारियां ठीक हो जाती हैं. उन्होंने कई लोगों को यहां ठीक होते हुए देखा है.


विज्ञान, धर्म और अध्यात्म तीनों समाज में एक दूसरे के विरोधी माने जाते हैं. धर्म जिस बात की व्याख्या करता है विज्ञान उसे नकार देता है. धर्म और दर्शन भी एक साथ खड़े हुए नजर नहीं आते लेकिन, डॉ. शिवकुमार कोस्टा इन तीनों विधाओं को गहराई से जानने के बाद जनहित में इनका उपयोग कर रहे हैं. मंदिर में बैठे इस वैज्ञानिक को देख कर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि यह असाधारण प्रतिभा सिर्फ भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में अपने आविष्कारों की वजह से जानी जाती है.

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Intro:इसरो का वैज्ञानिक जबलपुर में कर रहा है मंत्रों से लोगों का इलाज डॉ शिवकुमार कोस्टा का दावा मंत्रों के जरिए किया जा सकता है गंभीर रोगों का इलाज


Body:जबलपुर के गढ़ा इलाके में पहाड़ पर बने एक मंदिर में सामान्य पुजारी जैसे पूजा करने वाला शक्स भारत के अव्वल दर्जे के वैज्ञानिकों में शुमार रखता है डॉ शिवकुमार कोस्टा भारत के प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट की अविष्कार करने वाली टीम में शामिल थे उस समय डॉक्टर शिवकुमार कोस्टा टीम के डिप्टी डायरेक्टर थे और प्रिंसिपल टेक्निकल ऑफिसर का काम भी देख रहे थे इसके बाद डॉक्टर कोस्टा ने इसरो डिपार्टमेंट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी मैं काम किया और 1990 से 1994 तक डॉ कोस्टा जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति रहे डॉक्टर कोस्टा ने 100 से ज्यादा रिसर्च पेपर जारी किए हैं अभी भी डॉक्टर कोस्टा 3 यूनिवर्सिटी ओं से जुड़े हुए हैं

लेकिन इस वैज्ञानिक का मन विज्ञान के साथ साथ धार्मिक और आध्यात्मिक कामों में भी बहुत लगता है इसलिए जबलपुर के गढा इलाके में पहाड़ी पर डॉ शिव कुमार कोस्टा ने एक मंदिर बनाया है और अब यह मंदिर मंत्र के जरिए इलाज करने का एक केंद्र बन गया है
इस मंदिर में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं और जिस शख्स की जिस भगवान पर आस्था है उस मूर्ति के सामने बैठ कर हिंदू धर्म के सामान्य मंत्रों का उच्चारण किया जाता है डॉक्टर कोस्टा का कहना है की आस्था की वजह से यह मंत्र मानव शरीर पर गहरा असर छोड़ते हैं और लोगों की बीमारियां ठीक हो जाती हैं उन्होंने कई लोगों को यहां ठीक होते हुए देखा है

मंत्र चिकित्सा में सहयोगी
डॉ शिव कुमार कोस्टा बीमारी का वैज्ञानिक पक्ष समझाते हुए कहते हैं दरअसल बीमारी के दौरान शरीर में कुछ ऐसे रसायन बनते हैं जो लोगों को बीमार कर देते हैं एलोपैथिक इलाज के दौरान डॉक्टर दवाइयां देकर दूसरी रासायनिक क्रिया करवाता है और यही कार्य मंत्र करते हैं दरअसल जो जिस धर्म काम आने वाला है उस धर्म के देवी देवताओं और मंत्रों पर उसकी आस्था होती है और जब आस्तिक के सामने यह मंत्र पढ़े जाते हैं तो वह शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं जिससे शरीर की रक्षा करने वाले रसायन बनते हैं और इन्हीं रसायनों से शरीर स्वस्थ होता है




Conclusion:विज्ञान धर्म और अध्यात्म तीनों समाज में एक दूसरे के विरोधी माने जाते हैं धर्म जिस बात की व्याख्या करता है विज्ञान उसे नकार देता है धर्म और दर्शन भी एक साथ खड़े हुए नजर नहीं आते लेकिन डॉ शिवकुमार कोस्टा इन तीनों विधाओं को गहराई से जानने के बाद जनहित में इनका उपयोग कर रहे हैं सरस्वती का उपासक बेहद ही सरल जिंदगी जीता है मंदिर में बैठे इस वैज्ञानिक को देख कर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि यह असाधारण प्रतिभा सिर्फ भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में अपने आविष्कारों की वजह से जानी जाती है
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