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Independence Day Special: भारत का एक होटल, जहां भारतीयों के जाने पर थी रोक, जानिए कहां है होटल? - स्वतंत्रता दिवस

जबलपुर की एक खंडहर हो चुकी इमारत अपने आप में अनोखा इतिहास संजोए हुए है. भारत में होकर भी इस इमारत में एक समय भारतीयों को आने की अनुमति नहीं थी. इसकी वजह भी काफी दिलचस्प थी.

Independence Day Special
भारत का एक होटल, जहां भारतीयों के जाने पर थी रोक
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Published : Aug 15, 2021, 9:58 PM IST

Updated : Aug 15, 2021, 10:59 PM IST

जबलपुर। देश अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. आजादी का क्या महत्व है यह जानने के लिए आजादी का महत्व समझना बेहद जरूरी है. गुलामी की जंजीरों ने किस हद तक देश को जकड़ा हुआ था, उसका उदाहरण था जबलपुर का एक होटल जिसका नाम था रॉयल होटल. ब्रिटिश हुकुमत के समय इस होटल के बाहर एक बोर्ड लगा होता था, जिसकर लिखा होता था (Indian and dogs are not allowed) यानी भारतीय और कुत्तों का यहां आना मना है.

भारत का एक होटल, जहां भारतीयों के जाने पर थी रोक

जबलपुर के सिविल लाइन इलाके में है रॉयल होटल

जबलपुर के सिविल लाइन इलाके में खंडहर में तब्दील हो चुकी एक इमारत अंग्रेजी हुकुमत के समय एक बहुत बड़ा होटल होता था. जिसका नाम था रॉयल होटल. देश में एकमात्र होटल थी जिसमें खाना बनाने वाले से लेकर गार्ड तक की नौकरी करने वाला अंग्रेज ही था. इसी इमारत के बाहर भारतीयों को अपमानित करने वाला वह बोर्ड लगा रहता था.

राजा गोकुलदास ने बनावाई थी बिल्डिंग

जबलपुर की यह इमारत काफी ऐतिहासिक है. बताया जाता है कि जबलपुर के राजा गोकुलदास ने अपनी नातिन राजकुमारी बाई को इस महल को तोहफे में दिया था. जब अंग्रेज आए तो उन्होंने गोकुलदास से इस इमारत को ले लिया और यहां रॉयल होटल बना दिया. बताया जाता है कि यह इमारत अंग्रेजों के ऐशो-आराम की जगह हुआ करती थी. रोज रात इस इमारत में पार्टियां हुआ करती थी.

विवाद के बाद होटल के बाहर

होटल के बाहर लगे बोर्ड को लेकर भी दिलचस्प कहानी इतिहासकार बताते हैं. बताया जाता है कि एक रात पार्टी में एक भारतीय रईस भी शरीक हुआ था. भारतीय रईस इस पार्टी में अपने देशी कुत्ते को लेकर पहुंता था. इस दौरान देसी कुत्ते और अंग्रेजी कुत्ते के बीच जमकर लड़ाई हुई और अंग्रेसी अफसर ने भारतीय रईस के कुत्ते को गोली मार दी. इस दौरान जमकर विवाद हुआ और होटल के बाहर एक बोर्ड लगा दिया गया जिसपर लिखा था यहां भारतीय और कुत्तों का आना मना है.

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टूरिज्म विभाग फिर से करेगा तैयार

स्वतंत्रा के बाद इस संपत्ति को राजसात कर लिया गया. आजादी के बाद सेना ने यहां एनसीसी का दफ्तर खोला था, बाद में इसे सरकारी ऑफिस बना दिया गया. जब इमरात पुरानी और जर्जर होने लगी तो इसे छोड़ दिया गया और अब यह इमारत एक खंडहर में तब्दील हो चुकी है. बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश टूरिज्म विभाग ने इस इमारत को पीपीपी मॉडल के तहत एक निजी एजेंसी को दिया है. अब एजेंसी इसे फिर से तैयार करेगी.

जबलपुर। देश अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. आजादी का क्या महत्व है यह जानने के लिए आजादी का महत्व समझना बेहद जरूरी है. गुलामी की जंजीरों ने किस हद तक देश को जकड़ा हुआ था, उसका उदाहरण था जबलपुर का एक होटल जिसका नाम था रॉयल होटल. ब्रिटिश हुकुमत के समय इस होटल के बाहर एक बोर्ड लगा होता था, जिसकर लिखा होता था (Indian and dogs are not allowed) यानी भारतीय और कुत्तों का यहां आना मना है.

भारत का एक होटल, जहां भारतीयों के जाने पर थी रोक

जबलपुर के सिविल लाइन इलाके में है रॉयल होटल

जबलपुर के सिविल लाइन इलाके में खंडहर में तब्दील हो चुकी एक इमारत अंग्रेजी हुकुमत के समय एक बहुत बड़ा होटल होता था. जिसका नाम था रॉयल होटल. देश में एकमात्र होटल थी जिसमें खाना बनाने वाले से लेकर गार्ड तक की नौकरी करने वाला अंग्रेज ही था. इसी इमारत के बाहर भारतीयों को अपमानित करने वाला वह बोर्ड लगा रहता था.

राजा गोकुलदास ने बनावाई थी बिल्डिंग

जबलपुर की यह इमारत काफी ऐतिहासिक है. बताया जाता है कि जबलपुर के राजा गोकुलदास ने अपनी नातिन राजकुमारी बाई को इस महल को तोहफे में दिया था. जब अंग्रेज आए तो उन्होंने गोकुलदास से इस इमारत को ले लिया और यहां रॉयल होटल बना दिया. बताया जाता है कि यह इमारत अंग्रेजों के ऐशो-आराम की जगह हुआ करती थी. रोज रात इस इमारत में पार्टियां हुआ करती थी.

विवाद के बाद होटल के बाहर

होटल के बाहर लगे बोर्ड को लेकर भी दिलचस्प कहानी इतिहासकार बताते हैं. बताया जाता है कि एक रात पार्टी में एक भारतीय रईस भी शरीक हुआ था. भारतीय रईस इस पार्टी में अपने देशी कुत्ते को लेकर पहुंता था. इस दौरान देसी कुत्ते और अंग्रेजी कुत्ते के बीच जमकर लड़ाई हुई और अंग्रेसी अफसर ने भारतीय रईस के कुत्ते को गोली मार दी. इस दौरान जमकर विवाद हुआ और होटल के बाहर एक बोर्ड लगा दिया गया जिसपर लिखा था यहां भारतीय और कुत्तों का आना मना है.

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टूरिज्म विभाग फिर से करेगा तैयार

स्वतंत्रा के बाद इस संपत्ति को राजसात कर लिया गया. आजादी के बाद सेना ने यहां एनसीसी का दफ्तर खोला था, बाद में इसे सरकारी ऑफिस बना दिया गया. जब इमरात पुरानी और जर्जर होने लगी तो इसे छोड़ दिया गया और अब यह इमारत एक खंडहर में तब्दील हो चुकी है. बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश टूरिज्म विभाग ने इस इमारत को पीपीपी मॉडल के तहत एक निजी एजेंसी को दिया है. अब एजेंसी इसे फिर से तैयार करेगी.

Last Updated : Aug 15, 2021, 10:59 PM IST
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